गोरखपुर: गोरखपुर में पासपोर्ट बनवाने से जुड़ा एक सनसनीखेज फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां एक ही व्यक्ति ने अपनी पहचान और जन्मतिथि बदलकर दो अलग-अलग पासपोर्ट हासिल कर लिए। कैंट पुलिस की विस्तृत जांच में इस धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के निर्देश पर आरोपी के खिलाफ रामगढ़ताल थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
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ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय, लखनऊ से मिले एक पत्र के आधार पर कैंट थाने में तैनात उप-निरीक्षक आशीष कुमार दुबे ने जांच शुरू की। जांच में यह पाया गया कि न्यू शिवपुरी कॉलोनी, इंद्रानगर कैंट निवासी शरद यादव ने पहले अपने वास्तविक नाम से एक पासपोर्ट बनवाया था। इसके कुछ समय बाद उसने अपना नाम सर्वेश यादव और जन्मतिथि 01 जनवरी 1989 बताकर एक दूसरा पासपोर्ट भी जारी करा लिया। पुलिस जांच में यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो गई कि दोनों पासपोर्ट रखने वाला व्यक्ति एक ही है।
एसएसपी के आदेश पर केस दर्ज
जांच पूरी होने के बाद कैंट पुलिस ने अपनी रिपोर्ट एसएसपी राज करन नय्यर और एसपी सुरक्षा/नोडल अधिकारी पासपोर्ट को सौंप दी। रिपोर्ट में आरोपी शरद यादव के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और सरकारी दस्तावेजों में हेरफेर करने जैसी गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई थी। इस रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए एसएसपी ने तत्काल रामगढ़ताल थाने में आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके बाद मामला पंजीकृत कर लिया गया।
आरोपी के मकसद की जांच में जुटी पुलिस
रामगढ़ताल थाने में केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने आगे की विवेचना शुरू कर दी है। थाना प्रभारी नितिन रघुनाथ श्रीवास्तव ने बताया कि अब इस बात की जांच की जा रही है कि आरोपी ने यह फर्जीवाड़ा किस उद्देश्य या किसी खास लाभ के लिए किया था। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं इस फर्जी पासपोर्ट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी गतिविधि के लिए तो नहीं किया जाना था। जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर ही आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने यह भी बताया कि आरोपी शरद यादव मूल रूप से बड़हलगंज थाना क्षेत्र के पिपडाड़ी गांव का रहने वाला है।
पासपोर्ट आवेदन और अनुमोदन की प्रक्रिया पर भी उठे सवाल
एक ही व्यक्ति नाम और जन्मतिथि बदलकर पासपोर्ट जारी करा लेता है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पुलिस जांच में जुटी है। लेकिन एक सवाल पासपोर्ट जारी करने की प्रक्रिया पर भी खड़ा हो जाता है। गलत कागजात के आधार पर कोई ऐसा सरकारी दस्तावेज बनवा लेना आम हो चला, जहां किसी बायोमीट्रिक पुष्टि की जरूरत नहीं होती। लेकिन पासपोर्ट जैसे संवेदनशील दस्तावेज में बायोमीट्रिक प्रक्रिया को नजरअंदाज करके अगर पासपोर्ट जारी हो गया तो यह भी एक बड़ा प्रश्न चिह्न है।