गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) ने शैक्षणिक सत्र 2025-26 में राष्ट्रीय पटल पर अपनी पहचान मजबूत की है। विश्वविद्यालय के यूजी (UG) और पीजी (PG) पाठ्यक्रमों में इस सत्र में देश के 15 राज्यों से कुल 169 छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया है। यह सफलता न केवल विश्वविद्यालय के बढ़ते राष्ट्रीय आकर्षण को दर्शाती है, बल्कि इसकी शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार की ओर भी इशारा करती है। इस राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व में वृद्धि को डीडीयू की महत्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।
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राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व में महत्वपूर्ण उछाल
शैक्षणिक सत्र 2025-26 में बाहरी राज्यों के छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जहां पिछले सत्र में केवल आठ राज्यों के अभ्यर्थियों ने डीडीयू में प्रवेश लिया था, वहीं इस बार यह संख्या बढ़कर 15 राज्यों तक पहुंच गई है। पिछले दो वर्षों के आंकड़े यह साफ दिखाते हैं कि बाहरी राज्यों के छात्रों का रुझान दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की ओर तेजी से बढ़ा है, जो इसकी शैक्षिक गतिविधियों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
हिंदी भाषी क्षेत्रों से लेकर पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत तक पहुंच
डीडीयू में प्रवेश लेने वाले छात्रों की भौगोलिक पहुँच अब काफी व्यापक हो गई है। प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों में हिंदी भाषी क्षेत्र जैसे उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के छात्र शामिल हैं। इसके अलावा, पश्चिमी राज्य गुजरात और दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक के छात्रों ने भी दाखिला लिया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि पूर्वोत्तर के चार राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और सिक्किम) के विद्यार्थियों ने भी डीडीयू में स्थान बनाया है, जिससे परिसर में सांस्कृतिक विविधता और बहुलता बढ़ी है।
कुलपति ने बताया गुणवत्ता की स्वीकार्यता
विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने राष्ट्रीय स्तर पर छात्रों के बढ़ते आकर्षण पर खुशी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि देश के कोने-कोने से प्रतिभाशाली छात्रों का विश्वविद्यालय में आना गर्व का विषय है। कुलपति के अनुसार, यह उपलब्धि विश्वविद्यालय में प्रदान की जा रही शिक्षा की गुणवत्ता को मिली राष्ट्रीय स्वीकार्यता को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह का राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व परिसर में सांस्कृतिक बहुलता और विविधता को बढ़ावा देता है, जो छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। गौरतलब है कि इस सत्र के लिए कुल 26 राज्यों के अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था, जिनमें से 15 राज्यों के अभ्यर्थी अंतिम प्रवेश सूची में स्थान बनाने में सफल रहे।

