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समाज

बीस साल में स्वीपर से हेड कैशियर, भरोसे के कत्ल से कैसे बनाई अकूत दौलत

गोरखपुर यूको बैंक के हेड कैशियर की धोखाधड़ी की पूरी कहानी
बीस साल में स्वीपर से हेड कैशियर, भरोसे के कत्ल से कैसे बनाई अकूत दौलत
बेलघाट पुलिस की गिरफ्त में कलीम. फोटो: सोशल मीडिया

Gorakhpur Uco Bank Head Cashier Scam: बैंक ग्राहकों के भरोसे के कत्ल की यह कहानी गोरखपुर के यूको बैंक की एक शाखा की है. बेलघाट के शाहपुर इलाके में स्थित बैंक ब्रांच में लगभग बीस साल से तैनात मोहम्मद कलीम अहमद पर ग्राहक आंख मूंदकर भरोसा करते थे. कलीम ने शाहपुर ब्रांच में स्वीपर से नौकरी शुरू की थी और वह अब हेड कैशियर था. स्वभाव मिलनसार, हमेशा ग्राहकों की मदद के लिए तैयार. लेकिन बीते 29 नवंबर को ग्राहकों के भरोसे की यह बुनियाद इस कदर हिल गई कि अब यूको बैंक की शाहपुर ब्रांच का हर खाताधारक इस चिंता में है कि उसकी जमापूंजी सु​रक्षित है भी या नहीं. ग्राहकों का भरोसा टूटने की एक एक करके कुल 23 कहानियां सामने आ चुकी हैं. गबन की रकम दस लाख रुपये से कहीं ज्यादा होने का अंदेशा है. आरोप है कि हेड कैशियर कलीम ने अपने भाई और एक अन्य बैंक कर्मचारी के साथ मिलकर यह घोटाला किया. 

कलीम के परिवार को यूको बैंक से नाता करीब चालीस साल पुराना है. मोहम्मद कलीम के पिता कतवारू 1980 के दशक में उरुवा स्थित यूको बैंक में स्वीपर के पद पर कार्यरत थे. बैंक में काम करने के कारण उनके अधिकारियों से अच्छे संबंध थे. शाहपुर में 1985 में जब यूको बैंक की नई शाखा खुली, तो उन्होंने अपने बड़े बेटे कलीम को 2004 में वहां स्वीपर के पद पर नौकरी दिलवा दी. बाद में उनके छोटे बेटे शमीम को भी 2008 में शाहपुर यूको बैंक ब्रांच में ही संविदा पर स्वीपर के रूप में नौकरी मिल गई. 2004 में स्वीपर के पद पर भर्ती होने के बाद, कलीम पहले चपरासी बना और फिर लिपिक. 2009 में उसे कैशियर के पद पर पदोन्नति मिल गई.

एक ही शाखा में लंबे समय तक काम करने के कारण कलीम की रेगुलर ब्रांच में आने वाले ग्राहकों से अच्छी जान-पहचान हो गई थी. लोग आंखें बंद करके उस पर विश्वास करने लगे थे. बहुत से लोग उस पर इतना भरोसा करते थे कि वे अपना पैसा और पासबुक उसे दे देते थे और बिना कोई रसीद लिए चले जाते थे. बस, ग्राहकों के भरोसे की इसी पूंजी को कलीम ने भुनाना शुरू कर दिया. लोगबाग हेड कैशियर को पैसा और पासबुक दे देते थे और वह रकम जमा होने की फर्जी रसीद थमा देता था. पैसे उसकी जेब में जाते थे. आरोप यह भी हैं उसने पैसे जमा होने के बाद ग्राहक के जाली हस्ताक्षर से खाते से पैसे भी निकाले हैं.

बैंक में कलीम और उसके सहयोगी आखिर कब तक यह खेल खेलते पाते? पैसे जमा करने वाला ग्राहक कभी तो अपने पैसों की सुध लेने पहुंचता? ठीक यही हुआ पिछले महीने 29 नवंबर को यूको बैंक की उस शाहपुर ब्रांच में. गोला क्षेत्र की उचगांव निवासी राधिका अपनी पासबुक प्रिंट कराने बैंक आईं, तो उन्हें पता चला कि उनके खाते में पैसे हैं ही नहीं. राधिका हैरान रह गईं, क्योंकि उन्होंने 11 नवंबर को ही अपने खाते में 43,500 रुपये जमा किए थे. हैरान परेशान राधिका सीधे शाखा प्रबंधक के पास पहुंच गईं और इस बारे में पूछताछ की. बैंक मैनेजर ने जब जमा की रसीद और खाते का सत्यापन किया, तो उन्हें कुछ झोल समझ में आया. राधिका की यह शिकायत जब आम हो गई तो फिर क्या था. एक एक करके कई और लोग पासबुक अपडेट कराने पहुंचे. फिर एक एक करके धोखाधड़ी का राज़ खुलना शुरू हुआ. कई लोग इसके शिकार हो चुके थे. 

हेड कैशियर कलीम और लिपिक प्रेम साहनी के खिलाफ शिकायतें मिलने के बाद बैंक अधिकारियों ने आंतरिक जांच शुरू कराई. जांच के दौरान कई अनियमितताएं पाई गईं. बैंक प्रबंधन ने दोनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. अब इस बात की भी जांच हो रही है कि कलीम की इतनी जल्दी पदोन्नति कैसे हो गई. इस पूरी कवायद में जहां यूको बैंक के खाताधारकों का विश्वास टूटा तो वहीं ऐसे दूसरे बैंकों के खाताधारक भी अपनी पूंजी असुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं, जहां बैंक की सेवाएं पारदर्शी ढंग से संचालित नहीं होती हैं.

अपनी तरह के इस पहले मामल में, कैशियर कलीम के खिलाफ पुलिस में 23 मामले दर्ज किए गए हैं. लोगों ने अपनी शिकायतों में बताया कि कलीम उनसे रुपये लेकर फर्जी जमा पर्ची थमा देता था और उनके खातों से पैसे निकाल लेता था. पुलिस ने कलीम और उसके भाई शमीम के खिलाफ मामला दर्ज किया और दोनों की तलाश शुरू कर दी. बीते दिनों पुलिस ने कलीम के घर पर छापेमारी की, लेकिन उसके परिवार ने उन दोनों के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार कर​ दिया.

आखिरकार पुलिस को बीते शनिवार यानी 28​ दिसंबर को कामयाबी मिल गई. बेलघाट पुलिस ने मोहम्मद कलीम को सिकरीगंज के घुचियारी गांव से गिरफ्तार कर लिया. उसका भाई शमीम अभी भी फरार है. यूको बैंक गोरखपुर की मुख्य शाखा की तरफ से कलीम और दो अन्य आरोपितों पर केस दर्ज कराने के लिए एसएसपी को प्रार्थना पत्र दिया गया है. इस पूरी कहानी के मुख्य खलनायक कलीम की गिरफ्तारी होने भर से मामले का पटाक्षेप मान लिया जाएगा, लेकिन बात तो उस भरोसे पर करनी होगी, जिसने आंखें मूंद रखी थीं. आखिर क्यों?

इन खाताधारकों ने लगाए हैं ठगी के आरोप:
अलीमुद्दीन और उनकी पत्नी (संयुक्त खाता): 1.80 लाख रुपये
रामाशंकर: 1.50 लाख रुपये (तीन बार में)
अफसाना: 3.50 लाख रुपये
राधिका: 43,500 रुपये
दयानंद: 3.48 लाख रुपये

Research Desk

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