सिद्धार्थ नगर रेलवे स्टेशन आधुनिक सुविधाओं से हुआ लैस

सिद्धार्थ नगर: पूर्वोत्तर रेलवे के गोरखपुर-गोंडा लूप रेल खंड पर स्थित सिद्धार्थ नगर रेलवे स्टेशन, जो लुम्बिनी जाने वाले बौद्ध अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार है, अब आधुनिक यात्री सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण हो गया है। ‘अमृत स्टेशन योजना’ के तहत 10.92 करोड़ रुपये की लागत से इस एन.एस.जी. 3 श्रेणी के प्रमुख स्टेशन का कायाकल्प किया गया है, जिसका मुख्य ध्यान रेल विकास और यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाने पर रहा है।
विकसित भारत के लक्ष्य की ओर अग्रसर भारतीय रेल ने पुराने सिद्धार्थ नगर स्टेशन को आने वाले लगभग 50 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्नत बनाया है। अब यह स्टेशन सीधी ट्रेन सेवा के माध्यम से दिल्ली, मुंबई, कानपुर, लखनऊ, गोरखपुर, कटिहार, बहराइच और भोपाल जैसे प्रमुख शहरों से और भी बेहतर ढंग से जुड़ा रहेगा।
एनईआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि भगवान बुद्ध को समर्पित इस स्टेशन भवन को स्थानीय संस्कृति और वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया गया है। स्टेशन भवन में सुधार करते हुए एक भव्य पोर्च का निर्माण किया गया है। यात्रियों की सुविधा के लिए एप्रोच रोड को बेहतर बनाया गया है और 4,714 वर्ग मीटर में सर्कुलेटिंग एरिया का विस्तार किया गया है, जिससे आवागमन अब आसान और सुगम हो गया है। धूप और बारिश से बचाव के लिए प्लेटफॉर्मों पर 10-बे के यात्री शेड लगाए गए हैं। स्टेशन के तीनों प्लेटफॉर्मों की सतह को 1,700 वर्ग मीटर ग्रेनाइट से सुधारा गया है, जिससे यात्रियों को काफी सुविधा मिल रही है।
यात्रियों के आराम के लिए स्टेशन पर अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त यात्री प्रतीक्षालय बनाया गया है। बैठने के लिए पर्याप्त संख्या में स्टील और कंक्रीट की बेंचें लगाई गई हैं। इसके अतिरिक्त, महिला प्रतीक्षालय और रिटायरिंग रूम की सुविधा भी उपलब्ध है। स्टेशन परिसर में वाहनों की पार्किंग के लिए उत्तम व्यवस्था की गई है और यात्रियों की सुविधा के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक के साइनेज लगाए गए हैं।
रेल यात्रियों को टिकट आसानी से उपलब्ध कराने के लिए स्टेशन परिसर में आरक्षित और अनारक्षित टिकट खिड़कियों के साथ एटीवीएम की सुविधा दी गई है। पीने के पानी के लिए पर्याप्त संख्या में नल और खान-पान स्टॉल भी उपलब्ध हैं। एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) बनाया गया है। दो नए शौचालय बनाए गए हैं। पूरे स्टेशन परिसर में बेहतर प्रकाश व्यवस्था के साथ आधुनिक फसाड लाइटिंग लगाई गई है, जो स्टेशन की सुंदरता को बढ़ा रही है। पुनर्विकसित सिद्धार्थ नगर स्टेशन पर आने वाले यात्रियों को सुगम और आरामदायक रेल यात्रा का अनुभव मिलेगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: हिमालय की तराई क्षेत्र में स्थित सिद्धार्थ नगर उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिलों में से एक है। वर्ष 1988 में बस्ती जनपद के उत्तरी क्षेत्र को विभाजित कर सिद्धार्थ नगर जनपद का गठन किया गया था। जनपद का नाम बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध के बचपन के नाम सिद्धार्थ पर रखा गया है, जिनका जन्म कपिलवस्तु के पावन क्षेत्र लुम्बिनी में हुआ था। यह मान्यता है कि 249 ईसा पूर्व में सम्राट अशोक ने अपने प्रवास के दौरान यहां एक 36 फुट ऊंचे स्तम्भ का निर्माण कराया था, जिस पर यह अंकित है कि यहां पर महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था। कालांतर में तराई का वन आच्छादित यह क्षेत्र शाक्य वंशजों के अधीन रहा। वर्ष 1897-98 में डब्ल्यू.सी. पेपे ने पिपरहवा स्तूप की खोज की, जो कि लुम्बिनी से कुछ दूरी पर स्थित है। यहां से एक कलश मिला था, जिसमें महात्मा बुद्ध के अवशेष प्राप्त हुए थे। गोरखपुर-सिद्धार्थ नगर रेल मार्ग पर स्थित पीपीगंज रेलवे स्टेशन, इन्हीं डब्ल्यू.सी. पेपे के नाम पर रखा गया था। यह क्षेत्र गौतम बुद्ध की जीवन घटनाओं से परिपूर्ण है।
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