गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के महिला अध्ययन केंद्र एवं गृह विज्ञान विभाग द्वारा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय, ब्लॉक चारगांव की बालिकाओं के साथ संयुक्त रूप से एक विशेष एवं प्रेरक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस वर्ष के वैश्विक विषय “The Girl I am, the Change I lead: Girls on the frontlines of crisis” (मैं जो हूँ वही मेरी पहचान है, परिवर्तन की अगुआ मैं हूँ संकट की घड़ी में अग्रिम पंक्ति की बालिकाएँ) के अनुरूप यह कार्यक्रम बालिकाओं की नेतृत्व क्षमता, शिक्षा, आत्मनिर्भरता और समाज में उनकी सशक्त भूमिका पर केंद्रित रहा। इस आयोजन में वीएस फाउंडेशन ने बालिकाओं में स्वच्छता एवं आत्मनिर्भरता की जागरूकता बढ़ाने के लिए सहयोग किया, जिसके तहत सेनेटरी पैड वितरण भी किया गया।

कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया बालिकाओं को भविष्य का निर्माता
कार्यक्रम की अभिभावक (Patron) विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन रहीं, जिन्होंने अपने संदेश से बालिकाओं को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि, “बालिकाएँ केवल समाज की नहीं, बल्कि भविष्य की निर्माता हैं। प्रत्येक बालिका में अपार संभावनाएँ निहित हैं, आवश्यकता है उन्हें अवसर और दिशा देने की।” उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे आयोजनों की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ये प्रयास छात्राओं में सामाजिक उत्तरदायित्व और नेतृत्व भावना का विकास करते हैं, जो एक संवेदनशील समाज निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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आत्मनिर्भरता, जीवन कौशल और आत्मरक्षा पर जागरूकता
इस कार्यक्रम का संयोजन गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष प्रो. दिव्या रानी सिंह ने किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में बालिका सशक्तिकरण को समानता और समृद्धि की दिशा में एक ठोस कदम बताया। उन्होंने कहा कि, “बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाना, उन्हें सुरक्षित और शिक्षित करना ही सच्चा उत्सव है।” प्रो. सिंह ने छात्राओं को जीवन कौशल, आत्मरक्षा, और स्वच्छता के प्रति जागरूक होने का संदेश दिया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य समाज में बालिकाओं के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और समान अवसरों के प्रति जागरूकता फैलाना रहा।
वीएस फाउंडेशन के सहयोग से सेनेटरी पैड वितरण
इस आयोजन में वीएस फाउंडेशन का उल्लेखनीय सहयोग रहा। फाउंडेशन की निदेशक श्रीमती संगीता मल्ल एवं श्रीमती रंजीता सिंह ने कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने बालिकाओं के साथ मासिक धर्म स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं आत्मदेखभाल (Self-Care) के महत्व पर खुलकर संवाद किया। फाउंडेशन की ओर से सेनेटरी पैड वितरण भी किया गया, जिससे बालिकाओं में स्वच्छता के प्रति जागरूकता के साथ-साथ आत्मविश्वास भी बढ़ा। श्रीमती संगीता मल्ल ने ग्रामीण बालिकाओं में मासिक धर्म के विषय में झिझक मिटाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, तभी सच्चा स्वास्थ्य और सम्मान संभव है।
बालिकाओं ने गीतों, कविताओं में दिया सशक्तिकरण का संदेश
कस्तूरबा विद्यालय की बालिकाओं ने अपनी सृजनात्मकता और आत्मविश्वास से सभी को प्रभावित किया। बालिकाओं ने विभिन्न प्रस्तुतियों के माध्यम से शिक्षा, समानता, आत्मनिर्भरता और नारी गरिमा का सशक्त संदेश दिया। इनमें नैन्सी निषाद ने कविता, अंजलि ने गीत प्रस्तुत किया, जबकि लक्ष्मी ने सांकेतिक भाषा का उपयोग करते हुए राष्ट्रगान प्रस्तुत किया। बालिकाओं ने अपने अनुभवों को भी साझा किया, जिसने उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को प्रबल करने का एक प्रभावशाली प्रयास साबित किया। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षकगण, शोधार्थी, छात्राएँ तथा कस्तूरबा विद्यालय की शिक्षिकाएं रीता यादव एवं सीमा सिंह उपस्थित रहीं।