गोरखपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में अब विशेषज्ञ डॉक्टरों को सीधे दिखाने की पहले की व्यवस्था को धीरे-धीरे खत्म करने की तैयारी की जा रही है। नई व्यवस्था के तहत, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोलॉजी, हार्ट और भविष्य में शुरू होने वाले अन्य विशेषज्ञ विभागों में रोगियों को सीधे ओपीडी (बहिरंग रोगी विभाग) से नहीं भेजा जाएगा। अब रोगी को पहले मेडिसिन या सर्जरी विभाग के डॉक्टरों को दिखाना होगा। यदि जनरल डॉक्टर को आवश्यक महसूस होगा, तभी वे रोगी को विशेषज्ञ डॉक्टर के पास रेफर करेंगे।
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न्यूरो सर्जरी में लागू हुई नई व्यवस्था
इस नई व्यवस्था को न्यूरो सर्जरी विभाग में लागू कर दिया गया है। अब इस विभाग में रोगी का सीधा पर्चा नहीं बनाया जा रहा है। मेडिसिन या सर्जरी विभाग से रेफर होने के बाद ही रोगी का दोबारा पर्चा बनेगा और वह विशेषज्ञ डॉक्टर के कक्ष के बाहर नंबर लगा सकेगा। अभी तक, एम्स के पूर्व कार्यकारी निदेशक डॉ. अजय सिंह की पहल पर रोगी सीधे विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखा सकते थे, जिससे उनका समय बचता था और उन्हें बड़ी राहत मिलती थी। हालांकि, सीधे दिखाने की सुविधा के कारण विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास 300 से भी ज्यादा रोगी पहुंचने लगे थे, जिससे वे किसी भी रोगी को पर्याप्त समय नहीं दे पा रहे थे।
सीधे दिखाने की सुविधा धीरे-धीरे होगी समाप्त
एम्स मीडिया प्रभारी डॉ. आराधना सिंह ने बताया कि जैसे-जैसे विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी, रोगियों को सीधे देखने की व्यवस्था समाप्त कर दी जाएगी। उनका कहना है कि विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास केवल उन्हीं रोगियों को जाना चाहिए जिनका उपचार सिर्फ वही कर सकते हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि निजी डॉक्टरों के रेफर पर्चे को भी मान्य नहीं किया जाएगा। अब रोगियों को विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाने में पहले की तरह सहूलियत नहीं मिलेगी और उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञ ओपीडी में मरीजों की संख्या भी निर्धारित
एम्स प्रशासन ने विशेषज्ञ डॉक्टरों की ओपीडी में रोगियों की संख्या भी तय कर दी है। ओपीडी में ऑनलाइन माध्यम से 106 और ऑफलाइन माध्यम से केवल 50 रोगियों का ही पंजीकरण करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि यह व्यवस्था मौखिक है, लेकिन पर्चा काउंटर पर इसका कड़ाई से पालन किया जा रहा है। यदि दूसरे विभागों से रोगियों को रेफर किया जाता है, तो उनका पर्चा बनाया जा रहा है। इस सख्त व्यवस्था के कारण शुक्रवार को कई रोगियों को बिना दिखाए ही निराश होकर वापस लौटना पड़ा।


