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‘जल जीवन मिशन’ ने बदल दी ग्रामीण भारत की तस्वीर, अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले सकारात्मक परिणाम

'जल जीवन मिशन' ने बदल दी ग्रामीण भारत की तस्वीर
गोरखपुर विश्वविद्यालय और वाटर ऐड इंडिया के संयुक्त अध्ययन में खुलासा: 'जल जीवन मिशन' ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक विकास में लाए सकारात्मक बदलाव।

गोरखपुर: भारत सरकार के महत्वाकांक्षी ‘जल जीवन मिशन’ (हर घर जल योजना) के ग्रामीण भारत पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने के लिए एक महत्वपूर्ण संयुक्त अध्ययन पूरा हो गया है। अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संगठन वाटर ऐड इंडिया और दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के भूगोल विभाग द्वारा किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि इस योजना ने स्वास्थ्य, शिक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक समरसता के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सकारात्मक बदलाव लाए हैं।

मिशन का उद्देश्य और अध्ययन की पृष्ठभूमि: ‘जल जीवन मिशन’, जिसे 2019 में जल शक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था, का प्राथमिक उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर नल का पानी स्थायी आधार पर उपलब्ध कराना था। सरकार इस कार्यक्रम के जमीनी प्रभाव का मूल्यांकन करना चाहती थी, जिसके लिए यह संयुक्त अध्ययन एक महत्वपूर्ण पहल थी।

अध्ययन की कार्यप्रणाली और निष्कर्ष: इस अध्ययन के तहत गोरखपुर मंडल के तीन जिलों – गोरखपुर, कुशीनगर और महराजगंज में गहन सर्वेक्षण किया गया। शोधकर्ताओं ने साक्षात्कार, सामूहिक परिचर्चा, ट्रांजिट वॉक और व्यक्तिगत अवलोकन जैसे तरीकों का उपयोग करते हुए आठ स्टेकहोल्डर्स से प्रतिक्रियाएँ एकत्र कीं। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ जल की उपलब्धता से ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रामक रोगों, उदर रोग और त्वचा रोगों जैसी समस्याओं में कमी आई है, जिससे ग्रामीण स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।

अध्ययन में शामिल प्रमुख हस्तियाँ: यह सर्वेक्षण भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. शिवाकांत सिंह और सहायक आचार्य डॉ. दीपक प्रसाद के कुशल निर्देशन में संपन्न हुआ। इस कार्य में भूगोल विभाग के अन्य सदस्य डॉ. स्वर्णिमा सिंह, डॉ. सर्वेश कुमार, डॉ. अंकित सिंह, डॉ. मनीष कुमार सिंह, डॉ. श्रीप्रकाश सिंह, डॉ. ज्ञानप्रकाश और डॉ. दुर्गावती यादव ने भी महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए।

सर्वेक्षण का नेतृत्व भूगोल विभाग के तीन वरिष्ठ शोधार्थियों – मनीषा पासवान, अखंड प्रताप सिंह और तृप्ति उपाध्याय – सहित 12 स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राओं ने किया। इन छात्र-छात्राओं ने तीन अलग-अलग जिलों में आंकड़ों का विश्लेषण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। यह पूरी सर्वेक्षण प्रक्रिया तीन माह (जनवरी से मार्च) तक चली।

सम्मान समारोह और भविष्य की राह: आज पूर्वाह्न 10 बजे भूगोल विभाग में जल जीवन मिशन प्रभाव मूल्यांकन से जुड़े शोधार्थियों और छात्र-छात्राओं को सम्मानित करने के लिए एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया। वाटर ऐड इंडिया से श्री देवेंद्र सिंह और उनकी सहयोगी टीम (श्वेता सिंह, अस्मिता शाहा और यशवंत सिंह) ने सभी सर्वेक्षणकर्ताओं को किट, प्रमाण-पत्र और स्टाइपेंड (वृत्तिका) प्रदान कर सम्मानित किया। विभागाध्यक्ष प्रो. शिवाकांत सिंह को भी किट, प्रमाण-पत्र और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन जल जीवन मिशन प्रभाव मूल्यांकन के समन्वयक डॉ. दीपक प्रसाद ने किया, और अंत में विभागाध्यक्ष द्वारा सभी के प्रति आभार व्यक्त किया गया।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग और वाटर ऐड इंडिया के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न इस शोध कार्य की व्यापक प्रशंसा की गई है। इसकी सफलता को देखते हुए, शासन ने दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग को भविष्य में भी ऐसे शोध कार्य जारी रखने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही, पूर्वांचल के अन्य मंडलों के ग्रामीण क्षेत्रों पर जल जीवन मिशन कार्यक्रम के मूल्यांकन हेतु अन्य विश्वविद्यालयों को भी जिम्मेदारी देने की बात कही गई है।

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Amit Srivastava

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गोरखपुर विश्वविद्यालय और जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से अध्ययन. Amit Srivastava अमर उजाला, दैनिक जागरण, दैनिक हिंदुस्तान के साथ करीब डेढ़ दशक तक जुड़े रहे. गोरखपुर शहर से जुड़े मुद्दों पर बारीक नज़र रखते हैं.

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