दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग ने नए छात्रों के लिए दीक्षारंभ कार्यक्रम का आयोजन किया। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने छात्रों को कैंपस लाइफ पूरी लगन से जीने की सलाह दी। इस कार्यक्रम में मौखिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर भी चर्चा हुई।
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग ने कला संकाय में नए स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए ‘दीक्षारंभ’ कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य नए छात्रों को विश्वविद्यालय के शैक्षिक और सह-शैक्षणिक माहौल से परिचित कराना था। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने छात्रों को कैंपस जीवन का पूरी लगन और आनंद के साथ अनुभव करने की सलाह दी, जबकि कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो. राजवंत राव ने शिक्षकों से छात्रों को जीवन में असफलता का सामना करना सिखाने पर जोर दिया, ताकि वे मानसिक रूप से मजबूत बन सकें। कार्यक्रम में मौखिक स्वच्छता और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर भी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई, जिससे छात्रों को उनके नए शैक्षणिक सफर के लिए तैयार किया जा सके।
नए छात्रों का स्वागत और विभाग का गौरवपूर्ण इतिहास
दीक्षारंभ कार्यक्रम का शुभारंभ अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. राजवंत राव, सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. रजनीश पांडे और विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुनीता मुर्मू ने दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अमोद कुमार राय ने किया। विभागाध्यक्ष प्रोफेसर सुनीता मुर्मू ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि अंग्रेजी विभाग 1956 में विश्वविद्यालय की स्थापना के समय के शुरुआती 6 विभागों में से एक था। इस विभाग ने समाज को कई सफल व्यक्तित्व दिए हैं और यहां पठन-पाठन के साथ-साथ कई पाठ्य सहगामी गतिविधियां भी आयोजित की जाती हैं।

छात्र कल्याण और मौखिक स्वास्थ्य पर विशेष जानकारी
सहायक अधिष्ठाता छात्र कल्याण, प्रोफेसर बीना बत्रा कुशवाहा ने छात्रों के कल्याण और विकास के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उनके साथ आए प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डॉ. रजनीश पांडे ने छात्रों को व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से मौखिक स्वच्छता (oral hygiene) का महत्व समझाया। उन्होंने छात्रों से पान, गुटखा और तंबाकू का सेवन न करने का आग्रह किया, क्योंकि भारत में हर साल 2% मुंह के कैंसर के मामले इन्हीं कारणों से सामने आते हैं। इसके बाद, प्रोफेसर गौर हरी बेहरा ने छात्रों को सीबीसीएस प्रणाली और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बारे में जानकारी दी, जिससे उन्हें अपने मुख्य और वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के चयन में मदद मिल सके।
सकारात्मक माहौल और असफलताओं का सामना करने की सीख
कला संकाय के अधिष्ठाता, प्रोफेसर राजवंत राव ने छात्रों से बातचीत करते हुए एक महत्वपूर्ण बात कही। उन्होंने कहा कि आज के समय में छात्रों को रिजेक्शन या असफलता का सामना करना सिखाना सबसे ज्यादा जरूरी है। उन्होंने बताया कि कई बार छात्र खुद को अकेला और कमजोर महसूस करते हैं, जिसके चलते वे आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। इसलिए शिक्षकों को छात्रों के साथ सकारात्मक माहौल में पठन-पाठन करना चाहिए। स्नातकोत्तर द्वितीय वर्ष की छात्रा अंजली सिंह ने भी अपने अनुभव साझा किए और विभाग के सौहार्दपूर्ण वातावरण तथा उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सराहना की।
कुलपति का संबोधन और विभाग की प्रशंसा
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने अंग्रेजी विभाग की प्रशंसा करते हुए इसे कला संकाय के सबसे जीवंत (vibrant) विभागों में से एक बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व में अजय शुक्ला जी ने इस विभाग को आगे बढ़ाया और अब सुनीता मुर्मू जी इस विरासत को आगे ले जा रही हैं। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे तनाव से दूर रहकर कैंपस जीवन का पूरा आनंद लें, क्योंकि ये दिन ही आगे चलकर सबसे ज्यादा याद आएंगे। उन्होंने कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए डॉ. अमोद कुमार राय को विशेष धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में विभाग के सभी शिक्षक, जैसे प्रो. हुमा जावेद, प्रो. आलोक कुमार, प्रो. अजय कुमार शुक्ल, प्रो. शिखा सिंह, प्रो. अवनीश राय, डॉ. पंकज सिंह और डॉ. कल्पना दिवाकर भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम के सफल आयोजन में स्नातकोत्तर छात्रों सुंदरम, गौरव, राज वैभव, हर्षिता, तंजीम, अंजली, लक्ष्मी मिश्रा और अनुष्का का विशेष योगदान रहा। अंत में, डॉ. कल्पना दिवाकर ने सभी अतिथियों और छात्रों का धन्यवाद ज्ञापन किया, और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
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