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कुशीनगर: हिरण्यवती नदी का महासफाई अभियान शुरू, बुद्धकालीन विरासत को संवारने की पहल

कुशीनगर: हिरण्यवती नदी का महासफाई अभियान शुरू, बुद्धकालीन विरासत को संवारने की पहल

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में बुद्धकालीन ऐतिहासिक हिरण्यवती नदी का महासफाई अभियान बुधवार को जिला प्रशासन और नगरपालिका परिषद कुशीनगर के सौजन्य से शुरू हुआ। कुशीनगर के गौतम बुद्ध पौधशाला के निकट बिंदवलिया पुल से इस पुण्य कार्य का शुभारंभ किया गया। 44 किलोमीटर लंबी इस नदी के 10 किलोमीटर के नगरपालिका परिक्षेत्र (मंगुरही से बेलवा पलकधारी तक) को सात सेक्टरों में विभाजित किया गया है। अभियान के पहले दिन, सेक्टर 3 के 1250 मीटर हिस्से में सफाई कार्य शुरू हुआ, जिसकी शुरुआत आचार्यों द्वारा गंगा पूजन से की गई। इस दौरान कुशीनगर, पडरौना, हाटा और रामकोला के विधायकों के साथ जिलाधिकारी ने भी सहभागिता की और इस आंदोलन को जन आंदोलन बनाने का आह्वान किया।

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एक पुण्य और क्रांतिकारी कदम: पीएन पाठक

हिरण्यवती नदी का महासफाई अभियान के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए कुशीनगर विधायक पीएन पाठक ने इसे एक पुण्य कार्य बताया। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थली से होकर बहने वाली इस ऐतिहासिक बुद्ध कालीन नदी की सफाई अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने सभी पौराणिक नदियों की सफाई और उन्हें अविरल रखने पर निरंतर मनन करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

पडरौना विधायक मनीष जायसवाल ने हिरण्यवती को प्रसिद्ध बौद्ध कालीन नदी बताते हुए इसकी पूरी सफाई की मांग की और जनपद की अन्य नदियों को भी साफ करने की बात कही, साथ ही इसे हम सभी का दायित्व बताया। हाटा विधायक मोहन वर्मा ने बांसी नदी के बाद हिरण्यवती की सफाई को एक ‘क्रांतिकारी कदम’ करार दिया, जिससे जनपद की विरासत व संस्कृति संरक्षित और संवर्धित होगी। रामकोला विधायक विनय प्रकाश गोंड ने नदी का बुद्ध से गहरा संबंध बताते हुए सफाई को प्रशंसनीय कहा।

जनप्रतिनिधियों की अपेक्षाएं और जिलाधिकारी का आश्वासन

जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तवर ने सभी जनप्रतिनिधियों का आभार व्यक्त किया और आश्वस्त किया कि उनकी अपेक्षाओं को पूरा करने का पूरा प्रयास किया जाएगा। उन्होंने योजनाओं को ज़मीन पर उतारने के लिए सभी के सामूहिक प्रयास की अपेक्षा की। जिलाधिकारी ने जोर देकर कहा कि हिरण्यवती नदी का महासफाई अभियान को जन आंदोलन बनाना होगा।

उन्होंने लोगों से अपील की कि ‘यदि हम साफ नहीं कर सकते तो कम से कम इसे गंदा न करें।’ उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले बजट में नदियों का सौंदर्याकरण किया जाएगा, और इसी क्रम में मनिया ताल का भी कायाकल्प किया जाएगा। डीएम ने यह भी जानकारी दी कि जिन किसानों की जमीन नदी में पड़ रही है, उन्हें कहीं और समायोजित किया जाएगा।

नदी को प्रदूषित न करने और किसानों के मुद्दे पर अपील

नगरपालिका परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि राकेश जायसवाल ने स्वागत करते हुए क्षेत्रवासियों से हिरण्यवती नदी को प्रदूषित न करने की मार्मिक अपील की। उन्होंने मूर्ति विसर्जन के दौरान प्रतिमा से उन वस्तुओं को हटाने का आग्रह किया, जिनसे मछुआरों या किसी अन्य के साथ दुर्घटना की संभावना हो। उन्होंने नदी में आने वाले किसानों की जमीन से संबंधित मुद्दे को भी उठाया और क्षेत्रवासियों से इस पुनीत कार्य में बढ़-चढ़कर भाग लेने की अपील की। कार्यक्रम का संचालन कवि व लोकगीत गायक मनंजय तिवारी मृदुल ने किया।

महाभारत और बौद्ध, दोनों साहित्य में हिरण्यवती का उल्लेख

हिरण्यवती नदी का उल्लेख वामनपुराण और महाभारत में मिलता है, और इसे कुरुक्षेत्र के पश्चिम में बहने वाली एक अत्यंत पवित्र नदी बताया गया है। एक महत्वपूर्ण दावा यह है कि महाभारत युद्ध के दौरान, पांडवों की सेना की अटूट विश्वसनीयता का मूल आधार इसी नदी का जल था, जिसका सेवन करने के बाद सैनिकों ने कभी विश्वासघात नहीं किया। इसके साथ ही, बुद्ध के महापरिनिर्वाण से भी इस नदी के संबंध को जोड़ा जाता है। बौद्धों के लिए यह अत्यंत पवित्र नदी मानी जाती है। कहा जाता है कि इसके रेत में सोने के कण पाए जाने के कारण इसे ‘हिरण्यवती’ नाम दिया गया था।


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Siddhartha Srivastava

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Siddhartha Srivastava का आज, राष्ट्रीय सहारा, अमर उजाला, हिंदुस्तान, दैनिक जागरण जैसे हिंदी अखबारों में 18 साल तक सांस्थानिक पत्रकारिता का अनुभव है. वर्तमान में स्वतंत्र पत्रकारिता. email:- siddhartha@gogorakhpur.com | 9871159904.

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