Gorakhpur: त्योहारों का सीजन शुरू हो चुका है. नवरात्रि से लेकर दिवाली, क्रिसमस, न्यू ईयर तक बाजार ग्राहकों की जेब से अरबों के वारे-न्यारे कर लेगा. गोरखपुर शहर में भी त्योहारों पर होने वाली खरीदार का आंकड़ा अरबों में पहुंच जाता है. जेवर-गहने, दो पहिया और चार पहिया वाहन, इले​क्ट्रॉनिक आइटम्स और न जाने क्या क्या. लेकिन बाजार के इस उफान के दौरान एक जागरूक ग्राहक बनने की जिम्मेदारी भी आम नागरिक की होती है. एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की जानकारी हमें होनी ही चाहिए. बाज़ार के प्रलोभनों के चक्कर में फंसकर अगर हम घटिया सामान या सेवाओं का शिकार होते हैं, तो हमारे पास एक नहीं दर्जनों तरीके हैं अपने उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा करने के लिए. आइए, हम आपके एक एक करके बताते हैं कि खरीदारी के दौरान हमें क्या सावधानी बरतनी चाहिए, और अगर हमारे साथ कोई धोखा हो जाए तो हम अपनी शिकायत कहां और कैसे कर सकते हैं —

दुकानदार से हर हाल में लें खरीदारी की रसीद

आपने अगर कोई सामान खरीदा है तो उसका सबसे पहला और आखिरी सबूत होती है रसीद, बिल, या इनवॉयस. अगर​ किसी दुकानदार ने आपके मत्थे घटिया सामान मढ़ दिया तो आप बिना रसीद, बिल या इनवॉयस के यह साबित नहीं कर सकते कि आपने उस दुकान से अमुक सामान खरीदा है. ऐसे में आप शिकायत के हकदार नहीं रह जाते. गोरखपुर में आम से खास बाज़ारों तक रसीद का खेल है. कोई दुकानदार या तो ग्राहक को रसीद देता ही नहीं, या कैश मेमो थमाकर चलता करता है. रसीद, बिल, इनवॉयस…आप चाहे जो कहें, लेकिन आपको हर छोटी या बड़ी चीज़ के लिए दुकानदार से रसीद मांगनी चाहिए. दुकानदार जब रसीद दे तो यह ज़रूर देखें कि उस पर दुकान का नाम, जीएसटी नंबर, दिनांक और मुहर लगी हो. और हां, ग्राहक के तौर पर आपका नाम जरूर दर्ज होना चाहिए.

कैश भुगतान कभी मत करें

एक ग्राहक के तौर पर हम पाते हैं कि शहर में चिकित्सक की दुकान हो या पंसारी की दुकान, हर जगह नकदी की मांग की जाती है. इसके पीछे की मंशा अगर एक ग्राहक के रूप में आप न समझ रहे हों तो इसे सहज समझा जा सकता है. बैंकिंग के जानकारों की मानें तो नकद के माध्यम से होने वाली लेनदेन को आसानी से इनकम टैक्स से बचाया जा सकता है. डिजिटल इंडिया के दौर में भी जो दुकानदार कैश की मांग करते हैं उनकी नीयत पर संदेह होना लाजिमी है. इसलिए, एक ग्राहक के तौर  पर ​किसी की बदनीयती में सहयोग मत करें और सामानों की हर छोटी बड़ी खरीद में डिजिटल पेमेंट का सहारा लें. अगर दुकानदार नकद लेनदेन में भी ‘पक्की रसीद’ देने की बात कहता है, तब भी नकद लेनदेन से बचें, क्योंकि शहर में फर्जी रसीदों के जरिये जीएसटी चोरी की कहानियां समय समय पर हमारे सामने आई हैं. अगर आपको लगता है कि रसीद फर्जी है तो इसकी शिकायत भी की जा सकती है.

ज़रूर करें एक्सपायरी डेट की जांच

अक्सर खाने पीने के आइटमों की खरीद करते समय हम एक्सपायरी डेट नहीं चेक करते. ब्रांडेड शोरूम हों या गली मुहल्ले की मिठाई की दुकानें. हर जगह खाने पीने की वस्तुओं पर ‘बेस्ट यूज बिफोर’ यानी एक्सपायरी डेट का जिक्र करना ज़रूरी है. कायदा यह है कि पिक ऐंड चूज़ कॉनसेप्ट वाले हाइपरमार्ट हों या मिठाई और खोये की देसी दुकानें, दुकानदार के लिए यह अनिवार्य है कि खाद्य पदार्थ की एक्सपायरी की डेट लिखे. अगर किसी पैक्ड आइटम पर एक्सपायरी की डेट करीब है, तो सेल्स ब्वाय के समझाने पर भी उसे मत खरीदें. नजदीकी एक्सपायरी डेट वाले खाद्य पदार्थ में गुणवत्ता खत्म हो चुकी होती है. ऐसे सामानों की खरीदारी कदापि मत करें. अगर किसी मार्ट में शेल्फ पर एक्सपायर्ड आइटम रखे हैं तो उसकी फोटो ले लें और उसकी शिकायत खबर के अंत में दी गई हेल्पलाइन पर करना मत भूलें. 

मिठाई का डिब्बा बिकता है पांच सौ से एक हजार रुपये किलो

त्योहारों पर ठगी का खुला खेल मिठाई की लोकल दुकानों पर होता है. यहां घटिया किस्म का कार्ड बोर्ड, दफ्ती या कागज का डिब्बा पांच सौ से एक हजार रुपये किलो तक बिकता है. आपको यह जानकर हैरानी होगी. इस खेल का शिकार हम आप आए दिन होते हैं. हम शहर की अच्छी से अच्छी दुकान पर मिठाई लेने चले जाएं, हमारे साथ यही खेल होता है. इसे ऐसे समझें — ​आपने किसी दुकान पर मिक्स मिठाई का दाम पूछा. मान लें कि दुकानदार ने बताया पांच सौ रुपये प्रति किलोग्राम. आपने न तो उस मिठाई के बनने की तिथि पूछी और न उसकी एक्सपायरी की डेट, जबकि इसका उल्लेख करना जरूरी है. आपने दुकानदार से दो किलो मिठाई तौलने को कहा. दुकानदार फट से एक एक​ किलो की क्षमता वाले दो डिब्बे उठा लाया. उसने एक डिब्बे में मिठाइयां भरीं और इलेक्ट्रिक तराजू पर एक किलोग्राम से बीस ग्राम अधिक मिठाई तौल दी. आपने मान लिया कि बीस ग्राम में डिब्बे का वज़न हो गया. लेकिन हकीकत तो यह है कि मिठाई की दुकान पर किसी डिब्बे का वजन 20 ग्राम नहीं होता. एक किलो वाले डिब्बे का वजन हर हाल में 100 से 120 ग्राम तक होता है. अगर भरोसा न हो तो अगली बार​ मिठाई की दुकान पर जाएं तो पहले दुकानदार से डिब्बे का वजन लेने को कहें. मिठाई के रेट पर वह डिब्बा खरीदना जो अगले दिन कचरे में जाएगा, यह समझदारी का सौदा कैसे हो सकता है. अगर दुकानदार सौ ग्राम का डिब्बा दे रहा है तो आपको मिठाई सौ ग्राम कम मिली और डिब्बे का दाम हुआ 50 रुपये. अगर मान लें कि दुकानदार पचास रुपये में उस डिब्बे की खरीद करता है, तो सवाल यह है कि उस डिब्बे का दाम ग्राहक से वसूल करके वह अपनी दुकान का प्रचार डिब्बे पर कैसे कर सकता है? 

सामानों की हर हाल में करें काउंटिंग, और रेट भी मिलाएं

त्योहारी सीजन में हर दुकान पर अपार भीड़ पहुंचती है. कपड़े, ग्रॉसरी, ज्वेलरी हर कहीं बिलिंग काउंटरों पर लंबी लाइन देखी जाती है. अब इसे मानवीय चूक कहें या बिलिंग काउंटरों पर होने वाला खेला, आपने शेल्प पर सामान का जो दाम देखा है आपके बिल में उससे ज्यादा वसूला गया होता है. ऐसा सिर्फ त्योहारों पर ही नहीं, बल्कि आम दिनों में भी होता है. हमारे गोरखपुर निवासी एक पाठक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर साझा किया कि उन्होंने खजांची चौक के पास स्थित एक बड़े स्टोर से करीब दस हजार रुपये के ग्रॉसरी के सामान खरीदे थे. जब बिलिंग के बाद उन्होंने सामानों की संख्या और उनके दामों का मिलान किया तो पांच आइटम के दाम, शेल्फ पर लिखे दामों से अधिक थे. चूंकि उन्होंने भुगतान कर दिया था, इसलिए स्टोर मैनेजर सामानों की वापसी में आनाकानी करने लगा. वह एक जागरूक उपभोक्ता थे, लिहाजा उन्होंने शेल्फ पर लिखें आफर वाले दाम की तस्वीरें खींच रखी थीं. उन्होंने जब वे तस्वीरें स्टोर मैनेजर को दिखाईं और फ्रॉड की एफआईआर कराने की बात कहीं तो स्टोर मैनेजर ने वे सभी सामान वापस किए और उन्हें ​उतने मूल्य का क्रेडिट नोट दिया. शहर में वह इकलौते जगरूक ग्राहक नहीं हैं. बहुत से ग्राहक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं, और वे बाजार में गलत प्रैक्टिस करने वालों पर नजर रखते हैं. (अगर आप भी हैं एक जागरूक ग्राहक और आपने किसी दुकानदार, या स्टोर की गलत प्रैक्टिस पर गौर किया है तो आप अपनी कहानी के माध्यम से दूसरे ग्राहकों को भी जागरूक कर सकते हैं. हम आपकी कहानी प्रकाशित करेंगे. अपनी कहानी साझा करने के लिए हमसे संपर्क करें — contact@gogorakhpur.com)

ग्राहक के साथ हुई किसी भी धोखाधड़ी में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन है मददगार

आपके साथ किसी दुकान, स्टोर, मॉल, होटल, रेस्टोरेंट, सिनेमाहॉल, मल्टीप्लेक्स में अगर चीटिंग हुई है, दुव्यर्वहार हुआ है, गुणवत्ताहीन सामान ​बेचा गया है, या ग्राहक हितों की किसी भी प्रकार की अनदेखी हुई है तो आप फोन, वॉट्सऐप, ईमेल, या पोर्टल पर लॉगिन क्रिएट करके, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. यहां शिकायत करना इतना आसान है कि बस पूछिए मत. जब उपभोक्ता हितों की अनदेखी के मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन की टीम उस सेलर से आपकी शिकायत के संबंध में पूछताछ करती है, तो उसे अपनी सेवाओं में न्यूनता का अहसास हो जाता है. वह या तो कस्टमर के साथ किए गए किसी भी गलत व्यवहार को वापस लेने पर राजी हो जाता है या ग्राहक के पास अपनी शिकायत को और उच्च स्तर पर ले जाने का रास्ता खुल जाता है. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन में अपनी बात रखने का एक सकारात्मक पहलू यह है कि आपकी बात हर हाल में सुनी जाती है, और सेवा प्रदाता वहां जवाब देने की अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है. अगर उसने वहां जवाब देने में देरी या कमी की तो ग्राहक का पक्ष ऐसे ही मजबूत हो जाता है. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर सोमवार से शुक्रवार सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक कभी भी अपनी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. एनसीएच यानी नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन से इन माध्यमों से संपर्क करें — 

टोल फ्री नंबर — 1800114000 or 1915
एसएमएस — 8800001915
वॉट्सऐप नंबर — 918800001915
वेबासाइट लॉगिन — https://consumerhelpline.gov.in/user/signup.php 
उमंग ऐप — https://consumerhelpline.gov.in/apps/umang 
मोबाइल ऐप — https://play.google.com/store/apps/details?id=mount.talent.mtcdev02.udaan 

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By रिसर्च डेस्क

गो-गोरखपुर की रिसर्च टीम गोरखपुर अंचल के इतिहास, भूगोल, साहित्य, कला-संस्कृति, समाज पर केंद्रित आलेख ढेर सारे दस्तावेजों के अध्ययन के आधार पर तैयार करती है. तथ्यों के संकलन के क्रम में हम शहर के जानकार लोगों से बातचीत भी करते हैं. ऐसे आलेखों के पीछे पूरी टीम का सहयोग होता है, लिहाजा साझा श्रेय 'रिसर्च डेस्क' के नाम है.