₹1 का सिक्का बनाने में सरकार को ₹1.11 की लागत आती है, जिससे ₹0.11 का नुकसान होता है। मुंबई और हैदराबाद की टकसालों में बनते हैं सिक्के।
नई दिल्ली: हमारी जेब में अक्सर रहने वाले एक रुपये के छोटे से सिक्के की लागत जानकर आप हैरान रह जाएंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा पहले दी गई जानकारी के अनुसार, एक रुपये का सिक्का बनाने में सरकार को करीब 1.11 रुपये की लागत आती है। इसका मतलब है कि प्रत्येक एक रुपये के सिक्के पर सरकार को लगभग 11 पैसे का नुकसान होता है।
सिर्फ ₹1 का ही नहीं, अन्य सिक्कों का भी यही हाल
यह मामला सिर्फ एक रुपये के सिक्के तक ही सीमित नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, अन्य सिक्कों की लागत भी उनकी अंकित कीमत से अधिक है। उदाहरण के लिए, दो रुपये का सिक्का बनाने में लगभग 1.28 रुपये की लागत आती है। यह दिखाता है कि सिक्कों के उत्पादन में सरकार को समग्र रूप से वित्तीय बोझ उठाना पड़ता है।
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कहाँ और कैसे बनते हैं सिक्के?
भारत में सिक्कों का निर्माण भारत सरकार के तहत चलने वाली टकसालों में होता है। मुख्य रूप से मुंबई और हैदराबाद में स्थित टकसालें देश भर में चलने वाले सिक्कों का निर्माण करती हैं। इन टकसालों में विभिन्न धातुओं और प्रक्रियाओं का उपयोग करके सिक्कों को ढाला जाता है, ताकि वे चलन में आ सकें।
यह जानकारी एक रुपये के सिक्के के पीछे छिपी आर्थिक सच्चाई बताती है, जो अक्सर हमारे दैनिक जीवन का एक सामान्य हिस्सा होता है।
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