बलरामपुर: नवरात्र की नवमी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं का सैलाब बलरामपुर जिले के तुलसीपुर स्थित देवी पाटन मंदिर में उमड़ पड़ा है। यह मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि इसे 51 शक्तिपीठों में से एक होने का गौरव भी प्राप्त है। बलरामपुर जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर यह धाम भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। मान्यता है कि यहीं पर माता सती का पाटंबर (वस्त्र) गिरा था, जिसके कारण इसे पाटेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर परिसर में त्रेता युग से लगातार जल रही अखंड ज्योति और इससे सटा सूर्यकुंड भक्तों की आस्था के प्रमुख केंद्र हैं।
माता सती का पाटंबर यानी वस्त्र गिरा था
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी पाटन मंदिर की स्थापना संत गुरु गोरखनाथ ने की थी। यह मंदिर देवी पाटन नाम से भी जाना जाता है और शक्तिपीठों में इसका विशिष्ट स्थान है। इसे पाटेश्वरी मंदिर कहे जाने के पीछे की मान्यता यह है कि यहाँ माता सती का पाटंबर यानी वस्त्र गिरा था। नवरात्र की नवमी पर यहाँ दर्शन का विशेष पुण्य माना जाता है।
सूर्यकुंड में स्नान के बाद होते हैं माता के दर्शन
मंदिर परिसर से सटा हुआ सूर्यकुंड यहाँ आने वाले भक्तों के लिए आस्था का एक और महत्वपूर्ण केंद्र है। यह कुंड धार्मिक और ऐतिहासिक दोनों रूप से महत्वपूर्ण है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, राजा कर्ण ने इसी कुंड पर सिद्धियां प्राप्त की थीं। आज भी, यहाँ आने वाले श्रद्धालु पहले इस सूर्यकुंड में स्नान करते हैं और उसके बाद ही माता पाटेश्वरी के दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करते हैं।

त्रेता युग से जल रही है अखंड ज्योति
देवी पाटन मंदिर की एक अद्भुत विशेषता यह है कि मंदिर परिसर में एक अखंड ज्योति निरंतर प्रज्वलित हो रही है। मान्यताओं के अनुसार, यह ज्योति त्रेता युग से लगातार जलती चली आ रही है। इस अखंड ज्योति का दर्शन करना और इसके समक्ष अपनी मनोकामना मांगना भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी माना जाता है, जो इस प्राचीन धाम के महत्व को और अधिक बढ़ाता है।
माता सीता ने यहीं धरती से लगाई थी गुहार
इस पवित्र स्थल से एक पौराणिक कथा और जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, माता सीता ने इसी पवित्र स्थान पर धरती माता से प्रार्थना की थी कि उन्हें अपनी गोद में समा लें। माता सीता की यह प्रार्थना स्वीकार हुई और इसके बाद धरती फट गई, जिसमें माता सीता समा गई थीं। यह घटना इस स्थान की दिव्यता और पौराणिक महत्व को दर्शाती है, जिससे देवी पाटन मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है।