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रामगढ़ताल की लहरों के बीच होगा बैंबू रेस्टोरेंट, एक छोटा टापू भी होगा तैयार

रामगढ़ताल की लहरों के बीच होगा बैंबू रेस्टोरेंट, एक छोटा टापू भी होगा तैयार

गोरखपुर: रामगढ़ताल की सुंदरता और आकर्षण को एक नया आयाम देने की तैयारी चल रही है। गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) पर्यटकों के लिए रामगढ़ताल की लहरों के बीच एक अनोखा बैंबू रेस्टोरेंट (बांस का रेस्तरां) बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह रेस्टोरेंट प्राकृतिक वातावरण के बीच लोगों को स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेने का अवसर देगा। जीडीए का मानना है कि असम और केरल जैसे राज्यों में लोकप्रिय इस तरह का रेस्टोरेंट गोरखपुर के पर्यटन को भी बढ़ावा देगा।

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नया सवेरा पार्ट टू के पास बनेगा बैंबू रेस्टोरेंट और छोटा टापू

जीडीए की योजना के अनुसार, बैंबू रेस्टोरेंट ‘नया सवेरा पार्ट टू’ के पास बनाया जाएगा। रेस्टोरेंट के साथ ही एक छोटा टापू भी तैयार करने की योजना है, जिससे पर्यटकों को और अधिक प्राकृतिक माहौल का अनुभव मिल सके। इस रेस्टोरेंट तक पर्यटकों की आसान पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक पतला मार्ग भी तैयार किया जाएगा। वर्तमान में इस परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।

पक्का निर्माण नहीं, पूरी तरह बांस की होगी संरचना

चूँकि रामगढ़ताल के इस क्षेत्र में पक्का निर्माण कार्य करना संभव नहीं है, इसलिए रेस्टोरेंट को पूरी तरह से प्राकृतिक और बांस (बैंबू) की संरचना में तैयार किया जाएगा। रेस्टोरेंट के लिए उस स्थान को चुना गया है जहाँ वर्तमान में मछली पकड़ने का ठेका दिया जाता है। हालांकि, रेस्टोरेंट निर्माण के बाद मछली पकड़ने की गतिविधि को ताल के दूसरी ओर यानी सहारा एस्टेट की दिशा में स्थानांतरित किया जाएगा। जीडीए उपाध्यक्ष आनंद वर्द्धन ने बताया कि यह पहल रामगढ़ताल के आकर्षण को कई गुना बढ़ा देगी।

डीपीआर के बाद शासन को भेजा जाएगा प्रस्ताव

परियोजना की डीपीआर तैयार होने के बाद इसे जिला स्तरीय समिति से स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा। जिला स्तरीय समिति से मंजूरी मिलने के उपरांत बैंबू रेस्टोरेंट के निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद इस अनूठी परियोजना पर निर्माण कार्य शुरू हो सकेगा।


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Amit Srivastava

Amit Srivastava

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गोरखपुर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से अध्ययन. Amit Srivastava अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान के साथ करीब डेढ़ दशक तक जुड़े रहे. गोरखपुर शहर से जुड़े मुद्दों पर बारीक नज़र रखते हैं.

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