एम्स गोरखपुर

एम्स गोरखपुर में ‘वर्ल्ड विटिलिगो डे’: एआई से इलाज और मिथकों पर चर्चा, जानें क्या है श्वेत कुष्ठ की सच्चाई

एम्स गोरखपुर में 'वर्ल्ड विटिलिगो डे': एआई से इलाज और मिथकों पर चर्चा, जानें क्या है श्वेत कुष्ठ की सच्चाई
एम्स गोरखपुर ने 'वर्ल्ड विटिलिगो डे' पर जागरूकता अभियान चलाया। विशेषज्ञों ने विटिलिगो के लक्षण, उपचार, मिथक और एआई की भूमिका पर जानकारी दी, बताया यह संक्रामक नहीं है।

गोरखपुर: 25 जून 2025 को “वर्ल्ड विटिलिगो डे” के अवसर पर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के डर्मेटोलॉजी विभाग ने एक महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान का आयोजन किया। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य विटिलिगो (श्वेत कुष्ठ) नामक त्वचा रोग के प्रति समाज में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करना और इसके लक्षण, नवीनतम उपचार विधियों तथा रोकथाम के बारे में जनसामान्य को जागरूक करना था।

यह अभियान डर्मेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर सुनील कुमार गुप्ता और डॉक्टर शिवांगी राणा के कुशल मार्गदर्शन में, सीनियर रेसिडेंट डॉक्टर कृतिका गुप्ता और जूनियर रेसिडेंट डॉक्टर डॉ रोहित चौहान द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। अभियान के दौरान विभाग के जूनियर डॉक्टर्स ने सक्रिय रूप से भागीदारी कर विटिलिगो से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।

विटिलिगो क्या है और इसका इलाज: डॉक्टर कविता ने विटिलिगो का विस्तृत परिचय देते हुए बताया कि यह एक ऑटोइम्यून त्वचा रोग है, जिसमें त्वचा पर सफेद धब्बे दिखाई देते हैं। इस स्थिति में त्वचा को रंग प्रदान करने वाली कोशिकाएं (मेलेनोसाइट्स) नष्ट हो जाती हैं। उन्होंने एम्स गोरखपुर के डर्मेटोलॉजी विभाग में उपलब्ध उपचार सेवाओं पर प्रकाश डाला। विटिलिगो के इलाज में सामयिक क्रीम (जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स), सिस्टेमैटिक थेरेपी, फोटोथेरेपी (अल्ट्रावायलेट किरणों द्वारा सिकाई), एक्सीमर लेज़र और कुछ मामलों में सर्जरी भी शामिल है।

मिथक और तथ्य: संक्रामक नहीं है विटिलिगो: डॉक्टर फरखंदा ने विटिलिगो से जुड़े कई सामान्य मिथकों को दूर करते हुए बताया कि यह बीमारी बिल्कुल भी संक्रामक नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विटिलिगो छुआछूत, खाना बांटने या साथ बैठने से नहीं फैलता है, और समाज को इस संबंध में जागरूक होना चाहिए। डॉ. फरखंदा ने विटिलिगो से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में परिवार के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने बताया कि यह रोग केवल शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी व्यक्ति को प्रभावित करता है। ऐसे में, परिवार का अटूट सहयोग रोगी के आत्मविश्वास और मानसिक स्थिति को मजबूत बनाने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

‘हर त्वचा के लिए नवाचार, AI के साथ’ थीम पर प्रकाश: डॉक्टर रवि ने इस वर्ष के आयोजन की थीम “हर त्वचा के लिए नवाचार, ए.आई. के साथ” (Innovation for Every Skin, with AI) पर विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने इस थीम का अर्थ समझाया कि ‘हर त्वचा’ का मतलब समावेशिता है, ‘नवाचार’ का अर्थ वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति है, जबकि ‘ए.आई.’ (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का तात्पर्य बुद्धिमत्तापूर्ण और सुलभ स्वास्थ्य सेवा से है। उन्होंने बताया कि विटिलिगो में त्वचा की फोटो लेकर AI मॉडल से स्कैन करके प्रगति को ट्रैक किया जा सकता है। इसके अलावा, AI-आधारित प्लेटफॉर्म भावनात्मक सहयोग प्रदान करने में भी मदद कर सकते हैं, जिससे रोगियों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य सहायता मिल सकेगी।

अंत में, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर शिवांगी राणा ने इस जागरूकता अभियान का सफलतापूर्वक समापन किया। उन्होंने उपस्थित लोगों के सवालों के जवाब दिए और उन्हें विटिलिगो के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने की सलाह दी। डॉ. राणा ने एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता का विशेष धन्यवाद भी किया, जिनकी अनुमति और सहयोग से यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया जा सका।



Priya Srivastava

Priya Srivastava

About Author

Priya Srivastava दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में परास्नातक हैं. गोगोरखपुर.कॉम के लिए इवेंट, एजुकेशन, कल्चर, रिलीजन जैसे टॉपिक कवर करती हैं. 'लिव ऐंड लेट अदर्स लिव' की फिलॉसफी में गहरा यकीन.

नया एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल का लक, डेवलपमेंट का लिंक महाकुंभ 2025: कुछ अनजाने तथ्य… महाकुंभ 2025: कहानी कुंभ मेले की…
नया एक्सप्रेसवे: पूर्वांचल का लक, डेवलपमेंट का लिंक महाकुंभ 2025: कुछ अनजाने तथ्य… महाकुंभ 2025: कहानी कुंभ मेले की… कहानी खिचड़ी मेला की…