कैंची धाम के वो ‘बाबा’ जिन्हें स्टीव जॉब्स और जुकरबर्ग भी मानते थे गुरु! जानें उनके अविश्वसनीय चमत्कार!

जानें नीम करोली बाबा और कैंची धाम के चमत्कारों की कहानी, स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग जैसे दिग्गजों को कैसे मिला मार्गदर्शन। बुलेटप्रूफ कंबल और भविष्यवाणियों के हैरान कर देने वाले किस्से।
नमस्ते! मैं प्रिया! …आज मैं आपको कैंची धाम और नीम करोली बाबा के बारे में कुछ अविश्वसनीय कहानियाँ सुनाने जा रही हूँ, जो मुझे खुद बहुत प्रभावित करती हैं। यह कहानी एक ऐसे बाबा की है जो खुद को कभी भगवान नहीं मानते थे, लेकिन दुनिया के सबसे जाने-माने और ताकतवर लोग उन्हें अपना गुरु मानते थे। एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स से लेकर फेसबुक के मार्क जुकरबर्ग तक, सभी उन्हें अपना आध्यात्मिक पथप्रदर्शक मानते थे।

कैंची धाम: वो जगह जहाँ चमत्कारों ने जन्म लिया
खुद स्टीव जॉब्स ने बताया था कि वे नीम करोली बाबा को बहुत पहले से अपना गुरु मानते थे और उनसे उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला। एक बार, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूएस में फेसबुक के हेडक्वार्टर पहुँचे, तो मार्क जुकरबर्ग ने बाकायदा उनसे ज़िक्र किया कि करीब 10 साल पहले जब वे फेसबुक को लेकर बेहद परेशान थे, तब स्टीव जॉब्स ने उन्हें सलाह दी थी कि वे भारत जाएँ और उत्तराखंड में कैंची धाम जाकर नीम करोली बाबा से मिलें।
मार्क जुकरबर्ग स्टीव जॉब्स के कहने पर भारत आए और करीब एक महीना रुके। वे उत्तराखंड के नीम करोली बाबा के उस कैंची धाम पहुँचे, हालाँकि जब वे पहुँचे थे तब बाबा को समाधि लिए 32 साल हो चुके थे। मार्क जुकरबर्ग सिर्फ एक किताब लेकर वहाँ पहुँचे थे, बिना किसी कपड़े या अन्य सामान के। उन्हें एक दिन रुकना था, लेकिन मौसम खराब होने और तूफान-बारिश के कारण उन्हें दो दिन रुकना पड़ा। मार्क ने बाद में कहा कि उन दो दिनों के बाद से उनकी सारी चीज़ें बदलनी शुरू हो गईं।
सिर्फ ये ही नहीं, हॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स भी लगातार आकर नीम करोली बाबा के इस कैंची धाम में ना मालूम कितने दिन गुज़ारे हैं। हमारे पूर्व केंद्रीय मंत्री गोविंद बल्लभ पंत और नारायण तिवारी का परिवार भी यहां आता था।
कौन थे नीम करोली बाबा?
बाबा नीम करोली का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गाँव में करीब 1900 के आसपास हुआ था और उन्होंने 11 सितंबर 1973 को अपने शरीर का त्याग किया, यानी समाधि ली।
उनकी कहानी 1940 के आसपास शुरू होती है, जब वे उत्तराखंड में भवाली से कुछ किलोमीटर दूर एक छोटी सी घाटी के पास पहुँचे और सड़क किनारे बैठे थे। दूर पहाड़ी पर उन्हें एक शख्स पूरन दिखाई दिया, जिसे उन्होंने आवाज़ देकर बुलाया। पूरन हैरान था क्योंकि उसने बाबा को कभी देखा नहीं था, फिर भी बाबा उसका नाम कैसे जानते थे? बाबा ने कहा, “मैं तुम्हें कई जन्मों से जानता हूँ, तुम ये सब छोड़ो, मुझे भूख लगी है, घर से खाना ले आओ।”
पूरन घर गया, दाल-रोटी लेकर आया और बाबा को खिलाया। खाना खाने के बाद बाबा ने पूरन से दो-चार और गाँव वालों को लाने को कहा। फिर वे सब एक छोटी सी नदी पार कर जंगल पहुँचे। एक जगह इशारा करते हुए बाबा ने पूरन और दूसरों से कहा कि इस पत्थर को खोदो, इसके पीछे एक गुफा है। पूरन हैरान था, क्योंकि उसने पूरी बचपन वहीं गुजारी थी और उसे कभी किसी गुफा के बारे में नहीं पता चला था। लेकिन खुदाई शुरू हुई और वाकई एक पत्थर हटा, जिसके पीछे एक गुफा दिखाई दी। गाँव वाले चौंक गए। गुफा के अंदर एक धुनी और चिमटा भी मिला, जैसे अभी-अभी रखा गया हो।
