गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल क्षेत्र के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में एक ऐतिहासिक बदलाव आया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), गोरखपुर के डॉक्टरों ने पहली बार ‘मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी’ (कम चीर-फाड़ वाली तकनीक) के जरिए एक 51 वर्षीय महिला की रीढ़ की हड्डी का सफल ऑपरेशन किया है। बलिया की रहने वाली इस मरीज की कमर की हड्डी (L2 कशेरुका) टूट गई थी, जिससे उनके शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो गया था और दैनिक कार्यों पर नियंत्रण खत्म हो गया था।

यह सफल ऑपरेशन एम्स गोरखपुर के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के एचओडी प्रो. अजय भारती के नेतृत्व में किया गया। इस सर्जरी की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें पारंपरिक बड़े चीरे की जगह बहुत छोटे छेद के जरिए ‘पेडिकल स्क्रू फिक्सेशन’ और ‘डिकम्प्रेशन’ तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इस आधुनिक पद्धति की वजह से मरीज का खून बहुत कम बहा और उन्हें ऑपरेशन के बाद होने वाले असहनीय दर्द से भी राहत मिली।
सर्जरी टीम के अनुसार, ऐसी जटिल सर्जरी पहले केवल दिल्ली या मुंबई जैसे महानगरों के बड़े निजी अस्पतालों में ही संभव थी, लेकिन अब यह सुविधा एम्स गोरखपुर में उपलब्ध है। एनेस्थीसिया टीम का नेतृत्व डॉ. प्रियंका द्विवेदी ने किया, जिन्होंने जटिल स्थिति के बावजूद मरीज को सुरक्षित रखा।
संस्थान की कार्यकारी निदेशक मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता ने इस सफलता को संस्थान की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक पूर्वांचल के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी, क्योंकि अब उन्हें इलाज के लिए बाहर भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वर्तमान में महिला की हालत में तेजी से सुधार हो रहा है और उनकी नसों का नियंत्रण वापस लौट रहा है।

