गोरखपुर: उत्तर प्रदेश की गोरखपुर पुलिस ने फर्जी डिग्री और फिंगरप्रिंट क्लोनिंग के जरिए बड़े पैमाने पर जालसाजी करने वाले गिरोह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। कोतवाली पुलिस ने संगठित रूप से अपराध करने वाले इस गिरोह के पांच सदस्यों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत नई प्राथमिकी दर्ज की है। यह गिरोह मई 2025 में पुलिस की पकड़ में आया था और फिलहाल इसके सभी आरोपी जेल की सलाखों के पीछे हैं। पुलिस प्रशासन ने अब इन अपराधियों द्वारा अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्ति को कुर्क करने की प्रक्रिया भी तेज कर दी है ताकि उनके आर्थिक तंत्र को पूरी तरह ध्वस्त किया जा सके।
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फिंगरप्रिंट क्लोनिंग से फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह पर कड़ी कार्रवाई पुलिस की इस कार्रवाई के केंद्र में गिरोह के पांच मुख्य सदस्य हैं जिनका नेतृत्व महाराजगंज जिले के निचलौल का निवासी इमरान खान कर रहा था। इमरान खान गोरखपुर के हुमायूंपुर उत्तरी इलाके में किराए का मकान लेकर अपना नेटवर्क चलाता था और 3D प्रिंटर जैसी आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल करता था। इस गिरोह के संचालन में शाहपुर के बिछिया निवासी श्याम बिहारी गुप्ता उर्फ गंगाराम की अहम भूमिका थी। इनके अलावा संदीप चौहान, जयंत प्रताप सिंह और तबरेज भी इस संगठित गिरोह के सक्रिय सदस्य के रूप में काम कर रहे थे जो विभिन्न प्रकार के फर्जी दस्तावेज तैयार करते थे।
थ्रीडी प्रिंटर और मशीनों से तैयार किए जाते थे जाली अंगूठे गिरोह की कार्यप्रणाली किसी को भी हैरान कर सकती है क्योंकि वे जालसाजी के लिए बेहद हाई-टेक उपकरणों का सहारा लेते थे। आरोपी ट्रेसिंग पेपर, 3D फिंगरप्रिंट मशीन और पॉलिमर स्टाम्प मशीन का उपयोग करके अंगूठे का क्लोन तैयार करते थे। इमरान खान सबसे पहले ट्रेसिंग पेपर पर अंगूठे के निशान का प्रिंट तैयार करता था और फिर गणेश चौक क्षेत्र में स्थित अपने ठिकाने पर फ्लैश और पॉलिमर स्टाम्प की मदद से उसे रबर के नकली अंगूठे में बदल देता था। इस तकनीक का इस्तेमाल आधार कार्ड और अन्य जरूरी सरकारी प्रक्रियाओं में धोखाधड़ी के लिए किया जाता था।
फर्जी विश्वविद्यालय के नाम पर बेरोजगारों से होती थी मोटी वसूली जालसाजों ने युवाओं को ठगने के लिए गुलरिहा क्षेत्र में एक बकायदा कार्यालय खोल रखा था जहां बेरोजगार युवकों को नौकरी का झांसा देकर फंसाया जाता था। यह गिरोह गाजियाबाद और मेघालय के चेरापूंजी स्थित कथित विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जी डिग्री और अंकपत्र तैयार करता था। पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि चेरापूंजी में उस नाम की किसी यूनिवर्सिटी का अस्तित्व ही नहीं है। ये अपराधी एक नकली अंगूठा बनाने के लिए 700 से 1500 रुपये और फर्जी डिग्री या मार्कशीट के लिए 5000 रुपये तक वसूलते थे।
गैंगस्टर एक्ट की नई प्राथमिकी में नहीं काम आएगा पुराना स्टे कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए गिरोह के एक सदस्य जयंत प्रताप सिंह ने पूर्व में न्यायालय से गिरफ्तारी पर स्टे ले लिया था। हालांकि पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज की गई इस नई प्राथमिकी में वह पुराना स्टे प्रभावी नहीं होगा और आरोपी के खिलाफ कठोर कानूनी प्रक्रिया जारी रहेगी। एसपी सिटी अभिनव त्यागी के अनुसार यह गिरोह समाज के सिस्टम में अयोग्य लोगों को फर्जी दस्तावेजों के जरिए प्रवेश दिलाकर नींव को खोखला कर रहा था। पुलिस की इस गैंगस्टर कार्रवाई से अब इन जालसाजों की अवैध कमाई से बनाई गई संपत्तियों को जब्त किया जाएगा।


