गोरखपुर के डिसेंट हॉस्पिटल में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी से 1.20 करोड़ रुपए की जालसाजी का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस ने हॉस्पिटल के संचालक शमशुल कमर और उसके सहयोगी प्रवीण त्रिपाठी को गिरफ्तार किया है। जानें कैसे फर्जी मरीजों और दस्तावेजों के जरिए किया गया यह बड़ा फ्रॉड। पूरी खबर और आरोपियों की आपराधिक कुंडली यहां पढ़ें।
गोरखपुर: रामगढ़ताल क्षेत्र स्थित डिसेंट हॉस्पिटल में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के साथ 1.20 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस ने बुधवार को हॉस्पिटल के संचालक शमशुल कमर उर्फ सोनू खान और उसके सहयोगी प्रवीण त्रिपाठी उर्फ विकास मणि को गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच में गोरखपुर और बस्ती में स्थित डिसेंट हॉस्पिटल के जरिए 15 मरीजों के नाम पर फर्जी कागजात तैयार करके यह बड़ा फर्जीवाड़ा किया गया था।
कैसे हुआ करोड़ों का फर्जीवाड़ा?
एसपी सिटी अभिनव त्यागी और सीओ कैंट योगेंद्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बजाज कंपनी के मैनेजर अनूप अग्रवाल ने रामगढ़ताल थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। एक संदिग्ध भुगतान की जांच करने पर पता चला कि दिल्ली निवासी सत्यवीर के नाम पर मेरठ में फर्जी बैंक खाता खोला गया था। इसके बाद उसके इलाज का बिल डिसेंट अस्पताल से बनाया गया और हेल्थ इंश्योरेंस का भुगतान ले लिया गया। जब पुलिस ने सत्यवीर से संपर्क किया, तो उसने इलाज या अस्पताल में भर्ती होने से इनकार कर दिया।
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इस खुलासे के बाद पुलिस ने गहनता से जांच की, तो पता चला कि यह एक बड़े गिरोह का काम है। सिर्फ सत्यवीर ही नहीं, बल्कि इसी तरह से 14 अन्य फर्जी मरीजों का इलाज दिखाकर बजाज कंपनी से 1.20 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की गई है।
अस्पताल का मालिक और उसका पार्टनर, दोनों हैं शातिर
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी शमशुल कमर उर्फ सोनू खान पर पहले से ही 5 मुकदमे दर्ज हैं। वहीं, उसके पार्टनर प्रवीण त्रिपाठी उर्फ विकास मणि पर 6 मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें एक मामला यौन शोषण और एक गैंगस्टर एक्ट का भी शामिल है। पुलिस ने बताया कि ये दोनों पहले 5 हजार रुपए की मामूली नौकरी करते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने मिलकर अस्पताल खोल लिया और इस तरह के फर्जीवाड़े को अंजाम देने लगे। जांच में यह भी सामने आया है कि इस गिरोह में शहर के कई अन्य बड़े अस्पतालों के संचालक भी शामिल हैं, जिनकी जल्द ही गिरफ्तारी हो सकती है।
फर्जी नर्सिंग होम का भी खेल
पुलिस जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ। बजाज कंपनी ने एक और नर्सिंग होम ‘एनेक्स’ का नाम बताया था, जिसकी जांच करने पर पता चला कि इस नाम का कोई अस्पताल अस्तित्व में ही नहीं है। डिसेंट अस्पताल में इलाज दिखाने के बाद फॉलोअप के लिए बागपत के इस फर्जी एनेक्स अस्पताल का नाम इस्तेमाल किया गया था। यह भी पता चला है कि शमशुल ने गोरखपुर के अलावा बस्ती में भी ‘डिसेंट’ नाम से ही एक और अस्पताल खोल रखा था, जिसके जरिए भी फर्जीवाड़ा किया गया है।