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पूर्वोत्तर रेलवे की ‘हरी’ क्रांति! 128 ट्रेनों में नई तकनीक से ₹2.81 करोड़ की बचत, डीज़ल और प्रदूषण दोनों घटे

पूर्वोत्तर रेलवे की 'हरी' क्रांति! 128 ट्रेनों में नई तकनीक से ₹2.81 करोड़ की बचत, डीज़ल और प्रदूषण दोनों घटे
पूर्वोत्तर रेलवे ने हेड ऑन जेनरेशन (HOG) तकनीक अपनाकर ऊर्जा संरक्षण में बड़ी कामयाबी हासिल की। 128 ट्रेनों में HOG के इस्तेमाल से मई 2025 तक 311 किलो लीटर डीज़ल बचा, ₹2.81 करोड़ का राजस्व लाभ और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई।

गोरखपुर: पूर्वोत्तर रेलवे ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में अपने सुनियोजित प्रयासों से लगातार सफलता हासिल कर रहा है। ऊर्जा दक्षता और पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए, पूर्वोत्तर रेलवे पर हेड ऑन जेनरेशन (HOG) तकनीक का उपयोग करके ट्रेनों के कोचेस में बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इसके परिणामस्वरूप डीज़ल की भारी बचत हुई है और डीज़ल खपत से उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय कमी आई है।

HOG तकनीक: एक तकनीकी प्रगति जो बचा रही है ईंधन और पैसा

वर्तमान में, पूर्वोत्तर रेलवे पर कुल 128 ट्रेनों का संचालन हेड ऑन जेनरेशन (HOG) प्रणाली से किया जा रहा है। एच.ओ.जी. एक ऐसी तकनीकी प्रगति है, जो ईंधन लागत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में बेहद प्रभावी साबित हुई है। यह प्रणाली एक विद्युत आपूर्ति तंत्र के रूप में काम करती है, जो पूरी ट्रेन की ऊर्जा ज़रूरतों जैसे प्रकाश, एयर कंडीशनिंग, पंखे, पेंट्री संचालन और अन्य यात्री सुविधाओं के लिए ओवरहेड इलेक्ट्रिक लाइनों से सीधे बिजली खींचती है। यह पहल न केवल लागत दक्षता को बढ़ाती है, बल्कि प्रदूषण के स्तर को भी कम करती है, जिससे यह पारंपरिक ऊर्जा संरक्षण का एक ठोस और पर्यावरण-अनुकूल कदम बन गया है। रेलवे लगातार गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रहा है।

वित्तीय वर्ष 2025-26 में ₹2.81 करोड़ की बचत

इस ऊर्जा-दक्ष एवं पर्यावरण-अनुकूल हेड ऑन जेनरेशन (HOG) तकनीक के उपयोग से पूर्वोत्तर रेलवे को शानदार परिणाम मिले हैं। वित्तीय वर्ष 2025-26 में मई 2025 तक, 311 किलो लीटर हाई-स्पीड डीज़ल (HSD) की बचत हुई है। इस बचत के परिणामस्वरूप रेल राजस्व के रूप में ₹2.81 करोड़ की भारी बचत दर्ज की गई है।

यात्रियों को भी मिल रहा अतिरिक्त लाभ

इस नई तकनीक के उपयोग का एक और बड़ा लाभ यात्रियों को भी मिल रहा है। एच.ओ.जी. प्रणाली अपनाने से पहले लगने वाले दो पॉवर कारों में से एक पॉवर कार को हटा दिया जाता है। इसके स्थान पर एक एल.एस.एल.आर.डी. (LSLRD) कोच लगाया जाता है, जिसमें 31 यात्रियों के लिए बैठने की अतिरिक्त क्षमता होती है। इसके साथ ही, इसमें अतिरिक्त लगेज स्पेस भी मिलता है। यह बदलाव यात्रियों के लिए अधिक सुविधा और जगह सुनिश्चित करता है।

पूर्वोत्तर रेलवे की यह पहल पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ परिचालन दक्षता और यात्री सुविधा बढ़ाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।



गो गोरखपुर ब्यूरो

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