गोरखपुर: मुख्यमंत्री के गृह जनपद में सरकारी आदेशों की अवहेलना और कर्मचारियों की पीड़ा का एक गंभीर मामला सामने आया है. सिंचाई खंड गोरखपुर के अधिशासी अभियंता पर आरोप है कि वे चिकित्सा प्रतिपूर्ति बिलों को पास करने के बजाय अपने कार्यालय में डंप करके रखे हुए हैं. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का दावा है कि जहां नियमतः कोई भी पत्रावली तीन दिन से अधिक नहीं रोकी जा सकती, वहीं यहां महीनों से फाइलें अटकी पड़ी हैं. परिषद के अध्यक्ष रुपेश कुमार श्रीवास्तव ने चेतावनी दी है कि यदि तत्काल प्रभाव से फाइलों का निस्तारण कर सीएमओ कार्यालय नहीं भेजा गया, तो संगठन बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होगा.
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तीन दिन के नियम पर भारी पड़ रही महीनों की देरी
डिप्लोमा इंजीनियर संघ भवन में हुई बैठक के दौरान कर्मचारी नेताओं ने विभाग की कार्यशैली पर कड़े सवाल उठाए. नेताओं का कहना है कि सेवारत कर्मचारी और पेंशनर्स कैंसर, फालिज, हृदय रोग और लिवर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. इलाज के भारी-भरकम खर्च के बाद जब वे प्रतिपूर्ति के लिए बिल जमा करते हैं, तो उन्हें खंड कार्यालय से लेकर डीडीओ कार्यालय तक के चक्कर काटने पड़ते हैं. अधिशासी अभियंता की कथित अनुपस्थिति और लापरवाही के कारण भुगतान में छह महीने से एक साल तक का समय लग रहा है. इस देरी की वजह से कई बार इलाज के अभाव में कर्मचारियों और पेंशनर्स के साथ अनहोनी घटनाएं भी घट रही हैं.
जिलाधिकारी से शिकायत और आंदोलन की चेतावनी
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अधिशासी अभियंता की मनमानी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी. राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही जिलाधिकारी और मुख्यमंत्री से मिलकर इस मामले की लिखित शिकायत करेगा और दोषी अधिकारी पर कार्रवाई की मांग करेगा. संगठन ने आहरण वितरण अधिकारी से अनुरोध किया है कि वे तत्काल प्रभाव से लंबित बिलों का भुगतान सुनिश्चित कराएं. कर्मचारी नेताओं ने साफ कहा है कि अगर व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ तो वे किसी भी समय उच्च अधिकारियों का घेराव करेंगे. बैठक में ई. राम समूझ शर्मा, मदन मुरारी शुक्ल, अशोक कुमार पांडे और अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे.


