Gorakhpur: गोरखपुर, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय शीतकालीन कार्यशाला ‘दर्शन एवं योग’ का समापन हुआ. कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में आयोजित इस कार्यशाला के अंतिम दिन मुख्य वक्ता भटवली महाविद्यालय, गोरखपुर के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के सेवानिवृत्त आचार्य डॉ. बलवान सिंह रहे. कार्यशाला के अंतिम दिन सुबह योग प्रशिक्षण डॉ. विनय कुमार मल्ल द्वारा दिया गया.
दूसरे सत्र की शुरुआत सुबह 10 बजे डॉ. बलवान सिंह के व्याख्यान से हुई, जिसका विषय था “नाथ सम्प्रदाय में योग”. उन्होंने नाथ परंपरा में योग के मूल तत्वों और उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों की व्याख्या की. डॉ. सिंह ने कहा कि नाथ सम्प्रदाय का अंतिम लक्ष्य शिवत्व की प्राप्ति है. उन्होंने सफल योग साधना के लिए शुद्ध मन के महत्व पर बल दिया.
गोरखनाथ के अमनस्क योग का संदर्भ देते हुए उन्होंने बताया कि मन की शांति विचारों के क्रमिक शुद्धिकरण से प्राप्त होती है. हमारे कर्म हमारे मन को विकृत कर सकते हैं और दुख का कारण बन सकते हैं, लेकिन जीवन स्वभाव से आनंदमय है. गोरखनाथ हमें आनंदमय और संतुलित जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं. डॉ. सिंह ने आशा व्यक्त की कि शोध संस्थान बौद्धिक विमर्श और आध्यात्मिक अनुभव दोनों का केंद्र बने.
समापन समारोह का शुभारंभ माननीया कुलपति प्रो. पुनम टण्डन, मुख्य अतिथि डॉ. बलवान सिंह, एवं अधिष्ठाता, छात्र कल्याण प्रो. अनुभूति दुबे द्वारा गुरु गोरखनाथ के चित्र पर पुष्प अर्पित कर तथा दीप प्रज्जवलित कर किया गया. इसके पश्चात शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र जी ने अतिथियों का स्वागत किया एवं कार्यशाला का विवरण प्रस्तुत किया.
इसी अवसर पर विष्णु प्रसाद जालान द्वारा शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी 50 पुस्तकें शोधपीठ के पुस्तकालय को प्रदान की गईं. समारोह में शोधपीठ के सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह द्वारा लिखित एवं डिस्काउंट ग्रुप पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित नाथपंथ पुस्तक का विमोचन भी किया गया. योग के विद्यार्थियों द्वारा सामूहिक एवं एकल योगासनों की मनमोहक प्रस्तुतियाँ दी गईं. प्रो. अनुभूति दुबे ने बच्चों के प्रयासों की प्रशंसा की.
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टण्डन ने कहा कि पूरे विश्व ने योग के लाभों को मान्यता दी है और इसका प्रचार-प्रसार पूरे विश्व में चल रहा है. योग एक कौशल भी है जिससे रोज़गार के अवसर भी बढ़ रहे हैं. शोधपीठ अपने कार्यक्रमों के माध्यम से इसे लोकप्रिय बना रहा है. उन्होंने कहा कि शोधपीठ को ऐसे कार्य करते रहना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि शोधपीठ विश्वकोश पर भी कार्य कर रहा है.
कार्यक्रम का संचालन शोधपीठ की सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह ने किया. इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न शिक्षकों सहित डॉ. सत्यपाल सिंह, डॉ. शैलेश सिंह, डॉ. आमोद राय, डॉ. संजय कुमार राम, डॉ. संजय कुमार तिवारी, डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी, डॉ. कुलदीपक शुक्ल, डॉ. मीतू सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार, वरिष्ठ शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल, सौरभ सिंह आदि एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे. कार्यशाला के समापन के अवसर पर कार्यशाला सहभागिता का प्रमाण पत्र एवं निबंध प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरित किए गए. इस कार्यशाला में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक की शोध छात्रा मीनाक्षी मेहर ने भी भाग लिया.