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कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है: सीएम योगी

कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है: सीएम योगी
सीएम योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ को श्रद्धांजलि दी और उनके योगदान को याद किया। गोरखपुर में कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है।

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि किसी भी कर्ता के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है। भारतीय मनीषा के ज्ञान दर्शन में इस बात को विशेष महत्व दिया गया है कि जीवन में हमारे प्रति, समाज और राष्ट्र के प्रति जिसने भी योगदान दिया हो, उसके प्रति कृतज्ञता का भाव अवश्य होना चाहिए। सीएम योगी ने ये बातें गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं और राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के अंतिम दिन कहीं।

महंतद्वय के योगदान पर सीएम योगी

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में ब्रह्मलीन महंतद्वय के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ ने सनातन धर्म, शिक्षा, सेवा और राष्ट्रीयता के जिन मूल्यों को स्थापित किया, महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें आत्मसात कर आगे बढ़ाया। दोनों ने सदैव देश और धर्म को प्राथमिकता दी और गोरक्षपीठ आज भी उन्हीं के दिखाए मार्ग का अनुसरण कर रहा है। उन्होंने कहा कि महंतद्वय समाज, राष्ट्र और लोक जीवन से जुड़े हर मुद्दे पर सनातन धर्म और भारत के हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहे।

कृतज्ञता का भाव प्रकट करना सनातन धर्म का पहला संस्कार है: सीएम योगी
कार्यक्रम में उपस्थित छात्र.

हनुमानजी और मैनाक पर्वत के संवाद का जिक्र

मुख्यमंत्री योगी ने रामायण काल में हनुमानजी और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद के उद्धरण ‘कृते च कर्तव्यम एषः धर्म सनातनः’ को समझाया। उन्होंने कहा कि यह भाव सनातन से ही मिलता है। सनातन की परंपरा में पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करने के लिए आश्विन माह का पूरा कृष्ण पक्ष समर्पित किया गया है। गोरक्षपीठ में ब्रह्मलीन पूज्य महंतद्वय की पुण्य स्मृति में साप्ताहिक आयोजन भी इसी कृतज्ञता ज्ञापन का एक आयाम है।

शिक्षा को बताया सशक्त राष्ट्र की आधारशिला

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सभ्य समाज और सशक्त राष्ट्र की आधारशिला माना। इसी ध्येय से महंत दिग्विजयनाथ ने गुलामी के कालखंड में 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। उन्होंने बताया कि जब गोरखपुर में पहले विश्वविद्यालय की स्थापना की बात आई तो उन्होंने महाराणा प्रताप महाविद्यालय और महाराणा प्रताप महिला विद्यालय को दान में देकर विश्वविद्यालय की स्थापना का शुभारंभ कराया। उनके बाद महंत अवेद्यनाथ ने भी इस सिलसिले को जारी रखा।

श्रीराम मंदिर आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान

मुख्यमंत्री ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण में गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंतद्वय के अविस्मरणीय योगदान का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर निर्माण के यज्ञ का शुभारंभ महंत दिग्विजयनाथ ने किया था और उनके बाद 1983 से लेकर जीवनपर्यंत महंत अवेद्यनाथ मंदिर निर्माण के लिए संघर्षरत रहे।

सामाजिक समरसता को बढ़ावा

योगी आदित्यनाथ ने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी के सामाजिक समरसता के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि महंत अवेद्यनाथ समाज को तोड़ने वाली ताकतों से चिंतित थे और उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने आजीवन सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया। सीएम ने कहा कि पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने का ही पक्ष है।

गो गोरखपुर ब्यूरो

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