डीडीयू जीयू में 16 जुलाई 2025 की खबरें: नया शैक्षणिक सत्र शुरू, पहली आर्किटेक्टेड 'युवा चेतना वाटिका' का उद्घाटन, NCC छात्राओं का उत्कृष्ट प्रदर्शन, शोधार्थी का सहायक प्रोफेसर पद पर चयन, और राष्ट्रीय संगोष्ठी की घोषणा।
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में बुधवार, 16 जुलाई 2025 को कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक और विकासात्मक गतिविधियां हुईं, साथ ही छात्रों और शोधार्थियों के लिए कई उपयोगी सूचनाएं भी सामने आईं। विश्वविद्यालय परिसर में ग्रीष्मावकाश के बाद रौनक लौट आई है और नए सत्र की शुरुआत के साथ ही कई नई पहलें भी की गई हैं।
विश्वविद्यालय में नया शैक्षणिक सत्र प्रारंभ
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आज से सभी विभागों में विषम सेमेस्टर स्नातक (तृतीय, पंचम) तथा परास्नातक तृतीय सेमेस्टर की कक्षाएं विधिवत रूप से प्रारंभ हो गईं। प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्नातक एवं परास्नातक प्रथम सेमेस्टर की कक्षाएं संचालित की जाएंगी। कुलपति प्रो. पूनम टंडन के निर्देशानुसार शैक्षणिक गुणवत्ता, समयबद्धता और अनुशासन सुनिश्चित करने हेतु सभी विभागाध्यक्षों को आवश्यक दिशा-निर्देश पहले ही प्रदान कर दिए गए हैं। विभागों में शैक्षणिक समितियों की बैठक कर आगामी सत्र की कार्ययोजना पर भी चर्चा की गई है।
गोरखपुर विश्वविद्यालय की पहली आर्किटेक्टेड वाटिका होगी गुलजार
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय एवं युवा चेतना समिति के संयुक्त तत्वावधान में भूगोल व मनोविज्ञान विभाग के बीच ‘युवा चेतना वाटिका’ की पहल को साकार करते हुए वृक्षारोपण किया गया। इसकी खास बात यह है कि यह गोरखपुर विश्वविद्यालय की पहली आर्किटेक्टेड वाटिका है। यह वाटिका कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन के विजन और डीएसडब्ल्यू प्रोफेसर अनुभूति दुबे के एग्जीक्यूशन का परिणाम है। यह वाटिका युवा चेतना समिति के 25 वर्ष का हरित स्मारक भी होगी। इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग में आयोजित विचार गोष्ठी के दौरान कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय के अकादमिक वातावरण के उन्नयन में प्राकृतिक हरीतिमा की बड़ी भूमिका होती है। उन्होंने ‘वाटिका’ के कांसेप्ट को एक व्यवस्थित (क्यूरेटेड एवं कल्टीवेटेड) धारणा बताया, जो किसी तरह के जंगल-झाड़ी से भिन्न है।
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एनसीसी शिविर में विश्वविद्यालय की बेटियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन
15 यू०पी० गर्ल्स बटालियन एन०सी०सी० गोरखपुर द्वारा 30 जून से 09 जुलाई 2025 तक राजकुमारी राजदेव त्रिलोकीनाथ पी०जी० कॉलेज, जोन्हिया भीटी रावत में 10 दिवसीय संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में लगभग 500 एन०सी०सी० कैडेट्स ने प्रतिभाग किया। शिविर का उद्देश्य कैडेट्स में अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और देशभक्ति की भावना को विकसित करना था। इस शिविर में दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की 5/15 यू०पी० गर्ल्स बटालियन की कैडेट्स ने उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं में कुल 10 मेडल और शील्ड प्राप्त किए। आज विजयी कैडेट्स ने कुलपति प्रो० पूनम टण्डन से भेंट कर अपने अनुभव साझा किए। विशेष रूप से निक्की कन्नौजिया, नंदनी, स्नेहा, मुस्कान, सलोनी सिंह, निकिता, कृतिका, पलक और अंजली ने शानदार प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय को गौरवान्वित किया।

गोरखपुर विश्वविद्यालय के शोधार्थी डॉ. शुभम जायसवाल का सहायक प्रोफेसर के पद पर चयन
वनस्पति विज्ञान विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के शोधार्थी डॉ. शुभम जायसवाल ने मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित सहायक प्रोफेसर (वनस्पति विज्ञान)-2022 परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सहायक प्रोफेसर पद हेतु चयनित होकर विश्वविद्यालय एवं विभाग का गौरव बढ़ाया है। डॉ. शुभम जायसवाल ने अपनी पीएच.डी. की उपाधि डॉ. वीरेन्द्र कुमार मधुकर शोध निर्देशक, वनस्पति विज्ञान विभाग, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से प्राप्त की। इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन तथा वनस्पति विज्ञान विभाग के समस्त शिक्षक एवं विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनिल कुमार द्विवेदी ने डॉ. शुभम जायसवाल को हार्दिक बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
“इंडियाज नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी: चैलेंजेस & ऑप्शन्स” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
26-27 जुलाई को “इंडियाज नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी: चैलेंजेस & ऑप्शन्स” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा। भारत की पड़ोसी प्रथम नीति (एनएफपी) एक रणनीतिक पहल है जिसका उद्देश्य अपने निकटतम पड़ोसियों, मुख्यतः दक्षिण एशिया के देशों के साथ मज़बूत संबंध बनाना है। यह नीति आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और बेहतर संपर्क पर ज़ोर देती है। इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न प्रदेशों जैसे जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड एवं पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों जैसे – लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, बनारस, मुरादाबाद, अलीगढ़, फैजाबाद, मेरठ व अन्य विभिन्न शहरों से विषय विशेषज्ञ व प्रतिभागी प्रतिभाग करने आएंगे। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न भागों से आए प्रतिभागियों द्वारा लगभग 50 से ज्यादा शोध पत्र विभिन्न तकनीकी सत्रों में प्रस्तुत किए जाएंगे।