गोरखपुर: शहर की बढ़ती ट्रैफिक समस्या और स्लीपर तथा लग्जरी बसों के अनियंत्रित संचालन पर लगाम लगाने के लिए जिला प्रशासन की देखरेख में तीन प्राइवेट बस अड्डों का संचालन किया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार ने इन प्राइवेट बस अड्डों को शुरू करने की मंजूरी दे दी है। इसके तहत खजनी रूट पर दो और लखनऊ रूट पर एक प्राइवेट बस अड्डा संचालित किया जाएगा। नगर निगम के पास इन बस अड्डों के लिए तीन आवेदन प्राप्त हुए हैं।
तीन आवेदनों पर 9 अक्तूबर को लिया जाएगा निर्णय
शहर में बसों के बेतरतीब खड़े होने से यातायात जाम की गंभीर समस्या उत्पन्न होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए नगर निगम की ओर से प्राइवेट बस अड्डा स्थापित करने के लिए आवेदन माँगे गए थे। अपर नगर आयुक्त निरंकार सिंह ने बताया कि खजनी रोड पर बस अड्डे के लिए दो और लखनऊ रोड के लिए एक आवेदन आया है। अपर नगर आयुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति 9 अक्तूबर को बैठक कर इन आवेदनों के संबंध में मंजूरी देगी। बस अड्डा स्थापित हो जाने से यात्रियों और बस संचालकों को भटकना नहीं पड़ेगा, साथ ही ट्रैफिक जाम की समस्या से भी राहत मिलेगी।
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प्राइवेट बसों के संचालन के मौजूदा स्थान
वर्तमान में, गोरखपुर शहर में प्राइवेट बसों के खड़े होने और संचालन के लिए कोई निर्धारित स्थान नहीं है। फिलहाल, निजी बसें नंदानगर, खजांची और नौसड़ से संचालित होती हैं। नंदानगर बस अड्डे पर यात्रियों के लिए कोई मूलभूत सुविधा नहीं है, वहीं नौसड़ में बसें पेट्रोल पंप पर ही खड़ी होती हैं। इसके अलावा, स्टेशन के सामने भी बड़ी संख्या में बिहार जाने वाली बसें खड़ी रहती हैं, जिससे जाम की स्थिति बनती है।
प्राइवेट बस अड्डा शुरू करने के लिए शर्तें
निजी बस अड्डा शुरू करने के लिए आवेदक को कई शर्तें पूरी करनी होंगी, ताकि यात्रियों को समुचित सुविधाएँ मिल सकें:
- भूमि: आवेदक के पास कम से कम दो से ढाई एकड़ भूमि होनी चाहिए।
- सुविधाएँ: आवेदक को ही उस भूमि पर बसों के खड़े होने, यात्रियों के इंतजार और टिकटिंग की समुचित व्यवस्था करनी होगी।
- यात्री सुविधाएँ: यात्रियों की सुविधा के लिए शौचालय, पेयजल, बैठने की जगह और सुरक्षा व्यवस्था होनी अनिवार्य है।
- वित्तीय पात्रता: आवेदक की नेटवर्थ बीते वित्तीय वर्ष में कम से कम 50 लाख रुपये और टर्नओवर कम से कम दो करोड़ रुपये होना अनिवार्य है।
त्योहारों में 200 से अधिक स्लीपर बसें होती हैं संचालित
गोरखपुर से दिल्ली, जयपुर, आगरा, कोटा, लखनऊ, झांसी, इंदौर, हैदराबाद, मुंबई, सूरत और पंजाब जैसे महानगरों के लिए बड़ी संख्या में बसों का संचालन होता है। सामान्य दिनों में प्रतिदिन 100 से अधिक स्लीपर बसों का संचालन होता है, लेकिन दीवाली, होली जैसे त्योहारों में यह संख्या 150 से लेकर 200 तक पहुँच जाती है। रविन्द्र प्रताप सिंह (गोरखपुर से झांसी के बीच लग्जरी बस का संचालन करने वाले) का कहना है कि प्राइवेट बस अड्डा विकसित होने से यात्रियों के साथ-साथ संचालकों को भी काफी सहूलियत होगी।
बस अड्डों की कुल संख्या | तीन |
रूट पर संचालन | खजनी रूट पर दो, लखनऊ रूट पर एक |
निर्णय की तारीख | 9 अक्तूबर 2025 |
न्यूनतम आवश्यक भूमि | 2 से 2.5 एकड़ |
अनिवार्य सुविधाएँ | टिकटिंग, शौचालय, पेयजल, सुरक्षा व्यवस्था |
न्यूनतम नेटवर्थ | पिछले वित्तीय वर्ष में 50 लाख रुपये |
न्यूनतम टर्नओवर | पिछले वित्तीय वर्ष में 2 करोड़ रुपये |