सीमांचल के 3 जिलों से गुजरेगा 526 KM लंबा ग्रीनफील्ड कॉरिडोर
गोरखपुर: गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय से आखिरकार मंजूरी मिल गई है। 526 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस-वे उत्तर बिहार के सीमांचल और कोसी क्षेत्र के तीन प्रमुख जिलों – किशनगंज, अररिया और सुपौल – से होकर गुजरेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत अब भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
यह एक्सप्रेस-वे सामरिक, आर्थिक और रणनीतिक, तीनों दृष्टियों से अत्यंत महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को मुख्य भूमि से जोड़ने वाला ‘चिकन नेक’ नामक एक पतला गलियारा है, जो अत्यधिक संवेदनशील माना जाता है क्योंकि यह बांग्लादेश और नेपाल के बीच स्थित है। यह संकरी पट्टी देश के शेष भागों को नॉर्थ-ईस्ट से जोड़ती है।
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मौजूदा समय में यह गलियारा दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ा है – एक पूर्णिया से किशनगंज होते हुए और दूसरा अररिया से किशनगंज जिले के ठाकुरगंज होते हुए। इस नए एक्सप्रेस-वे के बनने से यह तीसरा वैकल्पिक मार्ग होगा, जो चिकन नेक क्षेत्र में आवागमन को अधिक मजबूत और निर्बाध बनाएगा।
इस परियोजना का निर्माण ग्रीनफील्ड मॉडल पर किया जाएगा, जिसका अर्थ है कि यह पूरी तरह से एक नई सड़क होगी, जो मौजूदा सड़कों से स्वतंत्र रूप से विकसित की जाएगी। इससे यातायात की निर्बाधता बढ़ेगी और भारी वाहनों के आवागमन में सहूलियत होगी।
खासकर, किशनगंज जिले को इस एक्सप्रेस-वे से सीधा लाभ मिलेगा, क्योंकि इसका करीब 55 किलोमीटर हिस्सा इसी जिले से होकर गुजरते हुए पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में जाकर मिल जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन और भूमि अधिग्रहण विभाग को संबंधित गांवों की पहचान कर अधिग्रहण की औपचारिकताएं जल्द से जल्द पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं।
बेहतर कनेक्टिविटी व्यापारिक गतिविधियों को भी बल देगी, जिससे इस क्षेत्र में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। कुल मिलाकर, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे उत्तर बिहार और उत्तर-पूर्व भारत के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आधारशिला साबित होगा। अब देखना यह होगा कि तीन वर्षों से अधिक समय से प्रतीक्षित इस परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया कितनी तेजी से पूरी होती है और निर्माण कार्य कब तक शुरू होता है।
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