गोरखपुर: राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, गोरखपुर ने एक संयुक्त प्रेस बयान जारी कर सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों के भुगतान में हो रही अत्यधिक देरी पर गहरा रोष व्यक्त किया है। परिषद के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि यह देरी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के आदेशों का उल्लंघन है और कर्मचारियों के इलाज को प्रभावित कर रही है।
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बिल भुगतान प्रक्रिया में लग रहे हैं 6 महीने, रुक रहा है कर्मचारियों का इलाज
परिषद के अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तवा और मंत्री मदन मुरारी शुक्ल सहित अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से बताया कि वर्तमान समय में चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों को जमा करने से लेकर उनके अंतिम भुगतान तक लगभग छह माह का लंबा समय लग रहा है। रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि अधिकारी चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों को कार्यालयों में ही एक से दो माह तक लंबित रख रहे हैं, और सीएमओ कार्यालय से वापसी के बाद भुगतान में और तीन माह लग रहे हैं। इस लंबी प्रक्रिया के कारण समय पर पैसा न मिलने से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का नियमित उपचार रुक रहा है, जो जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने जिलाधिकारी महोदय से एक माह के भीतर लंबित बिलों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सभी कार्यालयों को निर्देशित करने का विशेष अनुरोध किया है।
पंडित दीन दयाल उपाध्याय कैशलेस कार्ड की धीमी रफ्तार पर भी जताई चिंता
परिषद के पदाधिकारियों ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय कैशलेस कार्ड योजना के क्रियान्वयन की धीमी गति पर भी चिंता व्यक्त की। मदन मुरारी शुक्ल ने बताया कि लोक निर्माण विभाग के आहरण वितरण अधिकारी (DDO) के कार्यालय में दर्जनों कैशलेस कार्ड की एप्लीकेशन अब भी लंबित हैं। उन्होंने इसे मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट बताते हुए तत्काल शत-प्रतिशत कार्ड बनवाने की मांग की। इसके अतिरिक्त, रूपेश कुमार श्रीवास्तव ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के पदाधिकारियों से भी अपील की है कि अस्पतालों को कैशलेस कार्ड धारकों का सही तरीके से इलाज करना चाहिए और अप्रूवल आने तक बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
परिषद ने यह भी जानकारी दी कि वे 15 दिसंबर को नगर निगम में प्रस्तावित पेंशनभोगियों के धरने में शामिल होकर उनका समर्थन करेंगे और प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तथा जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपेंगे।


