गोरखपुर: थायराइड हार्मोन का असंतुलन केवल शरीर में सूजन या मोटापा ही पैदा नहीं करता, बल्कि यह सीधे तौर पर आँखों को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे दृष्टि कमजोर हो सकती है. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. अपजीत कौर ने इस खतरे से आगाह किया. उन्होंने बताया कि अगर दवा से थायराइड नियंत्रण में आ भी जाए, तब भी इस बीमारी का असर आँखों पर बरकरार रह सकता है. वहीं, KGMU के डॉ. अरुण शर्मा ने कॉर्निया प्रत्यारोपण में एक बड़ी सफलता का जिक्र किया. उन्होंने ‘डेसिमेट स्ट्रिपिंग एंडोथेलियल केराटोप्लास्टी’ (DSEK) नामक नई सर्जिकल तकनीक के बारे में बताया, जिसके कारण अब एक ही कॉर्निया से अधिकतम तीन ज़रूरतमंद रोगियों को रोशनी देना संभव हो गया है.
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थायराइड हार्मोन से आँखों की रोशनी को ख़तरा
डॉ. अपजीत कौर ने ‘गोरक्षआइकान-2025’ के समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में यह महत्वपूर्ण जानकारी दी. उन्होंने समझाया कि थायराइड का असंतुलन, जो महिलाओं में अधिक आम है, पुरुषों को भी प्रभावित करता है. इसका सीधा असर आँखों के पीछे के साकेट (socket), धमनियों और मांसपेशियों पर पड़ता है, जिससे आँखों की आँसू ग्रंथियों में सूजन आ जाती है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि थायराइड नियंत्रित होने के बाद भी इसका प्रभाव पूरी तरह से खत्म नहीं होता, इसलिए मरीज़ों को लगातार आँखों की जांच करानी चाहिए.
कॉर्निया प्रत्यारोपण में क्रांतिकारी बदलाव
डॉ. अरुण शर्मा ने बताया कि सर्जरी की नई तकनीकों ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. उन्होंने ‘डीसेक’ (DSEK) तकनीक को कॉर्निया प्रत्यारोपण में मुख्य रूप से उपयोग किए जाने का उल्लेख किया. इस तकनीक में कॉर्निया को बीच से काटकर ऊपरी और निचली, दो अलग-अलग परतों में बाँट दिया जाता है, और फिर इन दोनों परतों को अलग-अलग ज़रूरतमंद रोगियों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया जा सकता है. इस नवाचार से एक ही कॉर्निया दान से अधिक लोगों को दृष्टि मिलने की संभावना बढ़ गई है.
विशेषज्ञों ने साझा किए नवाचार
ऑप्थलमोलाजिकल सोसाइटी के तत्वावधान में रेडिएंट रिजॉर्ट गुलरिहा में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न ज़िलों से लगभग 1100 नेत्र रोग विशेषज्ञ शामिल हुए. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सचिव डॉ. वाई सिंह ने इस दो दिवसीय कांफ्रेंस को अत्यंत उपयोगी और ज्ञानवर्धक बताया. विशेषज्ञों ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे नवीनतम नवाचारों से खुद को अवगत कराया, जिससे भविष्य में रोगियों को बेहतर उपचार मिल सकेगा. इस मौके पर, नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष डॉ. शशांक कुमार ने एसोसिएशन की अलीगढ़ शाखा को ट्रॉफी प्रदान की, जिसके बाद यह निश्चित हो गया है कि अगला कांफ्रेंस अलीगढ़ में आयोजित किया जाएगा.


