दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने 5 दिवसीय 'योग बंधन' का सफल आयोजन किया। 5 देशों के 300+ प्रतिनिधियों ने भाग लेकर वैश्विक एकता और स्वास्थ्य का संदेश दिया।
गोरखपुर: दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDUGU) ने हाल ही में पाँच दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम “योग बंधन” का सफल आयोजन किया, जिसने वैश्विक स्तर पर शांति, एकता और स्वास्थ्य का सशक्त संदेश दिया। माननीय कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के प्रेरणादायी नेतृत्व और कुलपति प्रो. पूनम टंडन के दूरदर्शी मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम ने योग के माध्यम से समग्र कल्याण के प्रति विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
इस भव्य आयोजन में 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें प्रमाणित योग प्रशिक्षक, शिक्षाविद और छात्र शामिल थे। ‘योग बंधन’ का उद्देश्य योग की सीमाओं से परे जाकर मानसिक, शारीरिक और सामाजिक एकता को प्रोत्साहित करना था। यह आयोजन भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने में DDUGU की सतत प्रतिबद्धता का प्रमाण बना।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने अपने उद्घाटन भाषण में कुलाधिपति श्रीमती पटेल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, “योग बंधन केवल एक कार्यक्रम नहीं है, यह मानवता, कल्याण और बौद्धिक संवाद का उत्सव है।” उन्होंने विश्वविद्यालय की शिक्षा में स्वास्थ्य व समग्र विकास को समाहित करने की प्रतिबद्धता को दोहराया।
पाँच दिवसीय वैश्विक सहयोग की झलक
- प्रथम दिवस: कार्यक्रम की शुरुआत यूनिवर्सिटी ऑफ द साउथ पैसिफिक (12 प्रशांत द्वीप राष्ट्रों—जैसे फिजी, समोआ, टोंगा और वानुआतु—में फैली एक क्षेत्रीय विश्वविद्यालय) के सहयोग से हुई, जिसने आयोजन में द्वीपीय सांस्कृतिक परंपराओं की अनूठी छटा बिखेरी।
- द्वितीय दिवस: फ़ीजी नेशनल यूनिवर्सिटी ने भाग लेकर आधुनिक स्वास्थ्य और शिक्षा में योग की भूमिका पर अपने दृष्टिकोण साझा किए।
- तृतीय दिवस: त्रिभुवन विश्वविद्यालय और बालकुमारी कॉलेज, नेपाल के उत्साही सहभाग ने भारत-नेपाल के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत किया।
- चतुर्थ दिवस: चुलालोंगकोर्न विश्वविद्यालय, बैंकॉक, थाईलैंड से अकादमिक और छात्र भागीदारी के माध्यम से शहरी जीवन में योग की उपयोगिता और चिकित्सा महत्ता पर प्रकाश डाला गया।
- पंचम एवं अंतिम दिवस: कार्यक्रम का समापन INTI इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, मलेशिया के साथ भव्य तरीके से हुआ, जहाँ 50 से अधिक प्रतिनिधियों ने माइंडफुलनेस, प्राणायाम और तनाव प्रबंधन पर संयुक्त सत्रों में भाग लिया।
डॉ. अनुकृति राज द्वारा प्रस्तुत सत्र, जिसमें तनाव के योगिक प्रबंधन और प्राणायामों—जैसे अनुलोम-विलोम, भ्रामरी और कपालभाति—की वैज्ञानिक उपयोगिता को सहज रूप में प्रस्तुत किया गया, एक विशेष आकर्षण रहा। प्रो. राजर्षि गौर, प्रो. विजय चहल, और कई अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों की उपस्थिति ने आयोजन को गौरवपूर्ण बनाया और योग की वैश्विक प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
अंतरराष्ट्रीय पहचान को मिली मजबूती
पूरे कार्यक्रम का समन्वय डॉ. रामवंत गुप्ता, निदेशक, अंतरराष्ट्रीय प्रकोष्ठ, DDUGU द्वारा किया गया, जिनके अथक प्रयासों से विश्वविद्यालय की अंतरराष्ट्रीय पहचान और भी सुदृढ़ हुई है। डॉ. मनीष प्रताप सिंह, प्रकोष्ठ के सक्रिय सदस्य ने सभी सहभागियों की साझेदारी और ऊर्जा को सराहा।
कार्यक्रम के समापन पर प्रो. टंडन ने कहा, “योग बंधन के माध्यम से हमने केवल योगाभ्यास नहीं किया, बल्कि आपसी समझ और सांस्कृतिक मित्रता के बंधन भी जोड़े।” इस प्रकार योग बंधन जैसे नवाचारों के माध्यम से, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय वैश्विक शिक्षा, सांस्कृतिक कूटनीति और स्वास्थ्य आधारित विकास के क्षेत्र में एक प्रकाशस्तंभ के रूप में उभर रहा है—जो भारत की कालजयी परंपराओं पर आधारित है और एक शांतिपूर्ण, स्वस्थ वैश्विक भविष्य की दिशा में अग्रसर है।
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