वीर बहादुर सिंह के जीवन, राजनीतिक करियर (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और केंद्रीय संचार मंत्री), उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकों और उनके नाम पर बनी महत्वपूर्ण संस्थाओं के बारे में जानें।
1. वीर बहादुर सिंह कौन थे?
वीर बहादुर सिंह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक भारतीय राजनेता थे। उन्होंने 1985 से 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और 1988 से 1989 तक केंद्र सरकार में संचार मंत्री रहे। वह एक लेखक भी थे।
2. वीर बहादुर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
वीर बहादुर सिंह का जन्म 18 फरवरी 1935 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत के गोरखपुर में एक राजपूत परिवार में हुआ था।
3. वीर बहादुर सिंह का राजनीतिक जीवन कैसा रहा?
वीर बहादुर सिंह 24 सितंबर 1985 से 25 जून 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें 1988 में राजीव गांधी द्वारा केंद्रीय संचार मंत्री नियुक्त किया गया था। पूर्वी उत्तर प्रदेश में उनके राजनीतिक कार्यों में उनके करीबी सहयोगी ओम प्रकाश पांडे और बृज भूषण सिंह ने सहायता की थी। ओम प्रकाश पांडे की अचानक मृत्यु के कारण उनके राजनीतिक करियर को एक बड़ा झटका लगा, जिसके परिणामस्वरूप जून 1988 में राज्य विधानसभा में बहुमत खो गया।
4. वीर बहादुर सिंह ने कौन-कौन से प्रमुख पद धारण किए?
उन्होंने दो प्रमुख पद धारण किए:
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री: वह 24 सितंबर 1985 से 25 जून 1988 तक उत्तर प्रदेश के 13वें मुख्यमंत्री रहे। वह गोरखपुर से उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे।
- संचार मंत्री: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद, उन्हें 25 जून 1988 से 30 मई 1989 तक राजीव गांधी मंत्रालय के तहत भारत का संचार मंत्री नियुक्त किया गया।
5. वीर बहादुर सिंह के बेटे का क्या नाम है और क्या वह भी राजनीति में सक्रिय हैं?
हां, उनके बेटे का नाम फतेह बहादुर सिंह है, जिन्होंने कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल, देहरादून से पढ़ाई की है। वह उत्तर प्रदेश कैबिनेट में कई बार मंत्री (उत्तर प्रदेश के वन मंत्री) रह चुके हैं।
6. वीर बहादुर सिंह की मृत्यु कब और कहाँ हुई?
वीर बहादुर सिंह की मृत्यु 30 मई 1989 को पेरिस, फ्रांस में 54 वर्ष की आयु में उनकी यात्रा के दौरान हुई थी।
7. वीर बहादुर सिंह द्वारा लिखी गई कुछ प्रमुख पुस्तकें कौन सी हैं?
वीर बहादुर सिंह ने कई पुस्तकें लिखीं, जिनमें शामिल हैं:
- “From Naoroji to Nehru: Six essays in Indian economic thought” (1975)
- “Essays in Indian political economy” (1967)
- “An evaluation of fair price shops” (1973)
- “Indian economy yesterday and today.” (1970)
- “An introduction to the study of Indian labour problems” (1967)
- “Multinational corporations and India” (1979)
8. वीर बहादुर सिंह के नाम पर कौन-कौन सी महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं?
उनके सम्मान में कई संस्थाओं का नाम रखा गया है:
- वीर बहादुर सिंह तारामंडल, गोरखपुर
- वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर
- बीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज, गोरखपुर
- वीर बहादुर सिंह डिग्री कॉलेज, गोरखपुर (दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध)
वीर बहादुर सिंह: निजी जीवन/राजनीतिक
- 18 जनवरी 1935: वीर बहादुर सिंह का जन्म गोरखपुर के हरनही गांव में हुआ।
- 1967: वीर बहादुर सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए पनियारा निर्वाचन क्षेत्र (गोरखपुर) से चुने गए।
- 1969: वीर बहादुर सिंह पनियारा से दोबारा उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य चुने गए।
- 1970: वीर बहादुर सिंह 19 अप्रैल 1970 को चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में उपमंत्री नियुक्त हुए और 1971 से 1973 तक तथा 1973 से 1974 तक इस पद पर रहे।
- 1974: वीर बहादुर सिंह पनियारा से तीसरी बार उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य चुने गए। इसी वर्ष उन्होंने शिवहर्ष उपाध्याय को हरिशंकर तिवारी के खिलाफ विधान परिषद चुनाव में समर्थन देकर अपनी पहली बड़ी राजनीतिक जीत हासिल की।
- 1976-1977: वीर बहादुर सिंह एन. डी. तिवारी सरकार में राज्य मंत्री के पद पर रहे।
- 1977: वीर बहादुर सिंह पनियारा से चुनाव लड़े लेकिन एक निर्दलीय उम्मीदवार गुंजेश्वर से हार गए।
- 1980: वीर बहादुर सिंह पनियारा से चौथी बार उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य चुने गए। इसी वर्ष वह वी. पी. सिंह की सरकार में मंत्री बने।
- 1985 (शुरुआत): 9वीं यूपी विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस को 425 में से 268 सीटें मिलीं। एन. डी. तिवारी ने 11 मार्च 1985 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
- 24 सितंबर 1985: तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अनुरोध पर एन. डी. तिवारी के इस्तीफे के बाद वीर बहादुर सिंह ने उत्तर प्रदेश के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें “कॉन्ट्रैक्ट मुख्यमंत्री” कहा जाने लगा। उनका कार्यकाल सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल से भरा रहा।
- 1985-1988: वीर बहादुर सिंह के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान गोरखपुर में कई विकास कार्य हुए, जिनमें रामगढ़ ताल परियोजना, बौद्ध परिपथ, सर्किट हाउस, सड़कों का चौड़ीकरण, विकास नगर, राप्तीनगर में आवासीय भवनों का निर्माण, पर्यटन विकास केंद्र की स्थापना, तारामंडल का निर्माण और कई पार्कों का सौंदर्यीकरण शामिल है।
- फरवरी 1986: अयोध्या में बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि परिसर के ताले एक अदालत के आदेश के बाद खोले गए।
- 8 सितंबर 1986: लोकदल नेता मुलायम सिंह यादव ने वीर बहादुर सिंह सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे सरकार ने 108 के मुकाबले 250 वोटों से हरा दिया।
- नवंबर 1986 और सितंबर 1987: सरकारी कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लंबी हड़तालें कीं।
- 1987: मेरठ में सांप्रदायिक दंगे हुए, जिनमें 181 लोग मारे गए।
- 1988 (शुरुआत): वीर बहादुर सिंह के करीबी छात्र नेता ओम प्रकाश पांडेय की अचानक मृत्यु हो गई, जिसे वीर बहादुर सिंह के राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका माना गया।
- 24 जून 1988: वीर बहादुर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
- 25 जून 1988: वीर बहादुर सिंह को राजीव गांधी की कैबिनेट में केंद्रीय संचार मंत्री नियुक्त किया गया। वह 1988 से 1989 तक इस पद पर रहे।
- 1988-1989: वीर बहादुर सिंह राज्यसभा के सदस्य भी रहे।
- 30 मई 1989: वीर बहादुर सिंह का पेरिस, फ्रांस में 54 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जहां वे इलाज के लिए गए थे। उनकी मृत्यु को लेकर कई तरह की बातें होती रही हैं।
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