गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन सत्र 2025-26 से स्ववित्तपोषित (सेल्फ-फाइनांस) पाठ्यक्रमों में पीएचडी शोध कार्य शुरू करने की तैयारी में है। कुलपति प्रो. पूनम टंडन के नेतृत्व में इस ऐतिहासिक निर्णय पर आगामी 29 दिसंबर को विद्या परिषद की मुहर लगनी तय है।
फरवरी में शोध पात्रता परीक्षा और आवेदन की तैयारी
विश्वविद्यालय प्रशासन जनवरी 2025 में शीतावकाश के तुरंत बाद ‘रेट-2025’ (RET) के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। सीट मैट्रिक्स जारी करने के बाद फरवरी के अंत तक परीक्षा संपन्न कराने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि कोरोना काल के कारण पीएचडी सत्र में देरी हुई थी, लेकिन अब इसे पटरी पर लाने की कोशिशें तेज कर दी गई हैं।
संविदा शिक्षक बनेंगे शोध निर्देशक, इन विषयों में मिलेगा मौका
इस नई व्यवस्था के तहत इंजीनियरिंग, फार्मेसी और कृषि विभागों के संविदा शिक्षकों को शोध निर्देशक (गाइड) बनने की पात्रता मिलेगी। योजना के अनुसार, इंजीनियरिंग के 5, फार्मेसी के 5 और कृषि के लगभग 10 विषयों में पीएचडी कराई जाएगी। इसके अलावा कॉमर्स और विधि (Law) विभाग के अनुभवी संविदा शिक्षक भी अब शोध कार्य का निर्देशन कर सकेंगे।
विद्या परिषद की बैठक और स्वयं पोर्टल पर फोकस
29 दिसंबर को होने वाली विद्या परिषद की मंजूरी के बाद इस प्रस्ताव को जनवरी में कार्य परिषद के समक्ष रखा जाएगा। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने बताया कि शोध के साथ-साथ विश्वविद्यालय में ‘स्वयं’ (SWAYAM) पोर्टल के माध्यम से नए पाठ्यक्रम शुरू करने का विषय भी बैठक के एजेंडे में शामिल है, जिससे शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होगा।

