गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) ने अकादमिक और प्रशासनिक आधुनिकीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय (Faculty of Engineering and Technology) के परिनियम में व्यापक संशोधन किया है। माननीय कुलाधिपति महोदया ने विश्वविद्यालय की विद्या परिषद और कार्य परिषद की संस्तुतियों पर आधारित इस संशोधन प्रस्ताव को अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।
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इस बदलाव के तहत, पहले के चार विभागों वाले इस संकाय को अब बहु-विषयी और आधुनिक स्वरूप देते हुए दो वृहद संस्थानों—इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) और पहली बार शामिल किए गए इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी—में पुनर्गठित किया गया है। इन संशोधनों से विभागों की कुल संख्या चार से बढ़कर बारह हो गई है और बोर्ड ऑफ फैकल्टी की संरचना को भी NEP 2020 और अन्य नियामक निकायों के मानकों के अनुरूप व्यापक रूप से बदल दिया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षा को भविष्योन्मुखी और रोजगारपरक बनाना है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस निर्णय को तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा तंत्र को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर बताया है।
इंजीनियरिंग संकाय और फार्मेसी इंस्टीट्यूट का पुनर्गठन
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने अपने अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय को नया और आधुनिक रूप दिया है। पहले इस संकाय में केवल चार विभाग (मैकेनिकल इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग, और एप्लाइड साइंसेज) संचालित थे। अब इसे दो स्वतंत्र संस्थानों में पुनर्गठित किया गया है। इन संस्थानों में इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) और पहली बार संकाय का अभिन्न अंग बना इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी शामिल है। यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के बहु-विषयी दृष्टिकोण को साकार करता है और तकनीकी शिक्षा को सशक्त बनाता है। इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी को पीसीआई (Pharmacy Council of India) के मानकों के अनुरूप संरचित किया गया है।
इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) में सात नए विभाग
पुनर्गठन के बाद इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) में अब कुल सात विभाग संचालित होंगे। इन विभागों में पुराने विभागों के साथ-साथ आधुनिक विषयों को भी शामिल किया गया है, जो औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप हैं।
IET के अंतर्गत आने वाले विभाग:
- मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- सिविल इंजीनियरिंग
- एप्लाइड साइंसेज एंड ह्यूमैनिटीज
- कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
- इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी
इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी में पाँच विभाग होंगे
फार्मेसी को संस्थान स्तर पर स्थापित करने के बाद इसमें पाँच विभाग बनाए गए हैं, जो इसे एक सशक्त शैक्षणिक ढांचा प्रदान करते हैं।
इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी के विभाग:
- फार्मास्यूटिक्स
- फार्मास्यूटिकल केमिस्ट्री एंड एनालिसिस
- फार्माकोलॉजी
- फार्माकॉग्नोसी
- फार्मेसी प्रैक्टिस
इन संशोधनों के परिणामस्वरूप, संकाय के अंतर्गत कुल विभागों की संख्या चार से बढ़कर बारह हो गई है।
बोर्ड ऑफ फैकल्टी की संरचना में व्यापक बदलाव
विश्वविद्यालय ने बोर्ड ऑफ फैकल्टी की संरचना में भी व्यापक बदलाव किए हैं। पहले की सीमित संरचना में केवल डीन, विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर शामिल थे। नई संरचना को आंतरिक, बाहरी और बहु-विषयी विशेषज्ञता पर आधारित बनाया गया है, जो NEP 2020, AICTE और PCI के मानकों के अनुरूप है।
नई बोर्ड ऑफ फैकल्टी संरचना में शामिल सदस्य:
- डीन
- इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी तथा इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी के निदेशक
- दोनों संस्थानों के सभी प्रोफेसर
- विश्वविद्यालय के विभिन्न विज्ञान, प्रौद्योगिकी और मानविकी विभागों के विभागाध्यक्ष
- प्रत्येक विभाग से एक एसोसिएट प्रोफेसर और एक असिस्टेंट प्रोफेसर (रोटेशन के आधार पर)
- मानविकी के दो शिक्षक
- इंजीनियरिंग और फार्मेसी विषयों से संबंधित बाहरी विशेषज्ञ
उच्च शिक्षा और रोजगारोन्मुखी शिक्षण को मिलेगी गति
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस निर्णय को विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा कि यह संशोधन तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा तंत्र को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। नए विभागों और समावेशी बोर्ड ऑफ फैकल्टी संरचना के माध्यम से शैक्षणिक गुणवत्ता, शोध, उद्योग सहयोग तथा रोजगारपरक शिक्षण को अभूतपूर्व गति मिलेगी। विश्वविद्यालय अब नए पाठ्यक्रमों के विकास, बोर्ड ऑफ स्टडीज के गठन, उद्योग साझेदारी और शोध विस्तार की दिशा में कार्य करेगा, ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप एक सशक्त शैक्षणिक ढांचा तैयार हो सके।