Last Updated on September 19, 2025 10:19 AM by गो गोरखपुर ब्यूरो
पंचायत चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। गोरखपुर जिले में 5 लाख से अधिक संभावित डुप्लीकेट वोटरों की पहचान की गई है, जिनके नाम अब वोटर लिस्ट से हटाए जाएंगे। जानें क्या है पूरी प्रक्रिया और कैसे हो रहा है सत्यापन।
गोरखपुर: त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में पारदर्शिता लाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। अब एक व्यक्ति का नाम केवल एक ही ग्राम पंचायत में दर्ज होगा, जहां वह निवास करता है। राज्य निर्वाचन आयोग ने पहली बार साफ्टवेयर का उपयोग करते हुए उन संभावित डुप्लीकेट वोटरों की लिस्ट तैयार की है, जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं। गोरखपुर जिले में ऐसे 5.16 लाख से अधिक मतदाता चुनाव आयोग के रडार पर हैं और उनके सत्यापन का काम शुरू हो गया है। इस प्रक्रिया से फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी और वोटर लिस्ट को अधिक सटीक बनाया जा सकेगा।
क्यों शुरू हुई यह प्रक्रिया?
राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव में डुप्लीकेसी को रोकने के लिए यह अनूठी पहल की है। अक्सर देखा जाता है कि लोग अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को वोट देने के लिए दो अलग-अलग वार्डों या ग्राम पंचायतों में अपना नाम दर्ज करा लेते हैं। इस तरह के अनुचित प्रयासों को रोकने के लिए, सॉफ्टवेयर का उपयोग कर नाम, पिता के नाम, उम्र और लिंग के आधार पर संभावित डुप्लीकेट वोटरों की पहचान की जा रही है। यह पहली बार है जब पंचायत चुनाव में इस तरह का सख्त कदम उठाया गया है।
आधार कार्ड से होगा सत्यापन
वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने के दौरान अब आधार कार्ड के अंतिम चार अंकों को भी दर्ज किया जा रहा है। सत्यापन प्रक्रिया के दौरान यदि किसी वोटर का आधार नंबर दो बार दिखाई देता है, तो उसकी पहचान एक डुप्लीकेट वोटर के रूप में हो जाएगी। यह तरीका फर्जी नामों की पहचान करने और उन्हें हटाने में काफी प्रभावी साबित हो रहा है। आयोग द्वारा भेजी गई सूची में उन सभी लोगों के नाम शामिल हैं, जिन्होंने जानबूझकर या अनजाने में दो या इससे अधिक स्थानों पर अपना नाम दर्ज कराया है।
चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता
गोरखपुर जिले में कुल 29.5 लाख मतदाता हैं। इनमें से आयोग ने 5.16 लाख संभावित डुप्लीकेट वोटरों की सूची भेजी है। इन नामों का सत्यापन किया जा रहा है और सत्यापन के बाद जिन लोगों के नाम दो जगह पर मिलेंगे, उनका नाम एक जगह से काट दिया जाएगा। इस प्रक्रिया से न सिर्फ वोटर लिस्ट में सुधार होगा, बल्कि पूरी चुनावी प्रक्रिया में भी पारदर्शिता आएगी। यह सुनिश्चित होगा कि सिर्फ योग्य और सही व्यक्ति ही मतदान कर पाए।