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जीडीए लाया नई ‘लैंड पूलिंग’ नीति, किसानों को मिलेगी 25% विकसित जमीन, जानें कैसे होगा फायदा

gda gorakhpur office gate
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (GDA) ताल कंदला, डोमिनी और जंगल कौड़ियां गांवों में लैंड पूलिंग नीति लागू कर रहा है। किसानों से सहमति से भूमि लेकर उन्हें विकसित भूखंड का 25% हिस्सा मिलेगा, जिससे मूल्यवर्धन और कानूनी झंझटों से मुक्ति मिलेगी।

गोरखपुर: गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने भूमि विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अब लैंड पूलिंग नीति लागू करने का निर्णय लिया है। यह प्राधिकरण की पहली ऐसी अभिनव योजना होगी, जिसके तहत ताल कंदला, डोमिनी और जंगल कौड़ियां गांवों के काश्तकारों (किसानों) से उनकी भूमि आपसी सहमति के आधार पर ली जाएगी। इस भूमि पर जीडीए द्वारा आवासीय परियोजनाएं विकसित की जाएंगी, जिससे क्षेत्र के सुनियोजित विकास को गति मिलेगी।

किसानों को मिलेगा सीधा लाभ: 25% विकसित भूमि वापसी

जीडीए के प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह के अनुसार, इस योजना का मुख्य आकर्षण यह है कि इसके अंतर्गत भूमि का समुचित विकास करने के बाद काश्तकारों को उनकी कुल भूमि का न्यूनतम 25 प्रतिशत हिस्सा विकसित स्वरूप में लौटाया जाएगा। इस पहल से किसानों को न केवल उनकी जमीन का मूल्यवर्धन (वैल्यू एडिशन) के साथ प्रतिफल मिलेगा, बल्कि उन्हें पारंपरिक भूमि अधिग्रहण की तरह नगद मुआवजा लेने या किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता भी नहीं होगी। यह योजना किसानों के लिए एक लाभकारी साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगी।

योजना को मिली बोर्ड की मंजूरी, जल्द होगा क्रियान्वयन

यह उल्लेखनीय है कि इस लैंड पूलिंग योजना को 18 जून को हुई जीडीए बोर्ड बैठक में औपचारिक मंजूरी मिल चुकी है। योजना के क्रियान्वयन के लिए तीनों गांवों (ताल कंदला, डोमिनी और जंगल कौड़ियां) में भूमि का सर्वेक्षण पहले ही कराया जा चुका है। जीडीए अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस महत्वपूर्ण योजना का क्रियान्वयन शुरू कर दिया जाएगा, जिससे गोरखपुर के शहरी विस्तार को एक नई दिशा मिलेगी।

सिकुड़ते लैंड बैंक का समाधान और टिकाऊ विकास की रणनीति

वर्तमान में गोरखपुर विकास प्राधिकरण के पास सिर्फ राप्तीनगर क्षेत्र में ही सीमित भूमि शेष बची है। ऐसे में, परंपरागत भूमि अधिग्रहण की जटिलताओं और समय लेने वाली प्रक्रियाओं से बचने के लिए जीडीए ने लैंड पूलिंग को एक व्यावहारिक और तेज़ समाधान के रूप में अपनाया है। प्राधिकरण का मानना है कि यदि यह योजना सफल रहती है, तो भविष्य में इसे अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाएगा।

जीडीए की यह पहल न केवल परियोजना विकास के लिए आवश्यक भूमि उपलब्ध कराएगी, बल्कि स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक, सामाजिक और संरचनात्मक विकास का मार्ग भी खोलेगी। विकसित भूखंड, बेहतर बुनियादी सुविधाएं और क्षेत्रीय विकास की संभावनाएं इस योजना को साझेदार आधारित विकास मॉडल की दिशा में एक अहम कदम बना रही हैं। प्राधिकरण का दृढ़ विश्वास है कि यह पहल गोरखपुर में समावेशी और टिकाऊ विकास की आधारशिला रखेगी, जिससे सभी हितधारकों को लाभ होगा।

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गो गोरखपुर ब्यूरो

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