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गोरखपुर: डिसेंट अस्पताल के फर्जीवाड़े में बड़ी कार्रवाई, मुख्य सहयोगी ऋषभ सिंह पकड़ा गया

गोरखपुर: डिसेंट अस्पताल के फर्जीवाड़े में बड़ी कार्रवाई, मुख्य सहयोगी ऋषभ सिंह पकड़ा गया

गोरखपुर: फर्जी हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम घोटाले में पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। रामगढ़ताल पुलिस ने शुक्रवार को इस बड़े फर्जीवाड़े में शामिल डिसेंट अस्पताल संचालक शुमशुल कमर के प्रमुख सहयोगी ऋषभ सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि यह गिरोह न केवल निजी बीमा कंपनियों को, बल्कि आयुष्मान भारत फर्जीवाड़ा के तहत भी बिना इलाज किए फर्जी भर्ती, नकली दस्तावेज और मनगढ़ंत बिलिंग बनाकर करोड़ों रुपये का भुगतान ले रहा था।

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बिना भर्ती के निकाल लिया ₹1.20 करोड़ का क्लेम

इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब बीते नौ सितंबर को बजाज आलियांज जनरल हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, तारामंडल स्थित डिसेंट और एपेक्स अस्पतालों में दर्जनों फर्जी मरीज दिखाकर बीमा कंपनियों से 1.20 करोड़ रुपये का बीमा क्लेम अवैध रूप से निकाल लिया गया था। मामला तब और गंभीर हो गया जब एक परिवार ने बताया कि उनका रोगी कभी अस्पताल में भर्ती ही नहीं हुआ, जबकि अस्पताल के दस्तावेजों में उसका पूरा इलाज, जांच और दवाएं दिखा दी गई थीं।

सीसी कैमरा फुटेज और रजिस्टर से नहीं हुआ मिलान

पुलिस ने शिकायत के बाद अस्पताल से फाइलें, बिल और डिजिटल रिकॉर्ड कब्जे में लेकर जांच शुरू की तो फर्जीवाड़े का बड़ा नेटवर्क सामने आया। पुलिस ने पाया कि कई मरीजों का न तो अस्पताल के प्रवेश रजिस्टर में कोई रिकॉर्ड था और न ही अस्पताल का सीसी कैमरा फुटेज उनकी उपस्थिति की पुष्टि कर रहा था। जांच में यह भी पता चला कि गिरोह केवल निजी हेल्थ इंश्योरेंस तक ही सीमित नहीं था, बल्कि आयुष्मान भारत फर्जीवाड़ा योजना के तहत भी लोगों को बिना भर्ती किए ही उनके आयुष्मान कार्ड पर उपचार दिखाकर सरकारी रुपये की वसूली कर रहा था।

व्हाट्सएप चैट से खुला फर्जीवाड़े का पूरा नेटवर्क

गिरफ्तार आरोपी ऋषभ सिंह शाहपुर के जेल बाईपास रोड का रहने वाला है और पहले भी शहर के कई निजी अस्पतालों में फर्जी दस्तावेज बनाने और क्लेम बढ़ाने का काम कर चुका है। एसओ रामगढ़ताल नितिन रघुनाथ ने बताया कि ऋषभ का नेटवर्क केवल डिसेंट अस्पताल तक सीमित नहीं था, बल्कि वह कई अन्य अस्पतालों में भी इसी तरह की संदिग्ध भूमिका निभा रहा था।

पुलिस को ऋषभ के मोबाइल की फोरेंसिक जांच में ठगी के पुख्ता सबूत मिले हैं। अस्पताल संचालक शुमशुल कमर और ऋषभ सिंह के बीच हुई व्हाट्सएप चैट में फर्जी मरीजों के नाम, झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने और बिना भर्ती किए इलाज दिखाने की पूरी योजना दर्ज मिली है। पुलिस अब इस चैट की टेक्निकल जांच के आधार पर नेटवर्क में शामिल अन्य लोगों की तलाश कर रही है।

गो गोरखपुर ब्यूरो

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