गोरखपुर रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) में हुए नौकरियों के घोटाले की पूरी कहानी। जानें कैसे अधिकारियों ने अपने बेटों को बिना परीक्षा नौकरी दिलाई, पूर्व चेयरमैन पर लगे करोड़ों के आरोप और जांच एजेंसियों की कार्रवाई का पूरा ब्यौरा।
गोरखपुर: रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) गोरखपुर का भर्ती घोटाला पिछले कुछ समय से चर्चा में है। जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं, जो न सिर्फ नियमों के सीधे उल्लंघन को दर्शाते हैं, बल्कि सिस्टम की लाइलाज बीमारी का सच भी उजागर करते हैं। यह मामला सिर्फ कुछ अधिकारियों की बेईमानी तक सीमित नहीं लगता है, बल्कि करोड़ों के लेनदेन, बाहरी गिरोहों के शामिल होने और पद के मनमाने दुरुपयोग की एक बड़ी कहानी है। गोरखपुर सिटी पुलिस से लेकर सीबीआई तक, सभी इस मामले की जांच में जुटी हैं। इस रैकेट में जो सतह पर थे वे हवालात में हैं या सीबीआई शिकंजा कस रही है, लेकिन लगता है कि अभी कोई बड़ा खुलासा होना बाकी है। आइए, इस रिपोर्ट में जानते हैं कि इस मामले में कब क्या हुआ।
दिसंबर 2024 में यूं खुला कारनामा
इस घोटाले का सबसे पहला और चर्चित पहलू दिसंबर 2024 में सामने आया। आरआरबी गोरखपुर के दो वरिष्ठ कर्मचारियों, पूर्व ऑफिस सुपरिटेंडेंट चंद्रशेखर आर्य और पूर्व चेयरमैन के पर्सनल सेक्रेटरी राम सजीवन पर आरोप लगा कि उन्होंने अपनी पद का दुरुपयोग करते हुए अपने बेटों को रेलवे में नौकरी दिलाई। इन बेटों, सौरभ कुमार और राहुल प्रताप, ने न तो कोई परीक्षा दी, न फॉर्म भरा और न ही उनका मेडिकल टेस्ट हुआ। बावजूद इसके, उन्हें 2018 की टेक्नीशियन ग्रेड-3 फिटर के पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों की जगह पैनल में शामिल कर दिया गया। यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब मूल चयनित उम्मीदवार दस्तावेज़ सत्यापन के लिए नहीं आए, जिसका फायदा उठाकर इन अधिकारियों ने उनके नाम हटाकर अपने बेटों के नाम डाल दिए। इन बेटों को मॉडर्न कोच फैक्ट्री, रायबरेली में पोस्टिंग भी मिल गई थी। आरोप है कि इस दौरान पैनल पर आरआरबी चेयरमैन के फर्जी दस्तखत भी किए गए थे।
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जांच की आंच 2018-19 के भर्ती घोटाले तक पहुंची
घोटाले की दूसरी और कहीं अधिक व्यापक परत आरआरबी गोरखपुर के पूर्व चेयरमैन पीके राय से जुड़ी है। उन पर 2018-19 के दौरान सहायक लोको पायलट और तकनीशियनों की भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली करने का आरोप है। आरोप है कि उन्होंने वेटिंग लिस्ट के उम्मीदवारों से लाखों-करोड़ों रुपए लेकर उन्हें पैनल में शामिल किया, मनचाही जगह पोस्टिंग दिलवाई और दस्तावेज़ पास कराने के नाम पर भारी रकम वसूली। इतना ही नहीं, यह भी आरोप है कि जितनी सीटें थीं, उससे डेढ़ गुना ज्यादा पदों के लिए फर्जी विज्ञापन निकाला गया और नकली परीक्षाएं भी आयोजित की गईं। पीके राय को नवंबर 2022 में ही गलत कामों के लिए नौकरी से बर्खास्त किया जा चुका था, लेकिन अब सीबीआई उनके कार्यकाल की गहन जांच कर रही है।
