Aditya-L1: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य के अध्ययन के लिए प्रक्षेपित अपने वेधशाला उपग्रह “आदित्य-एल-1” को धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित विशिष्ट परिक्रमा क्षेत्र में पहुँचाने के जटिल लक्ष्य को साधकर अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा.
इसरो ने की अभियान सम्पन्न होने की घोषणा
इस सफलता की घोषणा करते हुए इसरो ने सोशल मीडिया मंच “एक्स” के अपने “इसरो आदित्य एल-1 पृष्ठ” पर लिखा- “आदित्य एल-1 की ओर से बधाई संदेश! मैं अपने गृह ग्रह से 15 लाख किमी दूर लैग्रेज प्वाइंट (एल-1) पर सुरक्षित पहुँच गया हूँ…. दूर रहने को लेकर रोमांचित हूँ, फिर भी सौरमंडल के रहस्यों को जानने के लिए गहराई से जुड़ा हुआ हूँ.”
एल-1 यानी (लैग्रेज प्वाइंट-1) सौरमंडल में सूर्य और धरती जैसे बड़े पिंड के सापेक्ष तीसरे (आदित्य-1) जैसे परिक्रमाशील छोटे पिंड पर गुरुत्वाकर्षण बलों तथा उस पिंड के अपकेंद्रीय (केंद्र से दूर ले जाने वाले) तथा अभिकेंद्रीय (केंद्र की ओर ले जाने वाले) बलों के बीच एक ऐसा संतुलन स्थापित करने वाला सापेक्ष बिंदु है, जिस पर यह उपग्रह टिका रह सकता है और उसे वहां बने रहने के लिए ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती. इस सौरमंडल में एल-1 के अलावा ऐसे चार और बिंदु खोजे गए हैं.
कक्षा में दो वर्षों तक करेगा सूर्य का अध्ययन
आदित्य-एल-1 इस कक्षा में दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटा कर इसरो को भेजेगा. चंद्रयान की सफलता के कुछ ही दिन बाद इसरो ने सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य-एल-1 मिशन को दो सितम्बर को प्रारंभ किया था.
यात्रा पूरी करने में लगे चार माह
इसरो ने कहा, चार महीने की लंबी यात्रा पूरी करने के बाद शनिवार को शाम लगभग 1600 बजे एल-1 बिंदु पर पहुँच गया. इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यान को हेलो कक्षा में सूर्य – पृथ्वी लैग्रेज पॉइंट एल-1 पर ले जाने के लिए उसमें लगे एमएएम मोटर्स को चालू किया. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल-1 दो सितम्बर 2023 को शुरू हुआ था. प्रक्षेपित होने के 127 दिन बाद यह 6 जनवरी 2024 को एल-1 बिंदु पर पहुँच गया.
लगातार सूर्य को देख सकेगा
एल-1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में स्थापित आदित्य-एल-1 उपग्रह के साथ यह बिना किसी ग्रहण के लगातार सूर्य को देख सकेगा. इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा. आदित्य-एल-1 विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग करके प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परतों (कोरोन) का निरीक्षण करने के लिए सात पेलोड लेकर गया है. एल-1 के विशेष सुविधाजनक बिंदु का उपयोग करते हुए, चार पेलोड सीधे सूर्य को देखेंगे और शेष तीन पेलोड एल-1 पर कणों और क्षेत्रों का यथास्थान अध्ययन करेंगे. पांच वर्षों के मिशन जीवन के साथ, आदित्य-एल-1 पेलोड से कोरोनल हीटिंग की समस्या को समझने के लिए सबसे महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने की उम्मीद है.
विशेषताएं
- धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर लैग्रेज प्वाइंट एल-1 पर स्थापित
- दो वर्षों तक सूर्य का अध्ययन करेगा
- महत्वपूर्ण आंकड़े जुटा कर इसरो को भेजेगा
- सात पेलोड से सूर्य का निरीक्षण करेगा
- कोरोनल हीटिंग की समस्या को समझने में मदद