गोरखपुर: तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के बाद, मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT), गोरखपुर अब चिकित्सा संकाय (स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज) शुरू करने की तैयारी में है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतरानुशासनिक और बहु-विषयक शिक्षा के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो पारंपरिक विषय-आधारित सीमाओं को तोड़कर शिक्षा को अधिक समावेशी और प्रासंगिक बनाने पर जोर देती है।
मुख्यमंत्री की अपेक्षा और विश्वविद्यालय की योजना
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई प्राविधिक शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में तकनीकी शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई निर्देश दिए गए थे। इनमें से एक महत्वपूर्ण निर्देश यह भी था कि “प्राविधिक शिक्षा विभाग में इंटर-डिसिप्लिनरी कोर्स (मेडिकल साइंस) खोलने का प्रयास किया जाए।” इसी निर्देश को ध्यान में रखते हुए MMMUT ने अपना चिकित्सा संकाय शुरू करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।
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इस योजना को मूर्त रूप देने के लिए विश्वविद्यालय ने प्रो. वी. के. गिरि, अधिष्ठाता छात्र मामले को समन्वयक नियुक्त किया है। प्रो. गिरि चिकित्सा संकाय शुरू करने के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार करेंगे, जिसे विश्वविद्यालय के सांविधिक निकायों की आगामी बैठकों में प्रस्तुत किया जाएगा। प्रारंभिक औपचारिकताएं पूरी होने के बाद, नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) में MBBS पाठ्यक्रम की मान्यता के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। NMC की सहमति मिलने के बाद ही पाठ्यक्रम आरंभ होगा। शुरुआत में MBBS की 100 सीटों की मान्यता के लिए आवेदन किया जाएगा।
भविष्य की विस्तृत योजना
MMMUT की योजना पहले MBBS पाठ्यक्रम शुरू करने की है, जिसके बाद भविष्य में BDS, BBA इन हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन, BSc नर्सिंग, BSc मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, विभिन्न विशेषज्ञताओं में MD, MS, MDS सहित विभिन्न डिप्लोमा/सर्टिफिकेट कोर्स जैसे साइकोलॉजिकल मेडिसिन, पब्लिक हेल्थ, ऑर्थोपेडिक्स, इंडस्ट्रियल हाइजीन, डायबिटोलॉजी, चाइल्ड हेल्थ, एनेस्थीसिया, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, मेडिकल रेडियोलॉजी, ऑप्थॉलमोलॉजी, क्लिनिकल पैथोलॉजी, ऑब्सट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी, डर्मेटोलॉजी आदि भी चलाए जाएंगे।
MBBS पाठ्यक्रम स्ववित्तपोषित योजना (Self-Financed Scheme) के तहत शुरू किया जाएगा, हालांकि वार्षिक फीस अभी निर्धारित नहीं की गई है। MBBS पाठ्यक्रम के संचालन के लिए एक अस्पताल का होना आवश्यक है। विश्वविद्यालय की योजना किसी सरकारी अस्पताल के साथ मिलकर यह पाठ्यक्रम शुरू करने की है। इसकी संभावना तलाशने के लिए समन्वयक प्रो. वी. के. गिरि को गोरखपुर जिला चिकित्सालय, राजकीय क्षय रोग चिकित्सालय और मुख्य चिकित्सा अधिकारी से संपर्क स्थापित करने के निर्देश दिए गए हैं।
इंजीनियरिंग और चिकित्सा का संगम
प्रस्तावित चिकित्सा संकाय केवल चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रम संचालित नहीं करेगा, बल्कि एक इंजीनियरिंग-आधारित मेडिकल स्कूल के रूप में, इसका उद्देश्य चिकित्सा समस्याओं के बारे में सोचने के लिए इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को एकीकृत करना है। वर्तमान में, इंजीनियरों और डॉक्टरों के सोचने के तरीके में काफी भिन्नता है। चिकित्सा समस्याओं का निदान करने और इंजीनियरिंग मानसिकता के साथ नए, रचनात्मक समाधान और उपचार विकसित करने के लिए इन दोनों क्षेत्रों का समन्वय समय की मांग है। स्नातक छात्रों को नैदानिक उपकरण, नैनो टेक्नोलॉजी, बायोमटेरियल, टेलीमेडिसिन और अन्य क्षेत्रों में अभिनव लेकिन चिकित्सकीय रूप से सार्थक आविष्कार करने की आवश्यकता होगी।
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बिग डेटा, व्यक्तिगत चिकित्सा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के युग में, विशेष रूप से चिकित्सा के क्षेत्र में इंजीनियरिंग का महत्व बढ़ रहा है। कार्डियोवैस्कुलर बायोइंजीनियरिंग के क्षेत्र में, इंजीनियरों ने रक्त प्रवाह के रोगी-विशिष्ट कंप्यूटर मॉडल बनाए हैं, जो डॉक्टरों को हृदय रोग का निदान और उपचार करने में मदद करते हैं। ये अभूतपूर्व आविष्कार केवल शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और इंजीनियरों की बहु-विषयक टीमों के योगदान से ही संभव हैं।
यह भी उल्लेखनीय है कि MMMUT में पहले से ही इस क्षेत्र में अनुसंधान चल रहा है, जैसे ECG रिकॉर्डिंग का डिजाइन और विकास, HRV विश्लेषण, टेलीमेडिसिन, डेटा संपीड़न, और व्याख्या और रोग निदान, मायोइलेक्ट्रिक हाथ, मानव शरीर क्रिया विज्ञान पर योग का प्रभाव, बायोमेडिकल उपकरण, मस्तिष्क कंप्यूटर इंटरफेस, न्यूरो रोगों के लिए सिग्नल प्रोसेसिंग, और ग्रामीण महिलाओं की स्त्री रोग संबंधी समस्याओं के लिए चैट बॉट।