2018 के बाद से बने 280 पैनलों की जांच के आदेश
इस मामले ने तब और भी गंभीर मोड़ ले लिया जब पुलिस ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाया। दिसंबर 2024 में वर्तमान चेयरमैन नूरुद्दीन अंसारी को सस्पेंड किया गया और दोनों आरोपी बेटों को नौकरी से निकाल दिया गया। इसके बाद रेलवे ने 2018 के बाद से बने 280 पैनलों की जांच के आदेश दिए। मार्च 2025 में जांच के दौरान एक बाहरी नेटवर्क का खुलासा हुआ जिसमें मनीष शुक्ला उर्फ राघवेंद्र और उसके साथियों के बैंक खाते फ्रीज़ किए गए। यह गिरोह झारखंड और ओडिशा के युवाओं को नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाखों की ठगी करता था। जून 2025 में पुलिस ने चंद्रशेखर आर्य, राम सजीवन और उनके बेटों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया, जिससे उनकी अवैध संपत्ति भी जब्त की जा सके। इसके बाद जुलाई में चंद्रशेखर आर्य, राम सजीवन और उनके बेटे राहुल प्रताप को गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि सौरभ कुमार अभी भी फरार है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अगस्त 2025 में सीबीआई ने भी इसमें एंट्री ली और पीके राय समेत अन्य रेलकर्मियों व बाहरी व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज कर छापेमारी की।
मामले में कुछ बड़ा खुलासा होना बाकी
वर्तमान में, गोरखपुर की स्थानीय पुलिस गैंगस्टर एक्ट के तहत अपनी कार्रवाई कर रही है, जबकि सीबीआई पीके राय के कार्यकाल से जुड़े बड़े मामलों की जांच कर रही है। रेलवे की विजिलेंस टीम भी 280 पैनलों की गहन पड़ताल में जुटी हुई है। इस पूरे प्रकरण ने भर्ती प्रक्रिया में मौजूद खामियों को उजागर किया है, जिसमें पारदर्शिता की कमी, मैनुअल हस्तक्षेप और जवाबदेही का अभाव शामिल है। सीबीआई ने अगस्त से इस केस में एंट्री ली है। टीम लगातार पूर्व अधिकारियों और कर्मचारियों के यहां छापेमारी कर रही है। माना जा रहा है कि इस केस में बड़ा खुलासा होना अभी बाकी है।
प्रमुख आरोपी और उन पर हुई कार्रवाई
- पीके राय (पूर्व चेयरमैन): बर्खास्त, सीबीआई केस, पूछताछ।
- नूरुद्दीन अंसारी (तत्कालीन चेयरमैन): सस्पेंड।
- चंद्रशेखर आर्य (पूर्व सुपरिटेंडेंट): सस्पेंड, गिरफ्तार, गैंगस्टर एक्ट।
- राम सजीवन (पूर्व निजी सचिव): सस्पेंड, गिरफ्तार, गैंगस्टर एक्ट।
- सौरभ कुमार (बेटे): नौकरी गई, फरार, गैंगस्टर एक्ट।
- राहुल प्रताप (बेटे): नौकरी गई, गिरफ्तार, गैंगस्टर एक्ट।
टाइमलाइन और प्रमुख गिरफ्तारियां
दिनांक | घटनाक्रम |
दिसंबर 2024 | फर्जी भर्ती का मामला सामने आया। चेयरमैन नूरुद्दीन अंसारी सस्पेंड। |
मार्च 2025 | बाहरी ठग गिरोह (गोरखपुर-प्रयागराज कनेक्शन) का खुलासा। बैंक खाते फ्रीज़। |
जून 2025 | आरोपी रेलवे कर्मियों और उनके बेटों पर गैंगस्टर एक्ट लगाया गया। |
जुलाई 2025 | चंद्रशेखर आर्य, राम सजीवन और उनके बेटे राहुल प्रताप की गिरफ्तारी। |
अगस्त 2025 | सीबीआई ने पूर्व चेयरमैन पीके राय समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किया और छापेमारी की। |