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गोरखपुर विश्वविद्यालय का बड़ा फैसला! नए सत्र से शुरू होंगे कई नए कोर्स, 294 कॉलेजों को मिली संबद्धता

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गोरखपुर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद बैठक में 2025-26 सत्र से नए पाठ्यक्रमों को मंजूरी, पुराने का विस्तार और 294 कॉलेजों को संबद्धता। 3 नए कॉलेज भी जल्द जुड़ेंगे।

गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक कुलपति प्रो. पूनम टंडन की अध्यक्षता में संपन्न हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, प्रशासनिक और वित्तीय विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया और कई अहम प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई।

संबद्धता और नवीन पाठ्यक्रमों को मिली स्वीकृति

कार्य परिषद ने संबद्धता समिति की सिफारिशों को स्वीकृति प्रदान की है। इसके तहत शैक्षणिक सत्र 2025-26 से संबद्ध महाविद्यालयों में नवीन पाठ्यक्रमों की शुरुआत, पुराने पाठ्यक्रमों का विस्तार और स्थायी संबद्धता प्रदान करने के महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं।

  • पुराने महाविद्यालयों में विस्तार: पुराने महाविद्यालयों में पुराने पाठ्यक्रमों के 13 मामलों में संबद्धता विस्तार को स्वीकृति दी गई, जबकि पुराने महाविद्यालयों द्वारा प्रस्तावित 14 नवीन पाठ्यक्रमों को अस्थायी संबद्धता प्रदान की गई।
  • स्थायी संबद्धता: कुल 28 मामलों में स्थायी संबद्धता प्रदान की गई है, जो इन कॉलेजों की गुणवत्ता और मानदंडों पर खरे उतरने का प्रमाण है।
  • बी.एड. पाठ्यक्रम: बी.एड. पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 63 महाविद्यालयों को संबद्धता विस्तार मिला है, और बी.एड. के अतिरिक्त अन्य विषयों में 190 महाविद्यालयों को संबद्धता विस्तार की अनुमति दी गई है।
  • नवीन महाविद्यालय: तीन नवीन महाविद्यालयों के प्रस्ताव पर संबद्धता की प्रक्रिया भी शीघ्र ही पूरी कर ली जाएगी।
  • संबद्धता समाप्त: वहीं, वीर बहादुर सिंह महिला महाविद्यालय, पीपीगंज, गोरखपुर की संबद्धता, महाविद्यालय द्वारा किए गए आवेदन के आधार पर समाप्त कर दी गई।

विभिन्न विषयों में 40 नए पाठ्यक्रमों को अस्थायी संबद्धता

नवीन पाठ्यक्रमों की श्रेणी में विभिन्न विषयों के कुल 40 मामलों में अस्थायी संबद्धता प्रदान की गई है। इनमें शामिल हैं:

  • बी.एस-सी. के 15 मामले
  • बी.ए. के 7 मामले
  • बी.कॉम. के 3 मामले
  • बी.जे. (पत्रकारिता) का 1 मामला
  • बी.सी.ए. के 6 मामले
  • बी.बी.ए. का 1 मामला
  • एम.ए. के 5 मामले
  • एम.एस-सी. का 1 मामला
  • एम.कॉम. का 1 मामला

इसके अतिरिक्त, पुराने पाठ्यक्रमों से संबंधित कुल 294 मामलों में संबद्धता प्रदान की गई है।

“गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता हमारी प्राथमिकता” – कुलपति प्रो. पूनम टंडन

बैठक के बाद कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि, “विश्वविद्यालय की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि संबद्धता प्रक्रिया में गुणवत्ता, पारदर्शिता और समयबद्धता बनी रहे। संबद्धता प्रक्रिया को पूरी निष्पक्षता के साथ संचालित किया जा रहा है, जिससे क्षेत्रीय स्तर पर शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो।”

उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए, विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा को अधिक सुलभ, समावेशी और नवाचारपूर्ण बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। यह निर्णय क्षेत्रीय शिक्षा को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।



गो गोरखपुर ब्यूरो

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