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यूपी में ‘जाति’ पर योगी सरकार के फैसले पर एनडीए में ही फूट, डॉ. संजय बोले…तो कौन पहचानेगा?

यूपी में 'जाति' पर योगी सरकार के फैसले पर एनडीए में ही फूट, डॉ. संजय बोले…तो कौन पहचानेगा?
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पुलिस रिकॉर्ड, वाहनों और सार्वजनिक जगहों पर जाति लिखने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले पर एनडीए के सहयोगी डॉ. संजय निषाद और विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है, जिससे राज्य में सियासी घमासान तेज हो गया है। जानें क्या है पूरा मामला।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने जाति के नाम पर होने वाले प्रदर्शनों और सार्वजनिक जगहों पर पहचान दर्शाने पर बड़ा प्रतिबंध लगाया है। सरकार ने आदेश जारी कर दिया है कि अब पुलिस रिकॉर्ड, सार्वजनिक स्थानों और वाहनों पर जाति लिखने पर पूरी तरह रोक होगी। साथ ही जाति के नाम पर रैलियां और प्रदर्शन करने पर भी पाबंदी रहेगी। हालांकि, सरकार के इस आदेश का एनडीए के भीतर ही विरोध शुरू हो गया है, जिससे प्रदेश की राजनीति गरमा गई है।

एनडीए के सहयोगी ही विरोध में

योगी सरकार के इस फैसले का एनडीए के भीतर से ही विरोध शुरू हो गया है। निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने भदोही में एक सभा के दौरान खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “अगर हम अपनी जाति नहीं लिखेंगे, तो कौन जानेगा और कौन पहचानेगा?” डॉ. निषाद ने आगे कहा कि देश में जातियों का गौरवशाली इतिहास रहा है और उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने यहां तक कह दिया कि वे इस आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर करने की मांग करेंगे।

विपक्ष ने भी खड़े किए सवाल

योगी सरकार के इस फैसले ने प्रदेश की राजनीति को और गरमा दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार से पांच सवाल पूछते हुए कहा कि 5000 सालों से मन में जमी जातिगत सोच और भेदभाव को मिटाने के लिए योगी सरकार ने क्या कदम उठाए? उन्होंने सवाल किया कि अगर वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्ह जाति को दर्शाते हैं, तो क्या उन्हें भी रोका जाएगा? वहीं, नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस आदेश को बीजेपी सरकार की हताशा बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि सरकार इसे समानता का कदम बता रही है, लेकिन असल में यह बहुजन समाज की आवाज दबाने और जातिवाद को खत्म करने में सरकार की नाकामी का सबूत है।

सरकार का आदेश क्या कहता है?

सरकार के ताज़ा निर्देशों के मुताबिक, पुलिस रिकॉर्ड और सार्वजनिक नोटिसों से जातिगत संदर्भ तुरंत हटाए जाएं। वाहनों पर जाति आधारित स्टिकर या नारे लिखने वालों पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, जाति के नाम पर रैली और प्रदर्शन पर भी प्रतिबंध रहेगा। सरकार का यह कदम जहां सामाजिक समानता के संदेश के रूप में पेश किया जा रहा है, वहीं जातिगत पहचान और गौरव के सवाल पर राजनीतिक दल इसे मुद्दा बना रहे हैं। निषाद पार्टी की नाराजगी के बाद बीजेपी की सहयोगी राजनीति पर भी असर पड़ने की चर्चा शुरू हो गई है।

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Amit Srivastava

Amit Srivastava

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गोरखपुर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से अध्ययन. Amit Srivastava अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान के साथ करीब डेढ़ दशक तक जुड़े रहे. गोरखपुर शहर से जुड़े मुद्दों पर बारीक नज़र रखते हैं.

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