गोरखपुर: गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) की महत्वाकांक्षी ‘नया गोरखपुर योजना’ ज़मीन अधिग्रहण की समस्या से जूझ रही है। परियोजना को साकार करने की दिशा में किसानों से पर्याप्त ज़मीन की सहमति नहीं मिल पा रही है, जिससे प्राधिकरण अब अनिवार्य अधिग्रहण का रास्ता अपना रहा है। योजना के तहत कुल 24 गाँवों को परियोजना क्षेत्र में शामिल किया गया है, जिनमें से अधिकतर गाँव पिपराइच विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
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पहले चरण में कुसम्ही क्षेत्र में कोनी समेत तीन गाँवों में 600 एकड़ से अधिक ज़मीन अनिवार्य अर्जन के माध्यम से लेने का निर्णय लिया गया था, जिसकी प्रक्रिया अंतिम चरण में है, लेकिन अभी भी ज़मीन की कमी बनी हुई है।
उत्तर दिशा के गाँवों पर अब जीडीए की नज़र
परियोजना के लिए ज़मीन की कमी को देखते हुए, जीडीए ने अब उत्तर दिशा के तीन अन्य गाँवों पर ध्यान केंद्रित किया है। प्राधिकरण ने बालापार, रहमतनगर और मानीराम गाँवों में लगभग 400 एकड़ ज़मीन अनिवार्य रूप से अर्जित करने की तैयारी शुरू कर दी है। इन गाँवों में गुरुकुल सिटी विकसित करने की योजना है।
जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने बताया कि किसानों से कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सहमति नहीं बन पाई है। यही कारण है कि अब कानूनी प्रक्रिया के तहत ज़मीन अधिग्रहण किया जाएगा। अनुमान है कि ज़मीन के अनिवार्य अर्जन की इस प्रक्रिया में करीब एक वर्ष का समय लग सकता है।
मुआवज़े को लेकर किसान असंतुष्ट, 4 गुना दर की मांग
ज़मीन अधिग्रहण के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा मुआवज़े की दरें बनी हुई हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त मुआवज़ा नहीं दिया जा रहा है। उनका तर्क है कि शहर के बाहरी क्षेत्रों में ज़मीन की कीमतें तेज़ी से बढ़ी हैं, जबकि सर्किल रेट में वर्ष 2016 से कोई वृद्धि नहीं हुई है। किसान पुराने दर पर ज़मीन देने को तैयार नहीं हैं। वे माँग कर रहे हैं कि सर्किल रेट में संशोधन किया जाए और उन्हें संशोधित दर के आधार पर चार गुना मुआवज़ा दिया जाए।
किसानों की यह मांग ज़मीन अधिग्रहण की प्रक्रिया को और जटिल बना रही है। बालापार क्षेत्र में प्रस्तावित गुरुकुल सिटी के लेआउट को भी बोर्ड बैठक में रखे जाने की तैयारी है, लेकिन ज़मीन मिलने पर ही परियोजना आगे बढ़ पाएगी।


