गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (DDU) ने तकनीकी शिक्षा, नवाचार, उद्यमिता और कौशल विकास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने गोरखपुर स्थित अग्रणी ड्रोन एवं इलेक्ट्रॉनिक्स प्रौद्योगिकी कंपनी फ्लाइटियम ड्रोन प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
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इस समझौते का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय परिसर में “ड्रोन एवं इलेक्ट्रॉनिक्स नवाचार उत्कृष्टता केंद्र” की स्थापना करना है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020), मेक इन इंडिया तथा आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इस साझेदारी से पूर्वांचल क्षेत्र में ड्रोन तकनीक के बढ़ते अनुप्रयोगों, जैसे कि कृषि, स्मार्ट सिटी, परिवहन और आपदा प्रबंधन को सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।
विश्वस्तरीय प्रयोगशालाओं की स्थापना
इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत, विश्वविद्यालय परिसर में ड्रोन तकनीक और उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास एवं प्रमाणित प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाएँगे। छात्रों को विश्वस्तरीय प्रयोगशालाओं में अध्ययन का अवसर मिलेगा।
स्थापित की जाने वाली प्रयोगशालाएँ:
- ड्रोन प्रयोगशाला
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) प्रयोगशाला
- एम्बेडेड सिस्टम प्रयोगशाला
ये प्रयोगशालाएँ छात्रों को अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान और हैंड्स-ऑन अनुभव प्रदान करेंगी।
उद्यमिता के अवसर
समझौते के तहत, विश्वविद्यालय के छात्रों को औद्योगिक परियोजनाओं, इंटर्नशिप और स्थल भ्रमण के महत्वपूर्ण अवसर प्राप्त होंगे, जो उन्हें उद्योग की वास्तविक आवश्यकताओं के लिए तैयार करेंगे।
इसके अलावा, निम्नलिखित कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएँगे:
- स्टार्टअप और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम।
- संयुक्त अनुसंधान, पेटेंट और प्रकाशन पर कार्य।
- प्रतियोगिताएँ और नवाचार प्रदर्शन।
यह पहल इंजीनियरिंग, फार्मेसी, वाणिज्य, प्रबंधन और कंप्यूटर विज्ञान के विद्यार्थियों के साथ-साथ नवाचार में रुचि रखने वाले युवाओं, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को लाभान्वित करेगी।
फ्लाइटियम ड्रोन और विश्वविद्यालय की भूमिका
इस साझेदारी में दोनों पक्ष अपनी विशेषज्ञता का योगदान देंगे।
फ्लाइटियम ड्रोन प्राइवेट लिमिटेड की भूमिका | दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की भूमिका |
तकनीकी विशेषज्ञता और उद्योग मानक प्रशिक्षण प्रदान करना। | इन कार्यक्रमों को शैक्षणिक ढाँचे में एकीकृत करना। |
प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, प्रयोगशाला स्थापना में सहयोग। | छात्रों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना। |
प्रोटोटाइप विकास में मार्गदर्शन देना। | नीतिगत और अनुसंधान आधारित सहयोग प्रदान करना। |
निवेशकों और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र से विश्वविद्यालय को जोड़ना। |
यह समझौता हस्ताक्षर की तिथि से पाँच वर्षों तक प्रभावी रहेगा और इसे आपसी सहमति से आगे बढ़ाया जा सकेगा।
पूर्वांचल बनेगा ड्रोन नवाचार का केंद्र: कुलपति
कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने इस समझौते को विश्वविद्यालय के लिए तकनीकी नवाचार के एक नए युग की शुरुआत बताया है। उन्होंने कहा कि ड्रोन तकनीक भविष्य की सबसे परिवर्तनकारी प्रौद्योगिकियों में से एक है, जिसका उपयोग कृषि से लेकर रक्षा, स्मार्ट सिटी से लेकर आपदा प्रबंधन तक व्यापक रूप से होगा।
प्रोफेसर टंडन ने ज़ोर देते हुए कहा, “इस समझौते के माध्यम से हमारे छात्र अत्याधुनिक तकनीक, वैश्विक स्तर की दक्षता, उद्यमशीलता संस्कृति और अनुसंधान आधारित शिक्षा से जुड़ सकेंगे। यह पहल पूर्वांचल को ड्रोन नवाचार का केंद्र बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।”
भविष्य में विश्वविद्यालय और कंपनी मिलकर एक ऐसा नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र बनाएँगे, जो छात्रों को नौकरी खोजने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनाएगा और विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय तकनीकी उत्कृष्टता केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित करेगा।
DDU गोरखपुर-ड्रोन तकनीक समझौते की खास बातें
समझौते का नाम | DDU और फ्लाइटियम ड्रोन प्राइवेट लिमिटेड के बीच एमओयू |
मुख्य उद्देश्य | “ड्रोन एवं इलेक्ट्रॉनिक्स नवाचार उत्कृष्टता केंद्र” की स्थापना |
अवधि | 5 वर्ष (पारस्परिक सहमति से आगे बढ़ाया जा सकता है) |
लाभार्थी | इंजीनियरिंग, फार्मेसी, वाणिज्य, प्रबंधन, कंप्यूटर विज्ञान के छात्र, शिक्षक, शोधकर्ता |
प्रयोगशालाएँ | ड्रोन प्रयोगशाला, IoT प्रयोगशाला, एम्बेडेड सिस्टम प्रयोगशाला |
राष्ट्रीय विज़न | NEP 2020, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत |