Last Updated on September 28, 2025 11:42 AM by गो गोरखपुर ब्यूरो
Prof UP Singh, Gorakhpur: प्रोफ़ेसर उदय प्रताप सिंह (प्रो. यूपी सिंह) एक प्रतिष्ठित गणितज्ञ, समर्पित शिक्षाविद और एक ऐसे “गृहस्थ संन्यासी” थे, जिनका संपूर्ण जीवन गोरक्षपीठ और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की सेवा में समर्पित रहा। उन्होंने पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति और महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए शिक्षा जगत में एक अमूल्य विरासत स्थापित की। उनका जीवन विद्वता, कर्मठता और आध्यात्मिक समर्पण का एक अनूठा संगम था, जिसने उन्हें शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में एक आदर्श व्यक्तित्व के रूप में स्थापित किया। उनकी प्रेरणादायक यात्रा को समझने के लिए, हमें उनके प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक पृष्ठभूमि को देखना होगा।
प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक नींव
प्रोफ़ेसर उदय प्रताप सिंह का जन्म 1 सितंबर, 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में हुआ था। वह आरंभ से ही एक मेधावी छात्र थे, जिसने उनके शानदार अकादमिक करियर की नींव रखी। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्रतिष्ठित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से प्राप्त की, जहाँ से उन्होंने गणित में प्रथम श्रेणी में एमएससी की उपाधि हासिल की। इसके बाद, उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से अपनी पीएचडी पूरी कर अकादमिक क्षेत्र में अपनी विद्वता को और प्रगाढ़ किया। उनकी यह मजबूत शैक्षणिक नींव ही थी जिसने उन्हें गोरक्षपीठ के शैक्षिक मिशन से जुड़ने और उसे आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।
गोरक्षपीठ के साथ एक आजीवन संबंध का आरंभ
प्रोफ़ेसर सिंह के पेशेवर जीवन का आरंभ सीधे गोरक्षपीठ के संरक्षण में हुआ। उनकी पहली नियुक्ति तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर, महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज द्वारा महाराणा प्रताप डिग्री कॉलेज में गणित के शिक्षक के रूप में की गई थी। यह संबंध तब और गहरा हो गया जब गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महंत दिग्विजयनाथ जी ने अपने महाविद्यालय को दान कर दिया। इस ऐतिहासिक कदम के परिणामस्वरूप, महाविद्यालय के शिक्षक और छात्र दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय का हिस्सा बन गए। इस प्रकार, प्रोफ़ेसर सिंह विश्वविद्यालय के गणित विभाग का अंग बन गए। यह उनके लिए पीठ के मिशन से कोई प्रस्थान नहीं था, बल्कि उसी शैक्षिक दृष्टि का एक विस्तार था, जिसे उन्होंने विश्वविद्यालय की नई संरचना के भीतर आगे बढ़ाया।
एक प्रतिष्ठित अकादमिक यात्रा
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से अपनी यात्रा शुरू करने के बाद, प्रोफ़ेसर सिंह ने अकादमिक और प्रशासनिक दोनों क्षेत्रों में लगातार प्रगति की। उनके करियर के प्रमुख पड़ाव इस प्रकार हैं:
1. दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में सेवा:
◦ आचार्य एवं विभागाध्यक्ष: उन्होंने गणित विभाग में एक सम्मानित आचार्य (प्रोफ़ेसर) के रूप में कार्य किया और बाद में विभागाध्यक्ष का पद संभाला, जहाँ उन्होंने विभाग को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया।
◦ प्रति कुलपति (Pro-Vice-Chancellor): उनकी नेतृत्व क्षमता और प्रशासनिक कौशल को देखते हुए, उन्हें विश्वविद्यालय का प्रति कुलपति नियुक्त किया गया, जो उनकी अकादमिक प्रतिष्ठा को दर्शाता है।
2. पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर के कुलपति (Vice-Chancellor): अपने अकादमिक करियर के शिखर पर, उन्होंने पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार संभाला। यह उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक उपलब्धि थी, जहाँ उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
3. मानद उपाधि: शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए, उन्हें 2018 में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय द्वारा “डॉक्टर ऑफ साइंस” (मानद उपाधि) से सम्मानित किया गया।
अपने औपचारिक अकादमिक करियर से सेवानिवृत्त होने के बाद भी, उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की सेवा में समर्पित कर दिया।
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद में नेतृत्व
सेवानिवृत्ति के बाद प्रोफ़ेसर सिंह का जीवन महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के लिए पूरी तरह से समर्पित हो गया। वर्ष 2018 में डॉ. भोलेंद्र सिंह के निधन के बाद उन्हें परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। जब गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो प्रो. सिंह ने परिषद के अंतर्गत आने वाले चार दर्जन से अधिक संस्थानों के संचालन की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। उनकी कार्यशैली अद्वितीय थी; 92 वर्ष की आयु में भी, वह प्रतिदिन गोरखनाथ मंदिर स्थित अपने कार्यालय में 4 से 5 घंटे काम करते थे। वर्ष 2021 में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ, उन्हें विश्वविद्यालय का प्रति कुलाधिपति (Pro-Chancellor) बनाया गया, जो पीठ के प्रति उनके अटूट समर्पण का प्रतीक था। इस प्रकार, उनका पेशेवर जीवन जिस गोरक्षपीठ की छत्रछाया में आरंभ हुआ था, उसी की सेवा में अपने चरमोत्कर्ष पर पूर्ण हुआ।
प्रमुख दायित्व और उपलब्धियाँ: एक दृष्टि में
प्रोफ़ेसर यू.पी. सिंह ने अपने लंबे और शानदार करियर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। उनके प्रमुख पदों और अकादमिक उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है:
पद / सम्मान | विवरण / संस्था |
अध्यक्ष | महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद, गोरखपुर (2018 से निधन तक) |
प्रति कुलाधिपति | महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, गोरखपुर (2021 से) |
कुलपति | पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर |
प्रति कुलपति | दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय |
चेयरमैन | उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय एक्ट संशोधन समिति |
अध्यक्ष | इंडियन मैथेमेटिक सोसाइटी (1993-94) |
प्रांत संघचालक | राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ |
शोध प्रकाशन | भारतीय और अंतरराष्ट्रीय जर्नलों में 110 से अधिक शोध पत्र |
पीएचडी मार्गदर्शन | 20 से अधिक शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया |
व्यक्तिगत जीवन, निधन और विरासत
प्रोफ़ेसर यू.पी. सिंह एक आध्यात्मिक व्यक्ति और गोरक्षपीठ को समर्पित एक “गृहस्थ संन्यासी” थे। उनका व्यक्तिगत जीवन भी शिक्षा को समर्पित रहा; उनके दोनों पुत्र शिक्षा जगत में प्रतिष्ठित पदों पर हैं। उनके बड़े पुत्र, प्रो. वी.के. सिंह, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं, जबकि छोटे पुत्र, डॉ. राजीव कृष्ण सिंह, यूपी कॉलेज, वाराणसी में प्रवक्ता हैं।
92 वर्ष की आयु में, शनिवार, 27 सितंबर, 2025 को उनका निधन हो गया। उनके निधन से शिक्षा जगत में एक युग का अंत हो गया। उनके योगदान को याद करते हुए कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
“महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद, गोरखपुर के अध्यक्ष, आदर्श शिक्षक, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में गणित विभाग के पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष, पूर्व कुलपति प्रो. यू.पी. सिंह जी का निधन अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों एवं अनुयायियों को सम्बल प्रदान करने की प्रार्थना है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद एवं समाज के लिए उनका जीवन सदा मार्गदर्शक बना रहेगा।” – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
“प्रो यूपी सिंह के साथ महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद का एक युग पूर्ण हुआ। उन्होंने मुझे और मेरे जैसे बहुतों को देश और समाज के लिए जीना सिखाया है। श्री गोरक्षपीठ के प्रति असीमित श्रद्धा और समर्पण की शिक्षा दी है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के लिए जीना सिखाया है। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद में कार्य करते हुए जब भी कोई निराश होगा, मार्ग धुंधला होगा, पग डगमगाने लगेंगें, प्रो यू पी सिंह का जीवन प्रकाश स्तम्भ की तरह हमारा मार्ग प्रशस्त करेगा।” – डॉ. प्रदीप राव
प्रोफ़ेसर उदय प्रताप सिंह का जीवन निःस्वार्थ सेवा, अकादमिक उत्कृष्टता और शिक्षा के प्रति अटूट समर्पण का एक प्रेरणादायक उदाहरण बना रहेगा।