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गोरखपुर में आवारा कुत्तों का आतंक खत्म होगा, नगर निगम बना रहा ‘फीडिंग प्वाइंट’, जानें क्या है योजना

नगर निगम गोरखपुर
गोरखपुर में आवारा कुत्तों का आतंक रोकने के लिए नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 'फीडिंग प्वाइंट' बनाने का फैसला किया है। इस रिपोर्ट में जानें आवारा कुत्तों से बचाव के उपाय और कुत्ता काटने पर क्या करें, जिससे आप खुद को सुरक्षित रख सकें।

गोरखपुर: गोरखपुर में आवारा कुत्तों का आतंक अब जल्द ही खत्म होने की उम्मीद है। शहर में निराश्रित (सामुदायिक) कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनसे जुड़ी समस्याओं को देखते हुए गोरखपुर नगर निगम एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और केंद्र सरकार के पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम-2023 के तहत, महानगर के सभी 80 वार्डों में आवारा कुत्तों के लिए विशेष ‘फीडिंग प्वाइंट’ (भोजन स्थल) चिह्नित किए जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य मानव और पशुओं के बीच एक सुरक्षित और सह-अस्तित्व वाला वातावरण बनाना है। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात 9 सितंबर को इस विषय पर नगर निगम अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करेंगे, जिसके बाद इसकी कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और नए दिशानिर्देश

उत्तर प्रदेश शासन के नगर विकास अनुभाग-8 ने 4 सितंबर को गोरखपुर समेत सभी नगर निकायों को एक विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। इस शासनादेश में सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश और पशु जन्म नियंत्रण (एबीसी) नियम-2023 के नियम-20 का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। इन नियमों के अनुसार, हर वार्ड में निराश्रित कुत्तों की संख्या के आधार पर एक समर्पित फीडिंग प्वाइंट बनाया जाएगा, जहां केवल उन्हीं कुत्तों को भोजन दिया जाएगा।


आवारा कुत्तों से बचाव के उपाय: खुद को सुरक्षित कैसे रखें?

गोरखपुर नगर निगम की यह पहल गोरखपुर में आवारा कुत्तों का आतंक कम करने में सहायक होगी, लेकिन तब तक हमें खुद भी सुरक्षित रहना होगा। यहां आवारा कुत्तों से बचाव के कुछ उपाय दिए गए हैं:

  1. शांत रहें और धीरे चलें: अगर कोई कुत्ता आपके पीछे पड़ जाए, तो घबराएं नहीं और न ही भागें। ऐसा करने से वह आपको और भी आक्रामक होकर दौड़ा सकता है। शांत रहें और धीरे-धीरे पीछे की ओर चलें।
  2. आंखों में न देखें: कुत्ते से सीधे तौर पर आंखों में आंखें मिलाकर न देखें, क्योंकि इससे वह चुनौती समझ सकता है।
  3. हाथों को शरीर से सटाकर रखें: अगर कोई कुत्ता आपके पास आ जाए, तो अपने हाथों को शरीर से सटाकर रखें। इससे वह आपको सुरक्षित समझेगा और हमला करने की संभावना कम होगी।
  4. बच्चों को सिखाएं: बच्चों को समझाएं कि वे सड़क पर अकेले चलते समय सावधान रहें और आवारा कुत्तों को न छेड़ें।

कुत्ता काटने पर क्या करें?

दुर्भाग्यवश, अगर कोई कुत्ता आपको काट ले, तो घबराने की बजाय तुरंत इन उपायों को अपनाएं:

  1. घाव को धोएं: सबसे पहले, घाव को तुरंत साबुन और साफ पानी से धोएं। यह घाव में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस को कम करने में मदद करता है।
  2. एंटीसेप्टिक लगाएं: घाव को धोने के बाद उस पर कोई भी एंटीसेप्टिक लोशन या क्रीम लगाएं।
  3. तुरंत डॉक्टर से मिलें: ये सभी प्राथमिक उपचार हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि आप तुरंत किसी डॉक्टर या अस्पताल जाकर रेबीज का इंजेक्शन लगवाएं। कुत्ता काटने पर क्या करें, इसका सबसे सटीक जवाब यही है कि बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि रेबीज एक जानलेवा बीमारी हो सकती है।

फीडिंग प्वाइंट के लिए निर्धारित नियम

नए दिशानिर्देशों के अनुसार, इन फीडिंग प्वाइंट्स को बच्चों के खेलने के स्थान, सीढ़ियों, और प्रवेश-निकास द्वारों से दूर स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा, कुत्तों को भोजन देने का समय भी बच्चों और बुजुर्गों की आवाजाही को ध्यान में रखकर तय किया जाएगा। प्रत्येक फीडिंग प्वाइंट पर एक स्पष्ट सूचना पट्ट लगाया जाएगा, जिसमें बताया जाएगा कि नागरिकों को केवल इन्हीं स्थानों पर कुत्तों को भोजन देने की अनुमति है।

पशु संरक्षकों की भूमिका और समिति का गठन

नगर निकाय, कुत्तों को भोजन और पानी देने के लिए पशु संरक्षकों को अधिकृत करेगा। इन संरक्षकों को स्वच्छता बनाए रखने, भीड़-भाड़ वाले स्थानों से बचने और कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण कार्यक्रमों में सहयोग देना होगा। किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में, एक स्थानीय ‘पशु कल्याण समिति’ का गठन किया जाएगा। इस समिति में पशु चिकित्सा अधिकारी, पुलिस प्रतिनिधि, आरडब्ल्यूए प्रतिनिधि, शिकायतकर्ता और पशु कल्याण संगठन के सदस्य शामिल होंगे। यह समिति फीडिंग स्पॉट तय करने और अन्य मामलों में अंतिम निर्णय लेगी।

नियम तोड़ने पर होगी कानूनी कार्रवाई

नए नियमों के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को सामुदायिक कुत्तों को भोजन कराने से रोकना, धमकाना या प्रताड़ित करना एक दंडनीय अपराध होगा, और ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इच्छुक नागरिक नगर निकायों में आवेदन करके निराश्रित कुत्तों को गोद भी ले सकते हैं, लेकिन उन्हें गोद लेने के बाद उनका परित्याग करने की अनुमति नहीं होगी। रेबीज ग्रस्त या आक्रामक कुत्तों को अलग रखकर चिकित्सा सुविधा दी जाएगी।

नगर निगम के मुख्य पशु चिकित्सा एवं कल्याण अधिकारी डॉ. रोबिन चंद्रा ने बताया कि यह पहल न केवल निराश्रित कुत्तों की भलाई के लिए है, बल्कि जन-सुरक्षा, स्वच्छता और सामुदायिक शांति सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मानव और कुत्तों दोनों के लिए एक सुरक्षित और सह-अस्तित्वपूर्ण वातावरण बनाने के लिए जल्द ही एक विस्तृत कार्य योजना बनाकर इसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।

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Amit Srivastava

Amit Srivastava

About Author

गोरखपुर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से अध्ययन. Amit Srivastava अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान के साथ करीब डेढ़ दशक तक जुड़े रहे. गोरखपुर शहर से जुड़े मुद्दों पर बारीक नज़र रखते हैं.

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