बाबा ने बताया कि यह जगह हनुमान जी की है और यहाँ हनुमान जी विराजेंगे। उन्होंने नदी के पानी से जगह का शुद्धिकरण करवाया और हनुमान जी को विराजमान किया। बाबा ने बताया कि यह जगह सोमवारी बाबा की तपस्थली है। धीरे-धीरे वह जगह मशहूर होती गई और बाद में यही वह जगह है जिसे कैंची धाम के नाम से प्रसिद्धि मिली, जहाँ दुनिया भर के भक्त पहुँचते हैं।
चमत्कारों के किस्से: कुछ अविश्वसनीय घटनाएँ
नीम करोली बाबा की जिंदगी के साथ बड़े सारे चमत्कार के किस्से जुड़े हुए हैं, जिनमें से कुछ मैं आपको सुनाता हूँ:
- गोविंद बल्लभ पंत का ‘पुनर्जन्म’: एक बार खबर आई कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गोविंद बल्लभ पंत का निधन हो गया है, वे बीमार थे। यह बात जब बाबा तक पहुँची, तो उन्होंने कहा कि “यह गलत खबर है, क्योंकि अभी गोविंद बल्लभ पंत का वक्त नहीं आया, अभी उसे और जीना है।” वाकई, पंत ठीक हुए और उसके बाद भी उन्होंने काफी लंबा जीवन जिया।
- बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति का भविष्य: एक बार नीम करोली बाबा दिल्ली में बिरला मंदिर में ठहरे हुए थे। वहाँ उनसे मिलने कई भक्त आए, जिनमें कुछ बांग्लादेशी भी थे। एक बांग्लादेशी शख्स परेशान होकर बाबा के पास आया, इससे पहले कि वह कुछ कहता, बाबा ने खुद ही उससे कहा, “तुम परेशान मत हो, तुम्हारा भाई दुश्मनों की कैद से जल्दी बाहर निकलेगा और वह अपने देश का शहंशा बनेगा, अपने देश पर राज करेगा।” यह सुनकर वह शख्स और ज्यादा परेशान हो गया क्योंकि उसका भाई शेख मुजीबुर रहमान उस वक्त पाकिस्तान की मियांवाली जेल में कैद था और उसे फाँसी की सज़ा दी गई थी। लेकिन बाद में जंग छिड़ी, बांग्लादेश का जन्म हुआ और शेख मुजीबुर रहमान बांग्लादेश के पहले राष्ट्रपति बने। यह बात बाबा ने उनके भाई से काफी पहले कही थी।
- बुलेटप्रूफ कंबल की कहानी: 1943 की यह घटना है। बाबा अचानक फतेहगढ़, यूपी में एक बुजुर्ग दंपति के घर पहुँचे। वे बाबा के बड़े भक्त थे। बाबा रात भर एक कंबल में सोए और कराते रहे, जैसे उन्हें कोई मार रहा हो। सुबह बाबा ने वह कंबल दंपति को लपेटकर दिया और कहा कि इसे गंगा में बहा देना, लेकिन खोलना मत। उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा, जो बर्मा फ्रंट पर युद्ध लड़ रहा था, एक महीने में घर लौट आएगा। जब दंपति कंबल को ले जा रहे थे, तो उन्हें लगा कि उसमें लोहे की कुछ चीज़ें हैं, लेकिन उन्होंने बाबा की आज्ञा मानकर उसे खोला नहीं और गंगा में बहा दिया। ठीक एक महीने बाद उनका बेटा सकुशल घर लौट आया। उसने बताया कि ठीक एक महीने पहले, जिस रात बाबा उनके घर पर थे, जापानी सैनिकों ने हमला कर दिया था। रात भर गोलियाँ चलती रहीं, उसके साथी मारे गए, लेकिन उसे एक भी गोली नहीं लगी। सुबह ब्रिटिश सेना के आने से उसकी जान बच गई। दंपति को तब एहसास हुआ कि वह कंबल दरअसल उनके बेटे के लिए ‘बुलेटप्रूफ’ बन गया था और बाबा उस रात खुद अपने शरीर पर अपने बेटे की तकलीफ झेल रहे थे।
नीम करोली बाबा के साथ ऐसे अनगिनत चमत्कार के किस्से जुड़े हैं, जिन पर रिचर्ड अल्पर्ट (रामदास) ने ‘मिरेकल ऑफ लव’ नामक किताब भी लिखी है।
अगर आपको कभी उत्तराखंड जाने का मौका मिले, तो कैंची धाम ज़रूर होकर आइए। यह एक बहुत ही खूबसूरत और आध्यात्मिक जगह है, जहाँ आज भी बाबा के करोड़ों भक्त दुनिया भर से आते हैं, जिनमें स्टीव जॉब्स, मार्क जुकरबर्ग और जूलिया रॉबर्ट्स जैसी हस्तियाँ भी शामिल हैं।
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