प्रदूषण से बचा सकते हैं ये आहार !!
एअर पल्यूशन चिंता का विषय खान—पान में सावधानी बरतें स्वस्थ और सुखी रहें संतरे, अखरोट,अलसी दाने बड़े काम की चीज
ख़बरें काम की...
एअर पल्यूशन चिंता का विषय खान—पान में सावधानी बरतें स्वस्थ और सुखी रहें संतरे, अखरोट,अलसी दाने बड़े काम की चीज
जेनरेशन गैप की असली वजह तकनीकी विकास और बाजारवाद है न कि संस्कार, कला और संस्कृति. ये तो इसे संरक्षित करने की पक्षधर हैं.
Healthy Ladyfinger: भिंडी घरों में पकाई व खाई जाने वाली प्रमुख सब्जियों में से एक है। क्या हमने कभी सोचा कि इसकी उत्पत्ति सबसे पहले कहां हुई। इसमें कौन से…
Health in Season Change: बच्चों की बेहतर सेहत के सपने करीब-करीब सभी देखते हैं. आजकल मौसम बदल रहा है. ऐसे में बच्चों, बूढ़ों को संक्रमण का सर्वाधिक खतरा रहा करता…
Gorakhpur: परिवार टूट रहे हैं. संबंध बिखर रहे हैं. पति-पत्नी, भाई-भाई, भाई-बहन, पिता-पुत्र के बीच की आत्मीयता अब पहले जैसी नहीं रही.
Health talk: हरी मिर्च! नाम सुनकर ही जुबान पर गर्मी आ जाती है। बहुत से लोगों को लगता है कि हरी मिर्च खाना सेहत के लिए हानिकारक है, लेकिन सच…
बतकही: बाबू साहब ठहाका लगाते हैं. प्रति प्रश्न करते हैं. भला इतनी सस्ती दर के घी से कौन सा लड्डू बनेगा. आखिर मंदिर प्रशासन को इतने सस्ते दर के घी…
आइए, जानते हैं कि गाय हरे चारे खाकर अपने शरीर में कैसे दूध सृजित करती है? दूध से कैसे घी बनता है? दूध के अवयव क्या हैं?
बतकही: किसी परिवार का लड़का पढ़ लिखकर बीए, एमए तक पहुंचा, परिवार में दस बीघे खेती है. वरदेखुआ आ धमकते थे. रिश्ता तय हो जाता था. मध्यस्थता करने वाले रिश्तेदारों…
गो गोरखपुर बतकही | 'पुनर्नवा' चौथी सदी के आसपास के भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि पर आधारित एक ऐतिहासिक उपन्यास है, जिसमें उठाए गए प्रश्न आज भी प्रासंगिक हैं.
दुबे जी एक तरफ सिंह साहब दूसरी तरफ। दुबे जी तर्क कर रहे थे। अच्छे पढ़े-लिखे लड़के अब प्राइवेट सेक्टर में जा रहे हैं। वहां उनके ज्ञान और कौशल का…
बतकही | निजी चिकित्सा सेवाओं का संजाल शहर से लेकर गांवों तक फैला है। अब तो इनके दलाल भी हर की मौजूद हैं। कहीं-कहीं तो सब कुछ तंत्र की जानकारी…
गो गोरखपुर बतकही | सोचें! शैशव काल से बचपन के दिन. पहला कदम. पहला शब्द. मां की उंगलियां पकड़े आगे बढ़ने की अभिलाष. भाषा के संस्कार. सारी क्रियाओं में से…
गो गोरखपुर बतकही | ज्ञानी जी की महफिल में जो चरचा थी वह अजीबोगरीब. चरचा भी यकीन से परे. बात कुछ यूं थी. धर्म और कर्म एक साथ जीने वाले…
बतकही: महफिलों में गए तो खुद की साथ ले जाते। किसी की भावनाएं आहत न हों, इसका भरपूर ख्याल रखते। कभी किसी से उम्मीद नहीं की। न छिपाते, न बताते,…
ध्यानी जी धार्मिक यात्रा पर थे. ठगी के शिकार हो गए. बात बहुत छोटी है लेकिन है पिंच करने वाली. ध्यानी जी आस्थावादी हैं. उन्हें लगता है कि धर्म से…
बतकही: मंगरू मास्साब बहुत खुश हैं. आज सुबह की चाय पर जब बहुत कुरेदा तो पता चला कि उनकी खुशी की जड़ में "विकास" बैठा हुआ है. यह वही विकास…
कौवाबाग रेलवे कॉलोनी से होकर रेलवे स्टेशन पहुंचना हो तो सुखद लगता है. सड़क के दोनों किनारे हरे-भरे वृक्ष मानो साधना में लीन. आगे फिर स्वाद......