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गोरखपुर: वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण शुरू, हेरफेर रोकने के लिए ‘उम्मीद’ पोर्टल पर अपलोड होगा डेटा

गोरखपुर सिटी न्यूज़

Last Updated on September 23, 2025 10:11 AM by गो गोरखपुर ब्यूरो

गोरखपुर में वक्फ संपत्तियों की हेरफेर रोकने के लिए उम्मीद पोर्टल पर उनका डिजिटल रिकॉर्ड अपलोड किया जा रहा है। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने इस संबंध में मुतवल्लियों को निर्देश जारी किए हैं। जानें इस प्रक्रिया से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी और कैसे यह पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।

गोरखपुर: जिले में वक्फ संपत्तियों के रिकॉर्ड को डिजिटल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसका मुख्य उद्देश्य इन संपत्तियों में किसी भी तरह की हेरफेर को रोकना और पारदर्शिता लाना है। शासन के निर्देश पर, उम्मीद पोर्टल पर मौजूदा औकाफ (संपत्तियों) का विवरण, पंजीकरण, लेखा, लेखा परीक्षा और वक्फ से संबंधित अन्य विवरण अपलोड किए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने इस संबंध में सभी मुतवल्लियों को आवश्यक जानकारी अपलोड कराने के निर्देश दिए हैं।

डिजिटलीकरण की प्रक्रिया और अधिकारियों की तैनाती

अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कमलेश कुमार मौर्य ने बताया कि इस कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। सुन्नी बोर्ड की तरफ से जनपद स्तर पर मोहम्मद अजीम समानी, इजहारुल हक, अब्दुल मजीद, इम्तियाज अब्बासी, नूरुल हसन और शकील अहमद को मुतवल्ली/प्रशासक के रूप में नामित किया गया है। ये सभी नामित व्यक्ति वक्फ संपत्तियों के विवरण को पोर्टल पर अपलोड करने में सहयोग करेंगे।

शिया वक्फ बोर्ड और हेल्प डेस्क की व्यवस्था

इसी तरह, शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के लिए भी एक समन्वयक (कोऑर्डिनेटर) नामित किया गया है। सैयद रफ्त हुसैन, जो अस्करगंज, मियां बाजार, गोरखपुर के निवासी हैं, इस कार्य में सहयोग प्रदान करेंगे। इसके अलावा, वक्फ संपत्तियों का विवरण फीड कराने में मदद के लिए अल्पसंख्यक विभाग के कार्यालय में एक हेल्प डेस्क भी स्थापित की गई है। सर्वे वक्फ निरीक्षक रामकरण को इस डेस्क का प्रभारी बनाया गया है, ताकि मुतवल्लियों को डेटा अपलोड करने में कोई परेशानी न हो। उन्हें जल्द से जल्द डेटा अपलोड करने और किसी भी समस्या के लिए विभाग से संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं।

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Amit Srivastava

Amit Srivastava

About Author

गोरखपुर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से अध्ययन. Amit Srivastava अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान के साथ करीब डेढ़ दशक तक जुड़े रहे. गोरखपुर शहर से जुड़े मुद्दों पर बारीक नज़र रखते हैं.

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