गोरखपुर: मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MMMUT) अब वैश्विक पटल पर अपनी पहचान बनाने जा रहा है। MMMUT अंतरराष्ट्रीय शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए वियतनाम के दो प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों– हो ची मिन्ह सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी और हो ची मिन्ह सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंस के साथ एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक सहयोग अनुबंध करने जा रहा है। यह ऐतिहासिक समझौता 9 अक्तूबर को राजभवन में उत्तर प्रदेश की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की गरिमामयी उपस्थिति में संपन्न होगा। इस अनुबंध के बाद संयुक्त डिग्री कार्यक्रम और ज्वाइंट रिसर्च प्रोजेक्ट्स संचालित किए जाएंगे, जिससे विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा और शोध के नए अवसर मिलेंगे।
राज्यपाल की उपस्थिति में होगा करार
यह शैक्षणिक समझौता उत्तर प्रदेश के शिक्षा जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। समझौते को अंतिम रूप देने के लिए 9 अक्तूबर को राजभवन में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल मौजूद रहेंगी। तीनों विश्वविद्यालयों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इस ऐतिहासिक अनुबंध को मूर्त रूप देने के लिए उपस्थित रहेंगे। एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो. जेपी सैनी ने इस पहल को विश्वविद्यालय के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया है, जो इसकी अंतरराष्ट्रीय विस्तार की दिशा में पहला बड़ा कदम है।
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ज्वाइंट डिग्री और रिसर्च प्रोजेक्ट्स होंगे शुरू
इस MMMUT वियतनाम समझौता का मुख्य उद्देश्य छात्रों को विश्व स्तरीय शैक्षणिक अनुभव प्रदान करना है। अनुबंध के तहत संयुक्त डिग्री कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इसका अर्थ है कि विद्यार्थी एक साथ दो देशों के विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनकी डिग्री का मूल्य और अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता बढ़ेगी। इसके साथ ही, ज्वाइंट रिसर्च प्रोजेक्ट्स भी संचालित किए जाएंगे, जो दोनों देशों के शोधार्थियों को मिलकर वैश्विक चुनौतियों पर शोध करने का अवसर देंगे।
छात्र-शिक्षकों का होगा विनिमय कार्यक्रम
समझौते का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू छात्र और शिक्षकों का विनिमय (Exchange) कार्यक्रम है। इस अनुबंध के बाद वियतनामी शोधार्थी गोरखपुर स्थित एमएमएमयूटी आएंगे और यहाँ के शैक्षणिक माहौल का अनुभव लेंगे। वहीं, एमएमएमयूटी के विद्यार्थी भी वियतनाम के सहयोगी विश्वविद्यालयों में जाकर अध्ययन और शोध कर सकेंगे। कुलपति प्रो. जेपी सैनी के अनुसार, यह विनिमय कार्यक्रम शोध और अकादमिक अनुभव को एक नया आयाम देगा और दोनों देशों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को मजबूत करेगा।