दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और यूपी सरकार के संयुक्त तत्वावधान में "विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047" पर संवाद कार्यक्रम हुआ। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने युवाओं को विकास का वाहक बताया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों और छात्रों ने विकास के तीन प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा की, जिसमें आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहलुओं को शामिल किया गया है।
गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आज “शताब्दी संकल्प @ 2027” के तहत एक महत्वपूर्ण संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका मुख्य विषय ‘विकसित भारत – विकसित उत्तर प्रदेश, आत्मनिर्भर भारत – आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ था। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने विशेषज्ञों और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के भविष्य पर गहन मंथन किया।
शिक्षा और युवाओं की भूमिका
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति, प्रोफेसर पूनम टंडन ने शिक्षा और युवाओं की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि “समर्थ उत्तर प्रदेश, विकसित उत्तर प्रदेश के सपने को साकार करने में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा राज्य के विकास का सबसे अहम घटक है और युवा ही परिवर्तन के वास्तविक वाहक हैं। यह संवाद कार्यक्रम इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए आयोजित किया गया था, ताकि छात्रों को सीधे नीति-निर्माण प्रक्रिया से जोड़ा जा सके।

विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047: तीन प्रमुख बिंदु
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने ‘विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047’ की कार्य योजना पर प्रकाश डाला, जो व्यापक जनभागीदारी और परामर्श से तैयार की जा रही है। इस मिशन के तीन मुख्य बिंदु बताए गए:
- समग्र विकास: हर नागरिक को घर, पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा देना।
- आर्थिक नेतृत्व: कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बढ़त हासिल करना।
- सांस्कृतिक पुनर्जागरण: परंपरा और आधुनिकता का संतुलन बनाना। इन बिंदुओं को अर्थ शक्ति, सृजन शक्ति, और जीवन शक्ति की थीम पर केंद्रित 12 चिह्नित सेक्टरों में बांटा गया है, जिनमें कृषि, आईटी, पर्यटन, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुशासन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
जनभागीदारी और विशेषज्ञों का संवाद
संवाद कार्यक्रम में कई वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, वैज्ञानिक और शिक्षाविद शामिल हुए, जिन्होंने छात्रों से सीधे बात की। इनमें आईएएस देश दीपक वर्मा, आईएफएस विनय कृष्ण मिश्र, आईआरएसएस रामकृष्ण यादव, और सुहास एल.वाई. जैसे प्रमुख नाम थे। इन अतिथियों ने इस बात पर जोर दिया कि “विकसित उत्तर प्रदेश” का सपना केवल सरकार का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश का साझा लक्ष्य है और इसकी सफलता जनता की सक्रिय सहभागिता पर निर्भर करती है। उन्होंने युवाओं को इस विकास यात्रा का अभिन्न अंग बनने के लिए प्रेरित किया।
छात्रों और शिक्षकों के रचनात्मक सुझाव
छात्रों ने भी इस संवाद में बढ़-चढ़कर भाग लिया और अपने रचनात्मक सुझाव दिए। एमबीए के छात्र आशीष मिश्रा ने कहा कि केवल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने पर ही नहीं, बल्कि उसके रखरखाव और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए। वहीं, छात्र शिवाजी ने नीतियों के प्रबंधन में नई तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया।
हिंदी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अभिषेक शुक्ल ने विकास मॉडल में भारतीयता को शामिल करने का महत्वपूर्ण सुझाव दिया। उन्होंने कहा, “भारतीय संस्कृति और मूल्य दुनिया के लिए रोल मॉडल बन सकते हैं।” उन्होंने भारतीय समाज की ‘परिवार’ की थाती के महत्व पर भी बल दिया।
कार्यक्रम की नोडल अधिकारी प्रोफेसर विनीता पाठक और जिला प्रशासन की ओर से मुख्य विकास अधिकारी शाश्वत त्रिपुरेश रहे। इस सफल कार्यक्रम ने विद्यार्थियों और युवा शिक्षकों को उत्तर प्रदेश के भविष्य के लिए अपनी भूमिका तय करने का संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया।