गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (MMTTC) में मंगलवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा अनिवार्य 15वें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) अभिमुखीकरण एवं संवेदनशीलता कार्यक्रम का भव्य उद्घाटन किया गया। जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. शरद कुमार मिश्र के समन्वय में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च शिक्षा में नवाचार और शोध संस्कृति को सुदृढ़ करना है। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रति-कुलपति प्रो. शांतनु रस्तोगी ने NEP-2020 को भारतीय उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने वाला एक क्रांतिकारी कदम बताया।
विज्ञापन
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने शिक्षकों की नई भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। ICMR-RMRC के निदेशक डॉ. एच. एस. जोशी ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अनुसंधान की बढ़ती संभावनाओं पर अपना व्याख्यान दिया, जबकि MMTTC के निदेशक प्रो. चंद्रशेखर ने प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शिक्षक प्रशिक्षण की अनिवार्यता पर जोर दिया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में अंग्रेजी विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. अजय कुमार शुक्ला ने ‘अकादमिक लीडर’ के रूप में शिक्षक की भूमिका पर विशेष व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के दौर में शिक्षक की जिम्मेदारी केवल कक्षा तक सीमित नहीं है। प्रो. शुक्ला ने ‘3M’ का सिद्धांत देते हुए कहा कि एक सफल शिक्षक को मेंटोर (मार्गदर्शक), मोटिवेटर (प्रेरक) और मॉडल रिसर्चर (आदर्श शोधकर्ता) होना चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि जब शिक्षक स्वयं नवाचार और अकादमिक ईमानदारी का उदाहरण पेश करेगा, तभी छात्र प्रेरित होंगे।
इसके साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों के लिए भी ‘3M’ की अवधारणा साझा की, जिसमें माता-पिता के प्रति प्रेम (Mother-Father), मातृभाषा का सम्मान (Mother Tongue) और मातृभूमि के प्रति समर्पण (Motherland) को शिक्षा का मूल आधार बताया। कार्यक्रम के अंत में जैव प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष प्रो. दिनेश यादव ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक और शोधार्थी उपस्थित रहे।


