गोरखपुर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर के ट्रॉमा एवं इमरजेंसी मेडिसिन विभाग ने एक बार फिर अपनी असाधारण विशेषज्ञता और समर्पण का लोहा मनवाया है। एक अत्यंत जटिल और जोखिमपूर्ण मामले में सफल ऑपरेशन करके, ट्रॉमा टीम ने न सिर्फ चिकित्सकीय उत्कृष्टता का परिचय दिया, बल्कि एक निराश परिवार को नई उम्मीद और राहत भी प्रदान की।
अनेक बीमारियों से ग्रस्त 98 वर्षीय मरीज का सफल ऑपरेशन: महाराजगंज के 98 वर्षीय निवासी, जो मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, हृदय रोग और किडनी की गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे, अपने घर में सीढ़ियों से गिर गए थे। इस दुर्घटना के कारण उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई। उनकी उम्र और इन जटिल स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए, गोरखपुर के पाँच प्रमुख अस्पतालों ने उनके ऑपरेशन से इनकार कर दिया था, जिससे परिवार निराश था।
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परिजन उन्हें AIIMS गोरखपुर के ट्रॉमा विभाग में लेकर आए, जहाँ ट्रॉमा टीम ने बिना किसी विलंब के उन्हें तत्काल भर्ती कर उपचार शुरू किया। विशेषज्ञों का मानना था कि इस उम्र और इतनी बीमारियों के बावजूद, ऑपरेशन में किसी भी प्रकार की देरी मरीज के लिए और अधिक हानिकारक सिद्ध हो सकती थी, जिससे उनकी शारीरिक जटिलताएं बढ़ सकती थीं।
आयुष्मान योजना के तहत मिली अत्याधुनिक सुविधा: यह उल्लेखनीय है कि मरीज आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी थे, जिसके कारण उन्हें बिना किसी आर्थिक बोझ के अत्याधुनिक तकनीकों से उपचार उपलब्ध कराया गया। AIIMS की ट्रॉमा टीम ने विशेष ‘नर्व ब्लॉक’ तकनीक का उपयोग करते हुए, मात्र 15-20 मिनट में कूल्हे की सर्जरी सफलतापूर्वक पूरी की। ऑपरेशन के बाद अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी भी दे दी गई है।
मरीज के परिजनों ने AIIMS गोरखपुर की टीम की हृदय से प्रशंसा करते हुए कहा कि AIIMS ने उनके बुजुर्ग पिता को वास्तव में एक नई ज़िंदगी दी है, जब हर तरफ से उम्मीदें खत्म हो गई थीं।
AIIMS गोरखपुर की यह सफल पहल पूर्वांचल क्षेत्र में गंभीर रूप से बीमार और बुजुर्ग रोगियों के लिए एक नई उम्मीद की किरण बनकर सामने आई है, जो दर्शाता है कि सही विशेषज्ञता और समर्पण के साथ, असंभव लगने वाले कार्य भी संभव हो सकते हैं।
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