गोरखपुर: शहर के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर की देखभाल के लिए रखी गई नौकरानी और उसके बेटों पर लगे आरोपों ने सनसनी फैला दी है। यह मामला सिर्फ संपत्ति विवाद का नहीं, बल्कि भरोसे के कत्ल, सोची-समझी साजिश और एक संदिग्ध मौत के इर्द-गिर्द घूमता है। हरियाणा के फरीदाबाद निवासी, स्वर्गीय सुरेश चंद्र बहल के पोते निखिल बहल, जो वर्तमान में गोरखपुर में ही रह रहे हैं, उन्होंने अपनी दादी की देखभाल करने वाली नौकरानी आयशा खान और उसके तीन बेटों पर न केवल करोड़ों की संपत्ति हड़पने, बल्कि बैंक खातों में हेरफेर करने और अपने दादा की हत्या की साजिश रचने जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं।
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शिकायतकर्ता निखिल बहल द्वारा दर्ज कराए गए मामले के अनुसार, प्रोफेसर सुरेश चंद्र बहल और उनकी बीमार पत्नी की देखभाल के लिए आयशा खान उर्फ क्लारा अगीता उर्फ विनीता साइमन को केयरटेकर के रूप में रखा गया था। आरोप है कि परिवार का विश्वास जीतने के बाद, आयशा ने धीरे-धीरे अपने तीन बेटों—तनवीर अहमद उर्फ डेविड साइमन, अर्पित साइमन और आशीष साइमन—को भी उसी घर में रहने के लिए बुला लिया।
एक बार घर में अपनी जगह पक्की करने के बाद, आयशा और उसके बेटों ने कथित तौर पर प्रोफेसर को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया। आरोपों के अनुसार, उन्होंने प्रोफेसर का विश्वास जीतकर उनके बैंक खातों, बीमा पॉलिसियों और संपत्ति से जुड़ी सभी गोपनीय जानकारी हासिल कर ली। बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत से प्रोफेसर का पुराना बैंक खाता बंद करवा दिया, जिसमें प्रोफेसर की बहू (निखिल की मां) इंदू बहल नॉमिनी थीं।
आयशा ने कथित तौर पर बीमा पॉलिसी में खुद को लाभार्थी के रूप में दर्ज करा लिया। इतना ही नहीं, उन्होंने धोखाधड़ी की पराकाष्ठा करते हुए ऐसे दस्तावेज़ भी तैयार करवाए जिनमें प्रोफेसर सुरेश चंद्र बहल को अपना पति बताया गया था, ताकि बीमा और संपत्ति पर उनका दावा अकाट्य हो सके।
प्रोफेसर सुरेश चंद्र बहल की मृत्यु के आस-पास की परिस्थितियां इस मामले का सबसे गंभीर और चिंताजनक पहलू हैं, जिसने परिवार के संदेह को यकीन में बदल दिया। इस साल 10 मार्च को सेवानिवृत्त प्रोफेसर बहल की नांगलिया अस्पताल में संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। आयशा खान का दावा था कि प्रोफेसर घर में गिरकर घायल हुए थे, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।
परिवार का आरोप यह है कि उन्हें इस घटना की सूचना तुरंत नहीं दी गई। जब तक वे फरीदाबाद से गोरखपुर पहुंचे और राजघाट श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सूचना छिपाने के इस कृत्य ने परिवार के मन में हत्या की साजिश का संदेह गहरा कर दिया। प्रोफेसर की संदिग्ध मृत्यु के तुरंत बाद संपत्ति पर कब्जे की यह खुली कोशिश ही थी जिसने परिवार के हत्या की साजिश के शक को और पुख्ता कर दिया।
श्राद्ध के बाद जब निखिल बहल और उनका परिवार दाउदपुर स्थित मकान में पहुंचा, तो वहां आयशा और उसके बेटे पहले से मौजूद थे। उन्होंने मकान पर अपना दावा ठोकते हुए परिवार को धमकाया और कहा, “यह मकान अब हमारा है, यहां से चले जाओ, नहीं तो जान से मार देंगे।”
इस धमकी के बाद पीड़ित परिवार ने स्थानीय थाने में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई न होने के कारण आरोपियों के हौसले बुलंद हो गए। जब थाने से कोई मदद नहीं मिली, तो निखिल बहल ने न्याय के लिए अदालत का दरवाज़ा खटखटाया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने पुलिस को तत्काल केस दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके बाद कैंट थाने में आयशा खान और उसके तीनों बेटों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। अदालत के हस्तक्षेप के बाद अब यह मामला आधिकारिक तौर पर जांच के दायरे में आ गया है, और पुलिस पर निष्पक्ष कार्रवाई का दबाव है।
अदालत के आदेश के बाद गोरखपुर पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। कैंट थाने में आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, साजिश रचने और संपत्ति हड़पने की धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया है।
कैंट थाना प्रभारी संजय सिंह ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया है कि “पीड़ित की तहरीर और अदालत के आदेश के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है। पूरे प्रकरण की गहनता से जांच की जा रही है और तथ्यों के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”